दहशत में टूट रहे हैं गवाह, मुकदमों में ‘छूट रहे बदमाश

प्रादेशिक डेस्क

गोरखपुर। जिस क्राइम के बूते बदमाशों ने हनक बनाई थी और जेल गए थे अब उसी के बूते गवाह भी दहशतज़दा होकर टूट रहे हैं। नतीजा यह है कि बदमाश छूटते जा रहे हैं। मुकदमों की लम्बी फेहरिस्त भी उनपर शिकंजा नहीं कस पा रही है। आलम यह है कि कुख्यात चंदन जैसे बदमाश भी ‘बेदाग होते जा रहे हैं। विनोद जैसे भी मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट के बूते ‘पाक-साफ साबित होते जा रहे हैं। अब बड़ा सवाल सिर उठा रहा है कि क्या गवाहों को सुरक्षा देने में पुलिस नाकाम है? बदमाशों की जमानत रद्द कराने और उन्हें सजा दिलाने के एडीजी एटीएस के तेवर के बाद लगता है कि पुलिस की ‘चूक पकड़ ली गई है। अब अफसर नए सिरे से मुकदमों की समीक्षा कर बदमाशों पर नकेल कसने की तैयारी में हैं।
गौतमबुद्ध नगर जेल में बंद कुख्यात चंदन सिंह इन दिनों किताब लिखने में मशगूल है। बीते दिनों उसका ऑडियो वायरल होने के बाद एसटीएफ ने उस पर निगरानी बढ़ाई तो पता चला कि वह तो जेल से निकलने का तानाबाना बुन रहा है। यह भी पता चला है कि उसने जमानत की अर्जी डाली है। वहीं जिले के बाहर के कुछ मुकदमों में वह पहले ही बरी हो गया है। जिले के कई मुकदमों में भी उसके गवाह टूट गए हैं। एक मामले में एक गवाह लड़ाई लड़ रहा है तो उसके भी जान के लाले पड़े हुए हैं। चंदन के पैरवीकार लगातार उसे तोड़ने लिए माहौल बना रहे हैं। राजनीति का चोला ओढ़ने के बाद विनोद उपाध्याय हालांकि सीधे तौर पर वह अपराध की दुनिया में सक्रिय तो नहीं है पर पुराने केस के बूते गाहे-बगाहे कई जरायम में उसका नाम जुड़ता ही रहा है। वैसे भी जरायम की दुनिया में पुरानी ‘कमाई की फसल को ही माफिया काटते रहते हैं। विकास दुबे की करतूत के बाद पुलिस ने बदमाशों पर शिकंजा कसा तो विनोद उपाध्याय भी उसकी ज़द में आकर इस वक्त जेल काट रहा है। विनोद के पुराने मुकदमे खंगाले जा रहे हैं जिसमें एक मामला बेहद दिलचस्प है और वह पुलिस अफसरों की हवाइयां भी उड़ा रहा है। यह मामला कोतवाली थाना से जुड़ा है। जनवरी 2019 में कोतवाली में दर्ज मुकदमे में फाइलन रिपोर्ट लग चुकी है जिसने पुलिस वालों के गले में हड्डी फंसा दी है। मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में पहुंचे कोतवाली इलाके के व्यक्ति की शिकायत पर यह केस हुआ था। पुलिस अब सफाई दे रही है कि वादी मुकर गया। पर क्यों? यह सवाल पुलिस को बगलें झांकने पर मजबूर कर रहा है। सवाल यह भी है कि अगर वादी को मुकरना था तो वह मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में शिकायत लेकर जाने की हिम्मत क्यों करता? अगर वह मुकरा तो क्यों? अगर दूसरे टाप-10 बदमाशों के मुकदमों की नवैयत खंगाली जाए तो फाइलों पर जमा तमाम गर्द साफ हो जाएगी और पता चल जाएगा कि गवाह क्यों टूट रहे हैं और बदमाश कैसे छूट रहे हैं।
एसएसपी डा. सुनील गुप्ता का कहना है कि चंदन ही नहीं अन्य बदमाशों के मुकदमों में भी किसी गवाह को धमकी मिल रही है या कोई दबाव बना रहा है तो वह मुझसे सीधे सम्पर्क कर अपनी बात रख सकता है। मैं उसे सुरक्षा दूंगा। कोर्ट खुलने के बाद बदमाशों के मुकदमों की वर्तमान स्थिति देखी जाएगी। कोतवाली में दर्ज विनोद के मुकदमे में वादी के ही पीछे हटने की बात सामने आई है। वादी से सम्पर्क किया जाएगा। वह धमकी या दबाव की बात कहता है या फिर पुलिस की गलती सामने आती है तो दोबारा विवेचना होगी और पुलिसवालों पर कार्रवाई होगी।

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