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तालिबान के साथ समझौता को क्यों मजबूर हुआ अमेरिका

हक्कानी के सिर से हटाया एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम

अतुल द्विवेदी

अफगान तालिबान ने पिछले हफ्ते अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता कर अपने विरोधियों को चौंका दिया। तालिबान ने दो साल से हिरासत में रखे गए अमेरिकी नागरिक जॉर्ज ग्लेजमैन को रिहा किया, जिसके बदले में अमेरिका ने अफगान गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी के सिर पर रखा एक करोड़ डॉलर का इनाम हटा लिया। इस समझौते में कतर सरकार ने अहम भूमिका निभाई। ग्लेजमैन इस साल अफगानिस्तान से रिहा होने वाले तीसरे अमेरिकी नागरिक हैं। इससे पहले जनवरी में रयान कॉर्बेट और विलियम मैकेंटी को कैदियों की अदला-बदली के तहत छोड़ा गया था। तालिबान ने पाकिस्तान के साथ भी वार्ता की, जिसके बाद एक माह से बंद तोरखम सीमा को खोल दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि चीन ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चीन और अफगान तालिबान के बढ़ते संबंध
चीन ने दो साल पहले अफगान तालिबान के साथ समझौता किया था और सितंबर 2023 में अपना राजदूत काबुल भेजा। इसके बाद चीनी कंपनियों ने अफगानिस्तान में अपने कार्यालय खोलकर कई परियोजनाएं शुरू कीं। दोनों पक्षों के साझा हितों में इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रोविंस (ISKP) के खिलाफ लड़ाई शामिल है। पहले तालिबान, चीन के शिनजियांग प्रांत के उइगर मुस्लिम उग्रवादियों को शरण दे रहा था। जब चीन को पता चला कि उइगरों ने बदख्शान में एक प्रशिक्षण शिविर स्थापित कर लिया है, तो उन्होंने तालिबान से संपर्क कर इस शिविर को बंद करने के बदले आर्थिक लाभ की पेशकश की। तालिबान ने शिविर बंद कर दिया, जिससे नाराज उइगर ISKP में शामिल हो गए। चीन के बढ़ते प्रभाव ने रूस, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान को भी तालिबान से सहयोग मांगने के लिए प्रेरित किया। यूएई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की अफगान विदेश मंत्री से हालिया बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ISKP भारत में ‘इस्लामिक स्टेट-हिंद प्रोविंस’ (ISHP) के रूप में सक्रिय है। इसके प्रमुख हारिस फारूकी को पिछले साल भारत में घुसने की कोशिश के दौरान गिरफ्तार किया गया था। तालिबान ने भारत को ISHP के खिलाफ सहयोग का भरोसा दिया है।
ISKP का बढ़ता प्रभाव और वैश्विक रणनीति
तालिबान और अमेरिका के 2020 दोहा समझौते के बाद ISKP ने अफगान तालिबान और पाकिस्तान में तालिबान समर्थकों पर हमले तेज कर दिए। उसने भारत, ईरान और मध्य एशिया में ऑनलाइन भर्ती अभियान भी शुरू किया। हाल ही में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान से एक ISKP आतंकी को गिरफ्तार कर अमेरिका को सौंप दिया, जो 2021 में काबुल एयरपोर्ट हमले में शामिल था।
ISKP के बढ़ते खतरे ने अमेरिका को भी तालिबान के साथ गुप्त वार्ता के लिए मजबूर कर दिया। ISKP का मुख्यालय सीरिया में है और यह यूरोप-अमेरिका के असंतुष्ट मुस्लिम युवाओं को भर्ती करने में सफल रहा है। हाल के वर्षों में, ISKP ने अल-कायदा की जगह ले ली, जिससे अमेरिका को तालिबान के साथ अघोषित गठबंधन बनाने की जरूरत पड़ रही है। पाकिस्तान ने 31 मार्च तक सभी अफगान शरणार्थियों को निकालने की घोषणा की थी, लेकिन तालिबान के साथ बातचीत के बाद यह अवधि 30 जून तक बढ़ा दी गई। इसके बदले में तालिबान, पाकिस्तान को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच लिबरेशन आर्मी की गतिविधियों पर नियंत्रण में मदद करेगा। पाकिस्तान, चीन, भारत और अमेरिका के साथ इन समझौतों की सफलता, अफगान तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिला सकती है।

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