जब मिले माहौल तो उड़ान भरें किशोरियां

18 वर्ष से पहले हो जाती 41 फीसद लड़कियों की शादी हुई

संवाददाता

बहराइच। बिटिया सयानी हो गयी है ….. । बस इतनी सी बात दिमाग में आयी नहीं कि योग्य वर की खोज-बीन शुरू हो जाती है। रिश्तेदारी में भी शादी की चर्चा आम होने लगती है। दिमाग में सिर्फ एक ही बात रहती है कि घर और वर ऐसा हो कि बिटिया को कोई तकलीफ न हो। इन सारी तैयारियों के बीच बस एक बात का ध्यान किसी को नहीं रहता है कि बिटिया की उम्र क्या है और वह कितनी सयानी हो गयी है? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बेटियों की शादी की सही उम्र और किशोरावस्था में गर्भधारण करने से जुड़ी समस्याओं की। किशोरावस्था यानि 20 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले गर्भ धारण करना मां व उसके होने वाले शिशु दोनों के लिए चुनौती पूर्ण होता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ ममता बसंत के अनुसार, आधुनिक चिकित्सीय व्यवस्था के बावजूद भी किशोर अवस्था मे गर्भधारण करने वाली माताएँ अक्सर कम वजन या समय से पहले शिशुओं को जन्म देती हैं। उनके प्रसव मे जटिलताएँ अधिक रहती हैं। शरीर मे खून की कमी और प्री-एक्लेम्पसिया यानि प्रसव से पहले झटके आना आदि के जोखिम बने रहते हैं। उन्होने बताया गर्भावस्था से संबंधित जटिलताएं 15 से 19 वर्ष की महिलाओं में मृत्यु का सबसे आम कारण हैं।
खंड शिक्षा अधिकारी बृज लाल वर्मा के अनुसार, घर मे बैठी बेटी की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, माता-पिता को उसकी शादी की चिंता होने लगती है, इसीलिए बाल विवाह के मामले मे स्कूल न जाने वाली किशोरियों की संख्या सबसे अधिक है। दूसरी ओर स्कूल जाने वाली किशोरियाँ गर्भावस्था के दौरान अक्सर उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती हैं, विद्यालय मे उनकी उपस्थिति कम हो जाती है। जो आगे चलकर उनके कैरियर के अवसरों को कम करता है।

उम्र के हिसाब से करें चुनाव :

नोडल अधिकारी परिवार नियोजन डॉ योगिता जैन के अनुसार शादी अगर 18 साल की उम्र मे हुई है तो दो साल बाद यानि 20 वर्ष या उसके बाद की उम्र मे ही गर्भधारण करना चाहिए। इस बीच गर्भनिरोधक साधनों का इस्तेमाल कर गर्भधारण से बचना चाहिए। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार जिले में 20 से 24 वर्ष की 40.9 प्रतिशत शादी शुदा महिलाओं की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले हो गयी। वहीं 15 से 19 साल की 9.9 प्रतिशत महिलाएं या तो मां बन गईं या गर्भवती हो गईं। किशोर गर्भावस्था को रोकने के लिए नए शादी शुदा दंपत्तियों को विभाग द्वारा “पहल किट” का वितरण भी कराया जा रहा है, जिसमे गर्भ निरोधक सामग्री के साथ जानकारी कार्ड, आशा कार्यकर्त्री एवं एएनएम के संपर्क सूत्र होते हैं। जिला स्वास्थ्य सूचना अधिकारी रवीन्द्र त्यागी की मानें तो हमे ऐसे स्वस्थ वातावरण का निर्माण करना होगा जहां किशोरियों मे सुरक्षा की भावना हो, उनके माता-पिता निर्भय होकर बेटियों की पढ़ायी आगे भी जारी करवा सकें, न कि घर बैठाकर उनके योग्य वर की खोज मे सपने सँजोने लगें।

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