गोरखपुर : ब्लैक फंगस मरीजों में मिल रहा थ्राम्बोसिस, दुश्वारियां बढ़ी

गोरखपुर (हि.स.)। ब्लैक फंगस के मरीजों की दुश्वारियां बढ़ती जा रहीं हैं। अब इनमें थ्रामबोसिस के लक्षणों को देखा जा रहा है। यह फंगस धमनियों में खून को जमा रहा है। खून के थक्के बन रहे हैं। 
बीआरडी मेडिकल कालेज अब ब्लैक फंगस का सबसे बड़ा केन्द्र बन गया है। मेडिकल कालेज में अब तक फंगस के 11 मरीजों का ऑपरेशन हो चुका है। इनमें से सात मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं। कालेज के पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में चार मरीज भर्ती हैं। इतना ही नहीं, पोस्ट कोविड वार्ड में ब्लैक फंगस के 40 मरीजों का इलाज चल रहा है। फंगस की चपेट में आए मरीजों को कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं। अब तो इनमें थ्रामबोसिस की शिकायतें भी आने लगीं हैं और शरीर के कई अंगों में खून के थक्के जमने लगे हैं।
कहते हैं विशेषज्ञडॉ. राना प्रताप यादव का कहना है कि कोरोना संक्रमित व वायरस से जंग जीत चुके मरीजों का ब्लैक फंगस की चपेट में आना चिंता का विषय है। यह फंगस अब नाक के माध्यम से मुंह, सिर व आंख समेत दूसरे अंगों को प्रभावित कर रहा है। मसूडों-जबड़ों को भी नहीं बख्श रहा है। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि यह फंगस खून की नसों पर हमला बोलता है। नतीजतन खून की आपूर्ति दूसरे अंगों में नहीं होती है। फंगस प्रभावित हिस्सा काला पड़ जाता है। प्रभावित नस के आस-पास के अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति भी कम हो जाती है।
आठ मरीजों में खून थक्का होने की पुष्टि बीआरडी के ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पीएन सिंह के मुताबिक फंगस प्रभावित अंगों की नसें बंद हो जाती हैं। कोशिकाएं मृत होने से खून आपूर्ति ठप हो जाती है। अब तक आठ मरीजों में खून का थक्का जमने की पुष्टि हुई है। ब्लैक फंगस के मरीजों को ऑपरेशन किए जा रहे हैं। फंगस को आगे फैलने से रोकने का प्रयास चल रहा है।
शरीर को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है खूनफिजीशियन डॉ. मनोज जैन ने बताया कि शरीर में उर्जा और ऑक्सीजन का कैरियर खून होता है। खून का थक्का जमना शरीर के लिए खतरनाक है। इससे खून गाढ़ा हो जाता है। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है। मरीज को दिक्कत होती है। दिल, दिमाग, फेफड़ा और गुर्दे की धमनियों में खून जमने के बाद जान संकट में पड़ सकती है।

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