गोरखपुर : बुढ़िया माई मंदिर में पूरी होती हैं भक्तों की सभी मनोकामनाएं

गोरखपुर (हि.स.)। सनातन धर्म को मानने वाले बुढ़िया माता मंदिर में विशेष आस्था रखते हैं। बुढि़या माई मंदिर गोरखपुर शहर से लगभग 10 किलोमिटर पुरब मे गोरखपुर-कसया मार्ग पर कुसम्ही जंगल में स्थित है। मुख्य मार्ग से एक सड़क निकली है जो मंदिर तक जाती है। माता का मंदिर जंगल मे स्थित है। माता के दो मंदिर हैं दोनों मंदिर के बीच एक प्राचीन नाला है। जब इस नाले में पानी रहता है तो लोग नाव के सहारे इस मंदिर से उस मंदिर के तरफ जाते हैं। यहां का प्राकृतिक सौन्दौर्य मन मोह लेता है। 
मंदिर के पुजारी रामानन्द बताते हैं कि सैकड़ों वर्ष पूर्व यहा बहुत घना जंगल था। यह जंगल तो आज भी है और जंगल के बीच एक नाला बहता था जो काफी बडा था और उस नाले पर लकडी का पुल बना हुआ था। एक बार एक बारात उस रास्ते से होकर जा रही थी। तभी उस पुल पर एक बुढ़ि़या माई सफेद साड़ी में दिखी, बारात मे शामिल नाच दिखाने वाले जोकरो से बुढि़या माई ने नाच दिखाने को कहा तो सारे जोकर बुढ़ि़या का मजाक उड़ाने लगे और कहने लगे की बुढ़ि़या नाच देखेगी लेकिन उसमें से एक जोकर ने बासुरी बजाकार नाच दिखाया, जिस पर बुढ़ि़या माई ने उसे इसारा किया की लौटते समय तुम बारात के साथ पुल पर मत आना। जब तिन दिन बाद बारात लौटी तो वही बुढ़ि़या माई पुल की दुसरी तरफ मिली और वह जोकर जिसने नाच दिखाया था। वह पुल के उसी तरफ रुक गया, जैसे ही बारात पुल के बिच आयी पुल टुट गया और सभी पानी में गिर गये और सबकी मौत हो गयी। बस वह जोकर ही बचा था। इसके बारे में जब लोगों को पता चला तो यहां पूजा अर्चना की जाने लगी। 
एक और जनश्रुति है कि प्रचीन समय में यहां थारू जनजाति के लोग निवास करते थे। जो पिंडी के रूप में वनदेवी की पूजा करते थे। माता ने एक मरे व्यक्ति को जिंदा किया था। ऐसा कहा जाता है कि बिजहरा गाव निवासी जोखु सोखा की मौत के बाद परिजनों ने उनका शव तुर्रा नाले में बहा दिया था, उनका शव बहते-बहते जंगल के बीच बने पिंडियो के पास जाकर रुका और वहां बुढ़ि़या माई प्रकट हुईं उनको जिंदा कर दिया। तब से जोखु सोखा माता की पुजा-अर्चना करने मे लग गये। 
जोखु सोखा ने जिस रुप मे माता को देखा था उसी रुप में माता की मूर्ती और मंदिर बनवाया। अब जोखु सोखा नहीं रहे। मंदिर की पुरी देख-रेख उनके तीन बेटे राजेंद्र सोखा, रामानंद सोखा और राम आसरे करते हैं। माता मंदिर में चैत्र और शारदिय नवरात्र में और आम दिनों में भी माता के मंदिरों में श्रद्धालुओं की लाइन लगी रहती है। लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण अपेक्षाकृत कम श्रद्धालु आ रहे हैं। 
ग्राम प्रधान जंगल रामगढ़ उर्फ़ रजही के प्रधान रणविजय सिंह ने बताया कि 12 अक्टूबर 2017 को राजस्व गांव का दर्जा मिला। इसके बाद 605 एयर ज़मीन बुढ़िया माता पूजा स्थल के रूप में दर्ज किया गया। यह क्षेत्र रजही के खाले टोला वनटांगिया के अंतर्गत आता है। यह गांव सांसद आदर्श गांव के रूप में चयनित है। सांसद रवि किशन ने यहां हाल ही में परिसर में फैली गंदगी की स्वयं सफाई की थी। सांसद ने यहां सामुदायिक शौचालय के निर्माण के लिए 10 लाख की राशि भी दी है। विधायक विपिन सिंह ने विधायक निधि से 10 लाख बजट का इंटरलॉकिंग का कार्य यहाँ कराया है। पंचायत स्तर पर यहां स्थायी दुकानदारों के लिए चबुतरे और शेड का निर्माण कार्य भी जल्द शुरू हो जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जब भी समय मिलता है वह माता के दर्शन के लिये आते हैं। यहां के सुंदरीकरण और विकास के सभी कार्यों का निरीक्षण भी करते हैं। 

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