गोरखपुर-बस्ती मंडल: हाईस्कूल-इंटर में घट गए परीक्षार्थी

गोरखपुर (हि.स.)। यूपी बोर्ड परीक्षा 2021 में गोरखपुर-बस्ती मंडल में हाईस्कूल में 11 हजार 379 छात्र कम हो गए हैं। इंटरमीडिएट में 16 हजार 540 छात्रों की संख्या भी घट गई है। विभाग और विशेषज्ञ इसे कोरोना का प्रभाव और देहात क्षेत्र में दसवीं पास कर चुके छात्रों का रुझान रोजगारपरक तकनीकी शिक्षा के प्रति बढ़ने को मान रहे हैं। हालांकि, परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा छात्रों को तीसरी बार एक और मौका देने की योजना बना रहा है।
यूपी बोर्ड प्रशासन ने नौ जून से पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। कोरोना की स्थिति को देखते हुए पंजीकरण की अंतिम तिथि में दो बार 05 अगस्त और फिर 10 सितम्बर का इजाफा हुआ। बावजूद इसके नतीजा सुखद नहीं रहा। विभागीय सूत्रों की मानें तो अगर पंजीकरण की तिथि नहीं बढ़ाई गई होती तो यह संख्या काफी कम हो सकती थी। अब एक और मौका देने की बात चल रही है।
कुछ ऐसा है बस्ती जिले का हाल
बस्ती जिले में वर्ष 2019 में हाईस्कूल में 42 हजार 17 छात्रों ने पंजीकरण कराया था, जबकि साल 2020 में यह संख्या बढ़कर 42 हजार 167 हो गई है। इंटरमीडिएट में पिछले साल 34 हजार 711 ने पंजीकरण कराया था, लेकिन इस साल यह संख्या 34 हजार 138 पर सिमट गई है।
महराजगंज की कुछ ऐसी है स्थिति महराजगंज में स्थिति उलट है। वहां हाईस्कूल में महज 72 छात्र घटे हैं। लेकिन दूसरी ओर इंटर में रिकार्ड 03 हजार 970 परीथार्थियों की संख्या बढ़ गई है।
गोरखपुर में सर्वाधिक गिरावट
सर्वाधिक गिरावट गोरखपुर जिले में हुई है। यहां 2019 के मुकाबले हाईस्कूल में 11 हजार 961 छात्र घट गए हैं। इंटर में भी पिछले साल की अपेक्षा इस साल परीक्षार्थियों की संख्या में 05 हजार 837 छात्रों की कमी आई है।
रोजगारपरक शिक्षा में बढी रुझान : डीआईओएस
डीआईओएस डॉ. ब्रजभूषण मौर्या कहते हैं कि कुछ साल से देहात क्षेत्र के 10वीं पास युवा सबसे पहले आईटीआई और फिर पॉलीटेक्निक को तवज्जो दे रहे हैं। इंटर में भी छात्रों की संख्या घटने के पीछे यह भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है। सभी रोजगार परक शिक्षा को तवज्जो दे रहे हैं। कोरोना काल को देखते हुए बोर्ड परीक्षार्थियों को पंजीकरण के लिए दो बार अंतिम तिथि बढ़ाई गई थी। बावजूद इसके पिछले साल की तुलना में संख्या में कुछ अंतर है। 
कोरोना इफेक्ट से कम हुई संख्या
डॉ. सर्वेष्ट मिश्रा कहते हैं कि ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरे जाने के चलते अधिकतर छात्र घर से बाहर निकले ही नहीं। या फिर यूं कहें कि एहतियातन उनके माता-पिता ने उन्हें घर से बाहर निकलने ही नहीं दिया। दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि अभी भी ग्रामीण इलाकों के छात्र ऑनलाइन फार्म भरने का तरीका नहीं जानते हैं। वहां साइबर कैफे भी नहीं होते हैं।

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