कोरोना का कहर : पितृ पक्ष में पहली बार विमल तीर्थ पिशाचमोचन कुंड पर पसरा सन्नाटा

– त्रिपिंडी श्राद्ध पर रोक, पंडे-पुरोहित और जजमान मायूस


वाराणसी। कोरोना संकट के चलते पहली बार पितृपक्ष के प्रतिप्रदा श्राद्ध तिथि पर बुधवार को विमल तीर्थ पिशाचमोचन कुंड और गंगा घाटों पर सन्नाटा पसरा रहा। सैकड़ों वर्ष पुरानी परम्परा में अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म कराने कोई जजमान कुंड और घाट पर नहीं पहुंचा। इसके चलते पंडे और पुरोहित भी मायूस दिखे। हालांकि इसके लिए बीते मंगलवार की शाम तीर्थ पुरोहित समाज और जिला प्रशासन के अफसरों के साथ बैठक में सहमति बन गई थी। 
तीर्थ पुरोहित समाज के मुन्ना पांडेय और उनके पुत्र नीरज पांडेय ने बुधवार को बताया कि पिशाच मोचन कुंड पर पितृपक्ष के दौरान सभी आयोजन निरस्त कर दिए गए हैं। पितृपक्ष के दौरान होने वाले विधि-विधान व त्रिपिंडी श्राद्ध पिशाचमोचन कुंड पर आयोजित करने पर प्रशासन ने रोक लगा दिया है। मुन्ना पांडेय ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वह घर पर ही रहकर अपने पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करें। गंगा के लम्बे घाटों पर भी पुलिस के पहरे के चलते कोई यजमान श्राद्ध कर्म कराने नहीं पहुंचा। कहीं-कही एक्का दुक्का लोग चोरी छुपे श्राद्ध कर्म कर परम्परा के निर्वहन के लिए परेशान दिखे। 
बताते चलें कि पितृ पक्ष में गंगा घाटों और विमल तीर्थ पिशाचमोचन कुंड पर अपने पूर्वजों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाने के लिए लोग श्राद्ध कर्म कराने पहुंचते हैं। सनातन धर्म में मान्यता है कि पिशाचमोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है। त्रिपिंडिक श्राद्ध की इस विधि और पिशाच मोचन तीर्थस्थली का वर्णन गरुण पुराण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। 
पितृ पक्ष की अन्य तिथियों में तृतीया श्राद्ध 4 सितंबर, चतुर्थी श्राद्ध 6 सितंबर, पंचमी श्राद्ध 7 सितंबर, षष्ठी श्राद्ध 8 सितंबर, सप्तमी श्राद्ध 9 सितंबर, अष्टमी श्राद्ध 10 सितंबर,नवमी श्राद्ध 11 सितंबर, दशमी श्राद्ध 12 सितंबर, एकादशी श्राद्ध 13 सितंबर, द्वादशी श्राद्ध 14 सितंबर, त्रयोदशी श्राद्ध 15 सितंबर, चतुर्दशी श्राद्ध 16 सितंबर, अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को है।

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