एनडीए में भाजपा-जदयू के बीच बेगूसराय में बढ़ रही दूरी

बेगूसराय (हि.स.)। बिहार के एनडीए सरकार को जदयू और भाजपा दोनों मिलकर चला रही है। एनडीए के शासनकाल में बिहार विकास के सभी मानकों पर तेजी से अग्रसर है लेकिन दोनों दल के अंदर मानसिक गठबंधन कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कम से कम बेगूसराय में लंबे समय से चली आ रही दोनों दल के बीच की दूरी अब सड़कों पर दिखने लगी है। पिछले तीन दिनों के अंदर बेगूसराय में भाजपा और जदयू के जनप्रतिनिधियों के बीच हो रहा उठापटक इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। बेगूसराय के भाजपा विधायक कुंदन कुमार का शराबबंदी कानून की समीक्षा के लिए बयान देना।

भाजपा विधायक के इस बयान पर जदयू विधायक राजकुमार सिंह सहित सभी बड़े जदयू नेताओं का पलटवार करना। शहीद लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार के नाम पर चौक के नामकरण का कार्यक्रम तय होना, जदयू विधायक को आमंत्रित नहीं करने पर कार्यक्रम का रद्द होना। एनटीपीसी बरौनी में होने वाले लोकार्पण समारोह में केंद्रीय प्रतिष्ठान रहने के बाद भी सभी जगहों से प्रधानमंत्री का फोटो गायब रहना, भाजपा विधायक को आमंत्रित नहीं करना आदि कई ऐसे उदाहरण मिलते जा रहा हैं, जिससे स्पष्ट हो रहा है कि दोनों दलों के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। इस संबंध में भाजपा एवं जदयू दोनों दलों के जिलाध्यक्ष भले ही कुछ नहीं बोलेें, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच इसकी चर्चा तेज हो गई है और उनमें इस दूरी को लेकर आक्रोश भी है। 27 नवंबर को मुख्यमंत्री द्वारा केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के आमंत्रण पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का नाम छपा हुआ था। कार्यक्रम से एक दिन पहले गिरिराज सिंह ने स्थल निरीक्षण भी किया, लेकिन बिहार में मौजूद रहते हुए भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की जोर-जोर से चर्चा हो रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कार्यक्रम का प्रारूप फाइनल हो जाने के बाद मात्र एक दिन पहले शुक्रवार को एनटीपीसी के अधिकारियों ने बेगूसराय में गिरिराज सिंह से मिलकर कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया। जिसके बाद उसी दिन शाम में गिरिराज सिंह ने एनटीपीसी जाकर कार्यक्रम स्थल का मुआयना किया। लेकिन शनिवार को आयोजित समारोह में शामिल नहीं हुए। कहा जा रहा है कि कार्यक्रम को लेकर एनटीपीसी में सैकड़ों बैनर लगाए गए थे। लेकिन इस केंद्रीय संस्थान के महत्वपूर्ण कार्यक्रम में किसी भी बैनर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो नहीं लगाया गया था। जिससे आक्रोशित होकर गिरिराज सिंह कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। कहा तो यह भी जा रहा है एनटीपीसी को प्रोटोकॉल के अनुसार तेघड़ा विधायक को बुलाना ही था, लेकिन साथ में मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह को भी बुलाया गया। जिससे भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश है, कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिले के सभी विधायक को बुलाया जाना चाहिए था, लेकिन साजिश के तहत इसे जदयू का राजनीतिक कार्यक्रम बना दिया गया। फिलहाल एनटीपीसी में दोनों यूनिट से लंबे समय से हो रहे विद्युत उत्पादन के बाद अब लोकार्पण की औपचारिकता पूरी कर ली गई है। जिसमें मुख्यमंत्री और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के शामिल होने की जोरदार चर्चा हो रही है, कार्यक्रम की भव्यता पर भी बहस हो रहा है। लेकिन कार्यक्रम और उसकी भव्यता से भी अधिक बहस गिरिराज सिंह के अनुपस्थिति की हो रही है। कुल मिलाकर भाजपा और जदयू जनप्रतिनिधि के बीच बढ़ रही दूरी आगे जहां तक पहुंचे, लेकिन विकास के हित में यह दूरी ठीक नहीं है।

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