उप्र के बिजली अभियंता आक्रोशित, ऊर्जा निगमों पर लगाया उत्पीड़न का आरोप

-सरकार से की समस्याओं के निराकरण की मांग, आंदोलन की भी दी चेतावनी

लखनऊ(एजेंसी)।  उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगमों में अधिकारियों और अभियंताओं में टकराव की स्थिति बन रही है। बिजली अभियंताओं ने ऊर्जा निगमों पर उत्पीड़न, भयादोहन और फिजूलखर्ची का आरोप लगाया है। अभियंताओं ने सरकार से इसके निराकरण की मांग की है। अभियंता संघ ने रविवार को आनलाइन बैठक कर निर्णय लिया कि यदि उनकी समस्याओं का समुचित निराकरण नहीं होगा तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। 
ऊर्जा निगमों की कार्यप्रणाली से नाराज अभियन्ताओं के दबाव में अभियंता संघ के प्रदेशभर के पदाधिकारियों ने आज वीडियो काॅन्फ्रेसिंग के माध्यम से आपात बैठक की और निगम प्रबन्धन के प्रति आक्रोश व्यक्त किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि अभियन्ताओं के मान-सम्मान तथा कैरियर से खिलवाड़ एवं उत्पीड़न को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। 
विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह एवं महासचिव प्रभात सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ माहों से कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा बिजली अभियन्ताओं के प्रति द्वेषपूर्ण भावना एवं पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दण्डात्मक कार्रवाईयां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अनावश्यक जांचों का कुचक्र चलाकर अभियन्ताओं के मान-सम्मान तथा कैरियर से खिलवाड़ एवं उत्पीड़न किया जा रहा है। प्रबन्धन का मनमानापन इस हद तक बढ़ गया है कि 30 जून को अभियन्ताओं के जारी होने वाले पदोन्नति आदेश अकारण रोक लिये गये हैं। 
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लाॅकडाउन के कठिन एवं भयानक दौर में बिजली अभियनताओं द्वारा किये गये कार्यों को प्रोत्साहित करने की बजाय निगम प्रबन्धन द्वारा दण्डात्मक कार्यवाहियां की जा रही हैं।  
संघ के अध्यक्ष व महासचिव ने कहा कि एक तरफ कारोना संकट के बावजूद प्रबंधन द्वारा राजस्व बढ़ाने के लिए अभियन्ताओं पर दबाव बनाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर सभी ऊर्जा निगमों में फिजूलखर्ची, सरकारी धन की लूट व चाटुकारिता चरम पर है। अभियंता संघ ने मांग की है कि ऊर्जा निगमों में फिजूल खर्ची रोकने के लिए गैर-विभागीय निदेशकों, 60 साल से ऊपर के समस्त निदेशकों व सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियोजित सभी सलाहकारों व व्यक्तियों की सेवायें तत्काल समाप्त की जानी चाहिये। उनकी यह भी मांग है कि निदेशक (आईटी) के नये अनावश्यक पद को समाप्त करने, अनावश्यक ऐप व पोर्टल एवं ईआरपी प्रोजेक्ट तथा उसके प्रशिक्षण के नाम पर की जा रही खानापूर्ति व सरकारी धन की लूट बन्द की जाये। दोनों पदाधिकारियों का दावा है कि ऐसा करने से कारपोरेशन के 500 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि की बचत होगी।
आज की बैठक में ज्वलन्त मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करते हुए अभियन्ताओं द्वारा जीपीएफ एवं सीपीएफ ट्रस्ट में जमा धनराशि के निवेश का ब्योरा सार्वजनिक किये जाने के साथ-साथ मार्च तक की स्लिप अतिशीघ्र उपलब्ध कराये जाने, झटपट एवं निवेश मित्र पोर्टल की व्यवहारिक कमियों को दूर करने, क्षेत्रों में मानकों एवं आवश्यकतानुसार मैन, मनी, मेटीरियल तथा बुनियादी सुविधायें उपलब्ध कराने, ईएण्डएम व आईटी के नाम पर अभियन्ताओं के मध्य भेद-भाव समाप्त करने की मांग की गयी। साथ ही उपभोक्ता हित में प्रस्तावित सभी योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं उपभोक्ता सेवा को और बेहतर बनाने के उपायों पर भी चर्चा हुई।
अभियन्ताओं ने कहा कि यदि ऊर्जा निगमों में प्रबन्धन का मनमानापन, उत्पीड़नात्मक एवं भयादोहन, नकारात्मक, द्वेषपूर्ण व फिजूलखर्ची वाली कार्य प्रणाली समाप्त नहीं की गयी तो पूरे प्रदेश के बिजली अभियन्ता प्रदेशव्यापी आन्दोलन करने को बाध्य होंगे। बिजली अभियन्ताओं ने सरकार से मांग की कि ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशान्ति एवं टकराव टालने हेतु प्रबन्धन को स्वस्थ कार्य प्रणाली व अभियन्ताओं का उत्पीड़न रोकने हेतु निर्देशित किया जाये।
बैठक में शैलेन्द्र दुबे, चेयरमैन एआईपीईएफ, अध्यक्ष वीपी सिंह, महासचिव प्रभात सिंह, निर्वतमान अध्यक्ष जीके मिश्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पल्लब मुखर्जी, अखिलेश कुमार सिंह, दिनेश चन्द्र दीक्षित, संदीप पाण्डेय, सीपी सिंह, रमाकान्त वर्मा, रणवीर सिंह, चन्द्रशेखर, सुबोध झा और उपेन्द्र पटेल समेत कई पदाधिकारी उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/पीएन द्विवेदी  
Submitted By: P.N. Dwivedi Edited By: Deepak Yadav Published By: Deepak Yadav at Jul 19 2020 7:37PM

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