इलेक्ट्रॉनिक्स-सॉफ्टवेयर उत्पादों का निर्यात 10 हजार करोड़ से बढ़ाकर 100 हजार करोड़ करने का लक्ष्य


लखनऊ। अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डॉ. नवनीत सहगल ने कहा कि प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सॉफ्टवेयर उत्पादों के निर्यात के वर्तमान 10 हजार करोड़ के स्तर को आगामी तीन वर्षो में बढ़ाकर 100 हजार करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य है। प्रदेश में नई निर्यात नीति निरूपित की जा रही है, जिसमें उत्तर प्रदेश के निर्यातकों को अधिक से अधिक सुविधाये दी जायेगी। 
उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइिंग बिजनेस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के निर्माताओं और निर्यातकों को हर संभव सहायता देना सरकार की प्राथमिकता है। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के मामले में अभी हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश को द्वितीय स्थान पर आने का गौरव मिला है।
डॉ. सहगल शुक्रवार को उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन परिषद एवं इलेक्ट्राॅनिक्स तथा कम्प्यूटर साॅफ्टवेयर एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबिनार को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एमएसएमई एक्ट लागू किया गया है, जिसके अन्तर्गत प्रदेश में उद्यम स्थापना की इच्छुक इकाइयों को उद्यम स्थापना के लिए मात्र 72 घण्टे में एक्नालेजमेण्ट निर्गत करने की व्यवस्था की गई है। इसके तहत उद्यमी अपना उद्यम स्थापित करते हुये अगले एक हजार दिनों में उद्योग की स्थापना संबंधी विभिन्न विभागों द्वारा निर्गत की जाने वाली स्वीकृतियां प्राप्त कर सकेगा।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश की प्रोक्योरमेण्ट पाॅलिसी में भी यह स्पष्ट कर दिया गया है कि विभागों द्वारा किये जा रहे समस्त क्रय का 25 प्रतिशत प्रदेश की एमएसएमई इकाइयों से ही लिया जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार भारत सरकार की ब्राॅण्डेड मैन्यूफैक्चरिंग योजना की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में विभिन्न करों और शुल्क पर छूट देने पर विचार कर रही है। सामूहिक सुविधा केन्द्रों की स्थापना पर अधिक छूट देने का प्रस्ताव भी स्वीकार कर लिया गया है।
अपर मुख्य सचिव,आईटी ऐण्ड इलेक्ट्रॉनिक्स आलोक कुमार ने भी काउंसिल के सदस्यों को संबोधित करते हुये प्रदेश की इलेक्ट्रॉनिक्स से संबंधित नई पाॅलिसी पर विस्तार से बताया। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा इस संबंध में दी जा रही सुविधाओं के बारे में बताते हुए कहा कि निर्माताओं को भारत सरकार द्वारा मिलने वाली छूट के अतिरिक्त प्रदेश से भी छूट दी जा सकेगी। पूर्वांचल अथवा बुदेलखण्ड के लिये इस पाॅलिसी में विशेष अनुदान दिये जायेंगे।
इलेक्ट्राॅनिक्स तथा कम्प्यूटर साॅफ्टवेयर एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल द्वारा मांग की गयी कि साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर के क्षेत्र में विशेष रूप से दक्षता तथा विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। इसके लिये तकनीकी संस्थानों में इसी अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार किया जाना आवश्यक है। डॉ. सहगल ने अवगत कराया कि निकट भविष्य में एक बेबीनाॅर आयोजित किया जायेगा, जिसमें प्रदेश के महत्वपूर्ण तकनीकी संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ इस विषय में विचार विमर्श किया जायेगा। काउंसिल के सदस्यों की मांग पर यमुना एक्सप्रेस-वे तथा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रतिनिधियों को भी बेबिनाॅर में आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने अवगत कराया कि नोएडा में सेक्टर-21 और सेक्टर-28 में लगभग 900 एकड़ भूमि इलेक्ट्रानिक्स मेगा सिटी के लिये ही आरक्षित की गई है। इसके लिये निवेश मित्र पोर्टल पर आवेदन किया जा सकता है। प्राधिकरण के प्रतिनिधि ने काउंसिल के सदस्यों के साथ जल्द ही एक बैठक करने तथा साइट विजिट कराने का प्रस्ताव भी रखा।  
इलेक्ट्राॅनिक्स तथा कम्प्यूटर साॅफ्टवेयर एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल के अध्यक्ष संजीव नरूला ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विश्वस्तरीय अवस्थापना के विकास की सराहना करते हुए प्रदेश में इलेक्ट्रानिक्स तथा साॅफ्टवेयर उद्योगों के क्षेत्र में अपार सम्भावनायें होने की बात कही। काउंसिल के उपाध्यक्ष हार्डवेयर  विनोद शर्मा, उपाध्यक्ष साफ्टवेयर नलिन कोहली, अधिशासी निदेशक गुरमीत सिंह ने अपने भी सदस्य इकाइयों की समस्याओं तथा सुझावों के सम्बन्ध में अवगत कराया। सहगल ने सदस्यों को आस्वस्त किया कि प्रदेश सरकार उनकी समस्याओं पर गम्भीरता पूर्वक विचार करेगी तथा सुझावों को अमल में लाने का प्रयास करेगी।
इस बेबिनाॅर में कम्प्यूटर एवं साफ्टवेयर उद्योग जगत के प्रमुख उद्यमियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। बेबीनाॅर में काउंसिल के भारतीय सदस्यों के अतिरिक्त काउंसिल के फ्रांस, जर्मनी, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मलेशिया, यूएई, ओमान तथा हांगकांग देशों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। 

error: Content is protected !!