अब संजीत अपहरण कांड में हो रही Kanpur Police की किरकिरी

प्रादेशिक डेस्क

लखनऊ। पूरब के मैनचेस्टर के रूप में विख्यात उत्तर प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक नगरी कानपुर बीते पखवारे से अपराध के मामलों के कारण सुर्खियों में है। कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के साथ ही कानपुर में अब संजीत यादव अपहरण कांड काफी चर्चा में है। इन दोनों मामले में पुलिस तथा अपराधी के बीच तालमेल की पोल खुल रही है और पुलिस विभाग कठघरे में है। कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपित विकास दुबे तथा उसके खास गुर्गों के एनकांउटर के बाद पुलिस थोड़ा सा राहत लेने की ओर थी कि अपराधी तथा पुलिस का एक और मामला सामने आ गया है। विकास दुबे के मामले में पुलिस पर जबरदस्त दबाव था और किसी तरह पुलिस उससे निपट पाई कि बर्रा का अपहरण कांड पुलिस के लिए मुसीबत बन रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा और सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के ट्वीट के बाद सियासी दबाव बढ़ने लगा है। सम्बल मिलने के बाद अपहृत युवक की बहन ने भी बयान बदल दिया है।
बर्रा में अपहर्ताओं को पीड़ित परिवार से 30 लाख रुपये की फिरौती दिलवाने के बाद भी लैब टैक्नीशियन संजीत यादव को छुड़ाने में नाकाम बर्रा के चर्चित थाना प्रभारी रणजीत राय को एसएसपी ने निलंबित कर दिया है। उनके स्थान पर सर्विलांस सेल प्रभारी को नया थाना प्रभारी बनाया गया है। अपहरण कांड में सर्विलांस सेल की नाकामी के बाद भी उसके प्रभारी को थानाध्यक्ष बनाने पर एसएसपी के फैसले पर उंगलियां उठ रही हैं। बताया जाता है कि अपहरण के बाद से एक ही मोबाइल नम्बर से लगातार अपहर्ता परिजनों के सम्पर्क में रहे। इसके बावजूद सर्विलांस सेल उनकी लोकेशन ट्रेस करके गिरफ्तारी कराने में विफल रही। इतना ही नहीं, परिजनों द्वारा कथित रूप से रुपयों से भरा थैला (चाहे उसमें रद्दी कागज ही भरा रहा हो) लेकर भी बदमाश फरार हो गए और उनकी गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाए पुलिस बैठी रह गई। यह वही बहादुर कानपुर की पुलिस है, जो बिकरू काण्ड के अभियुक्तों को पकड़े जाने के बाद ठोंकती तो रही है, किन्तु गिरफ्तारी करने में छक्के छूट जाते रहे हैं। इस बीच अपहृत संजीत यादव का अब तक कुछ भी पता नहीं चला है। पुलिस को उसकी या बदमाशों की कोई लोकेशन नहीं मिली है।

थानेदार की अपराधियों से मिलीभगत

इस बीच बर्रा से हटाए गए थानेदार रणजीत राय का खनन माफिया के साथ बातचीत का ऑडियो भी वायरल हुआ है। इसमें वह खनन माफिया का साथ देते हुए सुनाई पड़ रहे हैं। इसके बाद सवाल उठने लगा है कि कानपुर के अधिकांश थानेदार अपराधियों से ही मिले हैं। बर्रा पांच की एलआइजी कॉलोनी निवासी चमन सिंह यादव के बेटे संजीत का 22 जून को अपहरण हो गया था। 29 तारीख को अपहरणकर्ता का फोन आने के बाद बीती 13 जुलाई को परिवारवालों ने 30 लाख रुपये की फिरौती भी दे दी, लेकिन अब तक संजीत का पता नहीं लगा है। पुलिस को घटनास्थल और सर्विलांस के जरिए पीड़ित परिवार के ही करीबियों पर शक है। पुलिस क्षेत्र में रहने वाले कुछ बदमाशों की भी तलाश कर रही है।

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