Saturday, November 15, 2025
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 सुलतानपुर का ऐतिहासिक दुर्गापूजा महोत्सव दशहरे से शुरू, पूर्णिमा को होगा विसर्जन

सुलतानपुर(हि.स.)। देश में कलकत्ता शहर के बाद अयोध्या के निकट बसे कुशभवनपुर(सुलतानपुर) का दुर्गा महोत्सव अपना स्थान बना रहा है। यहां पर दशहरा के दिन से पण्डालों की सजावट शुरू होती है। श्रद्धालुओं की संख्या तथा सज्जा में भले कलकत्ता का पहला स्थान हो, किंतु अन्य मायनों में सुलतानपुर की दुर्गापूजा अपने आप में इकलौती है। पांच दिनों तक अलग-अलग तरह से होने वाली भव्य सजावट और दुर्गा जागरण से शहर अलौकिक हो उठता है। यहां का विसर्जन सबसे आकर्षक होता है जो परंपरा से हटकर पूर्णिमा को सामूहिक शोभायात्रा के रूप में शुरू होकर लगभग 36 घंटे में सम्पन्न होता है।

उल्लेखनीय है कि प्रभु श्रीरामचंद्र की अयोध्या से लगभग 65 किलोमीटर, प्रयागराज से 100 तथा बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी से 155 किलोमीटर की दूरी पर बसे कुश की नगरी कुशभवनपुर (सुलतानपुर) स्थित है। गोमती नदी के तट पर स्थित प्राचीनकाल में इसे भगवान कुश ने बसाया था। जिसके कारण इसे कुशभवनपुर के नाम से भी जाना जाता है।

– लगभग सात सौ पूजा पंडालों में होती है मूर्तियों की स्थापना

केन्द्रीय दुर्गापूजा समिति के मीडिया प्रभारी सत्य प्रकाश गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में शहर व आसपास क्षेत्रों में ढाई से तीन सौ के आसपास और जनपद भर में करीब सात सौ से ज्यादा मूर्तियां प्रतिवर्ष स्थापित की जा रही हैं। जिसमें प्रतिवर्ष दो चार का इज़ाफा ही हो रहा है।

उन्होंने बताया कि जिले की पहचान और गौरव दुर्गापूजा महोत्सव के रुप में इसलिये और बढ़ गया कि दशमी के दिन देश व प्रदेश के अन्दर मूर्तियां विसर्जित कर दी जाती हैं, पर यहां कुछ अलग ही परम्परा का इतिहास है। दशमी के दिन रावण का पुतला फूंके जाने के पूर्व नौ दिनों तक शहर के रामलीला मैदान में सम्पूर्ण रामलीला की झांकी प्रस्तुत की जाती है और उसके बाद दशमी के दिन से सात दिनों तक दुर्गापूजा मेले का आयोजन होता है। जिसमें भरत-मिलाप से लेकर विविध कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

उन्होंने बताया कि जनपद को देश के अन्दर पहला स्थान मिलने का एक मुख्य वजह यह है कि वर्ष 1983 के बाद से शहर के अन्दर जगह-जगह अनेक मंदिरों का दृश्य कारीगरों द्वारा पंडाल के रुप में देखने को मिलता है। साथ ही आने वाले दूर दराज के लोगों के लिये विशाल भंडारे के आयोजन के साथ दवा से लेकर हर आवश्यक सुविधा स्थानीय स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा यहां मुहैया कराई जाती है।

सत्य प्रकाश गुप्ता ने बताया कि सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम का समापन विसर्जन के रुप में करीब 36 घंटों के बाद सीताकुंड घाट पर होता है। जिसे देखने के लिये आसपास जिलों के हजारों लोग जमा होते हैं। ऐसे में शहर के अंदर तिल रखने की भी जगह नहीं होती।

केन्द्रीय पूजा व्यवस्था समिति के पूजा प्रबंधक बाबा राधेश्याम सोनी की मानें तो आज भिखारीलाल सोनी इस दुनिया में नहीं है, पर उनके द्वारा रखी गई दुर्गापूजा महोत्सव की नींव मजबूत होती चली जा रही है। राधेश्याम की मानें तो उनका जनपद भारतीय संस्कृति एवं एकात्मता की मिसाल है। दुर्गापूजा की समितियों में मुस्लिम सदस्य भी हैं और तमाम मुस्लिम विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से दुर्गा भक्तों के सहयोग में लगे रहते हैं।

ऐतिहासिक दुर्गा पूजा महोत्सव में सोमवार की रात्रि नगर के चौक में मेला संचालन के लिए केंद्रीय पूजा व्यवस्था समिति के नियंत्रण कक्ष और मेलार्थियों के सहयोगार्थ जिला सुरक्षा संगठन का शिविर का जिलाधिकारी कृत्तिका ज्योत्स्ना व पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा ने मां दुर्गा की पूजा अर्चना कर व फीता काटकर शुभारम्भ किया। इसी के साथ दुर्गापूजा महोत्सव का प्रारंभ हो गया।

जिले की जिलाधिकारी कृत्तिका ज्योत्स्ना व पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा ने सभी से मिलकर आस्था, उल्लासपूर्व और शांतिपूर्वक शामिल होने का आह्वान किया। केंद्रीय पूजा व्यवस्था समिति के नियंत्रण कक्ष में कार्यक्रम की अध्यक्षता अध्यक्ष ओम प्रकाश पांडेय व संचालन महामंत्री सुनील श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम को केंद्रीय पूजा व्यवस्था समिति के सरंक्षक रज्जन सेठ, कोषाध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल तथा जिला सुरक्षा संगठन के शिविर में संरक्षक कमल नयन पांडेय, आशीष अग्रवाल, जिला संयोजक सुंदर लाल टंडन, अध्यक्ष बलदेव सिंह, महासचिव नैय्यर रजा, डॉ राजीव श्रीवास्तव आदि ने सम्बोधित किया।

दयाशंकर

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