गोरखपुर। बथुआ का नाम आते ही साग प्रेमियों के मुंह में पानी आने लगता है। सागों का सरदार कहे जाने वाले बथुआ सबसे अच्छा आहार है। अनादि काल से भारत में साग और रायता बनाकर खाये जाने वाले इस खाद्य पदार्थ में न सिर्फ स्वाद है बल्कि इसमें अनेक पोषक तत्व भी हैं। आइये, इसके गुणों को जानते हैं:
कृषि वैज्ञानिक डा. संजय कुमार द्विवेदी की मानें तो बथुआ में विटामिन बी1, बी2, बी3,बी5, बी6, बी9 और सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। बथुए में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटेशियम , सोडियम व जिंक जैसे मिनरल्स भी मिलते हैं। डा. द्विवेदी के मुताबिक 100 ग्राम कच्चे बथुवे के पत्तों में 07.30 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 04.20 ग्राम प्रोटीन व 04 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। इतनी मात्रा में कुल 43 कैलोरी मिलती है।
मांसाहार से अधिक प्रोटीन
आयुर्वेदाचार्य डा. प्रेमनारायण मिश्र का कहना है कि बथुआ को मट्ठा, लस्सी या दही में मिलाकर भी खाया जाता है। ऐसा करने से यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला खाद्य पदार्थ बन जाता है। इतना ही नहीं, किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार भी है। बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डली के साथ बथुआ को खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए है रामबाण
आयुर्वेदाचार्य डा. मिश्र कहते हैं कि बथुआ गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे फायदेमंद है। यह एक औषधि के रूप में रामबाण है। आजकल गर्भवतियों के इलाज के दौरान हर चिकित्सक विटामिन की गोलियां खाने की सलाह दे रहा है। खासतौर पर विटामिन बी, सी व आयरन की गोली बताई जा रही है। बथुए में यह सब है। हम कह सकते हैं कि बथुआ का सेवन पहलवानों से लेकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों से लेकर बूढों तक के लिए अमृत है। आयुर्वेदाचार्य डा. मिश्र की मानें तो प्रतिदिन बथुआ का साग खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। अमाशय भी बलवान बनता है। गर्मी से बढ़ा हुआ यकृत ठीक होता है। इसका सेवन निरोग जीवन का सबसे उत्तम औषधि है।
यह भी जानें
पुरातत्ववेत्ता डा. (ई.) पंकज तिवारी की मानें तो बथुआ का उपयोग शिल्पशास्त्र में भी है। महल बनाने की विधियों से जुड़ी विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक शिल्पशास्त्र में भी बथुआ का उल्लेख है। इस पुस्तक में घरों को हरा रंग करने के लिए पलस्तर (फर्श) में मिलाने का उल्लेख है। इतना ही नहीं, बुजुर्ग महिलाओं के सिर से डैंड्रफ (रूसी) साफ करने के लिए भी बथुए के पानी का उपयोग करने सम्बन्धी जानकारियां दी गयीं हैं। बथुआ के पानी से महिलाएं अपना बाल धोया करती थीं।
डा. आमोद