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ऐसे भी होती है ठगी! आप भी जानें व रहें सतर्क

राज्य डेस्क

भोपाल। ठगी करने वालों ने एमपी पुलिस के सिटीजन पोर्टल को ही उगाही का माध्यम बना लिया है और पीड़ितों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। पोर्टल से एफआईआर की कॉपी निकालकर ठग फरियादियों से रुपये की मांग कर रहे हैं। सागर पुलिस के पास ऐसी कई शिकायतें आ चुकी हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है ऐसे बहुत से मामले होंगे जिनमें पीड़ितों ने रुपये दे दिए होंगे लेकिन उनकी शिकायत नहीं हुई है। दरअसल, थाना में जब कोई व्यक्ति उसके साथ हुए अपराध की सूचना देता है तो एफआईआर दर्ज होती है। यह क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (सीसीटीएनएस) के जरिये ऑनलाइन होती है। साथ ही प्रदेश पुलिस के सिटीजन पोर्टल पर भी अपलोड हो जाती है। कोई भी व्यक्ति केवल अपने फोन नंबर से वेरिफिकेशन कराकर उस पोर्टल पर मौजूद किसी भी थाने में दर्ज एफआईआर का ब्योरा ले सकता है। एफआईआर में फरियादी का मोबाइल नंबर भी लिखा होता है। यही नंबर अब ठगों का हथियार बन गया है।
खुद को एसपी ऑफिस में कार्यरत बताते हैं
ठग एफआईआर होने के एक-दो दिनों के भीतर फरियादी को फोन कर खुद को संबंधित थाने अथवा एसपी ऑफिस में कार्यरत बताते हैं। एफआईआर की जानकारी देकर विश्वास जीतते हैं और केस के कमजोर होने का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि इससे आरोपित को मामूली सजा होगी। यह झांसा दिया जाता है कि अगर फरियादी रुपये देने को तैयार हो तो वह एफआईआर में धाराएं बदल देगी। इसके बाद आरोपित का जेल से निकलना मुश्किल हो जाएगा। कई फरियादी इसके झांसे में आ रहे हैं। ’नईदुनिया’ के पास ऐसे चार लोगों की जानकारी है जिन्होंने इसकी शिकायत पुलिस में की है। अब पुलिस इसकी जांच कर रही है। जागरूकता के लिए एडवाइजरी जारी करने की भी तैयारी है। सागर के पुलिस अधीक्षक विकास शाहवाल ने कहा कि पुलिस विवेचना संबंधी मामलों में इस तरह फोन नहीं करती। यह ठगी है। लोगों को जागरूक रहना होगा। साथ ही, स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) को एफआईआर से फरियादी का नंबर छिपाने के लिए पत्र लिखा जाएगा।

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