इको टूरिज्म के रूप में विकसित होगा टिकरी व अरगा पार्वती
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। जिले के मनकापुर क्षेत्र में स्थित टिकरी वन रेंज तथा वजीरगंज के पार्वती-अरगा पक्षी विहार को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने के लिए कोशिशें शुरू हो गई हैं। स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया ने इस क्षेत्र के एकीकृत विकास के लिए शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित पर्यावरण भवन में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर इस प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की। अपने सोशल मीडिया पेज पर यह जानकारी साझा करते हुए राजा भैया ने बताया कि उन्होंने शुक्रवार को नई दिल्ली के पर्यावरण भवन में वन महानिदेशक जितेंद्र कुमार, अपर वन महानिदेशक सुशील अवस्थी, संयुक्त सचिव सुजीत कुमार वाजपेयी व वन महानिरीक्षक रमेश पांडेय के साथ बैठक कर इन क्षेत्रों के एकीकृत विकास के लिए विस्तार से बिंदुवार चर्चा की। उन्होंने कहा कि पार्वती-अरगा पक्षी विहार तथा टिकरी वन रेंज में इको टूरिज्म की असीम संभावनाएं हैं। अगर इस क्षेत्र को इको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जाय, तो यह पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।
प्रभागीय वनाधिकारी पंकज शुक्ल ने बताया कि टिकरी वन रेंज लगभग सात हजार पांच सौ हेक्टेयर में फैला हुआ है। मनकापुर से लेकर वजीरगंज और नवाबगंज तक इस वन क्षेत्र की सीमाएं विस्तारित हैं। यह वन क्षेत्र साखू और सागौन जैसे वेश कीमती पेड़ों से समृद्ध है। अयोध्या धाम से निकट होने के कारण पर्यटन की दृष्टि से यह पूरा क्षेत्र काफी अनुकूल है और यहां इको-पर्यटन की असीम संभावनाएं है। इस क्षेत्र को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने के लिए राजा भैया की पहल पर प्रस्ताव तैयार किया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से जिले की प्रमुख पार्वती-अरगा पक्षी विहार 1084 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। यह झील पूरे वर्ष तीन दर्जन से अधिक स्थानीय और सर्दियों के मौसम में तिब्बत, चीन, यूरोप और साइबेरियन पक्षियों से गुलजार रहती है। सर्दी का मौसम शुरू होते ही अक्टूबर माह के उत्तरार्द्ध से विदेशी पक्षी यहां आने लगते हैं और करीब चार महीने तक यहां प्रवास करके मौसम बदलते ही स्वदेश लौट जाते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए कुछ पक्षियों को 5000 किमी. से अधिक की दूरी तथ 8500 मीटर से अधिक की ऊंचाई तक उड़ान भरना पड़ता है। यहां आने वाले प्रमुख प्रवासी पक्षियों में यूरेशियन कूट और मैलार्ड, ग्रेलैग गूज, नार्दर्न पिंटेल, नार्दर्न शावलर, काटन टील, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, गैडवाल शामिल हैं। इस क्षेत्र का विकास होने से यह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है। सरकार द्वारा वर्ष 1990 में पार्वती-अरगा झीलों को पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।
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