UP News : अधिग्रहण बाद भूमि खरीदने वाले को मुआवजा पाने का अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

अधिसूचना जारी होते ही जमीन सरकार की, किसी को बेचने खरीदने का हक नहीं 

प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होते ही जमीन सरकार में निहित हो जाती है। अधिगृहीत भूमि खरीदने या बेचने का किसी को अधिकार नहीं है। ऐसे में अधिगृहीत भूमि खरीदने वाले को मुआवजा पाने का भी अधिकार नहीं है। 
कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना कि याचिका में अधिग्रहण को चुनौती नहीं दी गयी है। केवल मुआवजे की मांग की गयी है। जमीन खरीदने वाले को मुआवजा पाने का अधिकार है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विपिन अग्रवाल केस में स्थापित विधि सिद्धांत को अपनाते हुए मुआवजा दिलाने की मांग में दाखिल याचिका शनिवार को खारिज कर दी। 
यह आदेश न्यायमूर्ति एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अजय कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सत्येन्द्र नाथ श्रीवास्तव व भारत सरकार के अधिवक्ता गौरव कुमार चंद ने बहस की। 
राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए जमीन अधिगृहीत की गयी। अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी गयी। इसके बाद भूमि स्वामी से याची ने बैनामा करा लिया और मुआवजे के लिए आवेदन किया और कहा कि उसने जमीन खरीद ली है। इसलिए मुआवजा उसे ही दिया जाय। एडीएम गाजीपुर ने 7 दिसम्बर 19 को यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी कि अधिग्रहण के बाद सरकार की जमीन की बिक्री खरीद मान्य नहीं है। जिसे याचिका में चुनौती दी गयी थी।

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