UP News : सम्मान नहीं मिलने पर पार्षदों ने किया सदन में हंगामा

-निगम सम्पति पर भूमाफियों के कब्जे का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठा

गाजियाबाद(हि.स.)। नगर निगम की रविवार को आयोजित बोर्ड बैठक में अधिकारियों व कर्मचारियों से सम्मान नहीं मिलने से खफ़ा पार्षदों ने हंगामा किया। बैठक में पार्षदों द्वारा खुद या अपने सम्बन्धियों द्वारा ठेकेदारी किये जाने का मामला छाया रहा।10 माह पहले शून्य घोषित की गई बैठक के पास किये गए 26 प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। 
  मेयर आशा शर्मा की अध्यक्षता में लोहिया नगर स्थित हिंदी भवन के सभागार में पार्षदों ने अधिकारियों व कर्मचारियों की अनदेखी पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए हंगामा किया। 
 नाराज पार्षदों ने आरोप लगाया कि निगम अधिकारी व कर्मचारी उनकी बातों को गंभीरता से कई बार नहीं लेते हैं यहां तक कि अपमान तक कर देते हैं। जिस पर मेयर आशा शर्मा ने निगम अधिकारियों व कर्मचारियों को हिदायत दी कि वे पार्षदों का सम्मान करें और पार्षदों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उनका निस्तारण कराएं। 
 बैठक में शिप्रा सनसिटी के पार्षद संजय सिंह ने इंदिरापुरम को नगर निगम को स्थानांतरित करने की पुरजोर तरीके से मांग की। उन्होंने कहा कि इंदिरापुरम वर्तमान में जीडीए की कॉलोनी है जबकि यहां कई पार्षद चुने गए हैं लेकिन यह नगर निगम के पास नहीं होने के कारण वहां पर विकास नहीं करा पा रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द हैंड ओवर किए जाने की प्रक्रिया पूरी की जाए। 
 इस पर भाजपा के सीनियर पार्षद राजेंद्र त्यागी ने कहा कि उन्हें कॉलोनी को टेकओवर करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसका संपूर्ण टेकओवर होना चाहिए यानी जीडीए ने जिन पार्को व अन्य स्थानों को निजी कंपनियों को निजी कंपनियों को लीज पर दे रखा है और वहां से आय प्राप्त हो रही है। वह सभी नगर निगम को हैंडओवर होने चाहिए। 
  पार्षद अनिल स्वामी ने कहा कि हैंड ओवर की पूर्ण हैंड ओवर कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए और अगली बोर्ड बैठक में इसकी प्रगति के बारे में पूछा जाना चाहिए। इसी दौरान पार्षद सरदार सिंह भाटी ने कहा कि अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा पार्षदों को सम्मान नहीं दिया जा रहा है। पार्षद के कहने पर एक सफाई नायक तक को नहीं हटाया जाता है जबकि आरडब्ल्यूए की एक छोटी शिकायत पर भी कार्रवाई निगम अधिकारी कर देते हैं, इसका समर्थन अन्य कई पार्षदों में भी किया। 
 मेयर ने कहा कि यह बात रिपीट नहीं होनी चाहिए और पार्षदों को उचित सम्मान मिलना चाहिए। पार्षदों की सहमति से ही विकास कार्य होने चाहिए। पार्षद राजेंद्र त्यागी ने सवाल उठाया कि इन दिनों निगम अधिकारी नीतिगत निर्णय अपने स्तर पर लेकर उन्हें समाचार पत्र में प्रकाशित करा रहे हैं। जो उचित नहीं है। नीतिगत निर्णय बोर्ड बैठक या का निगम कार्यकारिणी की बैठक में विचार-विमर्श के बाद ही लिए जानी चाहिए। इसके बाद ही अधिकारियों को इसकी जानकारी मीडिया को देनी चाहिए। 
 बैठक में एसके माहेश्वरी ने कहा कि हम लोग अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं लेकिन निगम में कई पार्षद आज भी ऐसे हैं उनके रिश्तेदार ठेकेदारी करके भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसे पार्षदों की जांच होनी चाहिए हमें अफसरों को गलत बताने से पहले खुद को साफ करना चाहिए। 
  पार्षद मनोज चौधरी ने कहा कि नगर निगम बड़े बिल्डर्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है जबकि छोटे लोगों पर ही कार्य करने तक सीमित है। माफिया अभी भी निगम की जमीन को घेर रहे हैं। इस पर नगर आयुक्त ने कहा कि नगर निगम की एक भी इंच जमीन किसी भूमाफिया को घेरने नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों के दौरान नगर निगम माफियाओं के कब्जे से 600 से ज्यादा करोड़ रुपए की भूमि को मुक्त करा चुका है।
 एक पार्षद ने मंजू ने सफाई कर्मचारियों पर इस सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ शराब पीने वाले कर्मचारी उनके वार्ड में बैठ जाते हैं और कामना तो करते हैं ना करने देते हैं । इस पर नगर आयुक्त ने ऐसे सफाई कर्मियों को सूची बनाने के निर्देश दिए हैं जो शराब पीते हैं साथ ही उन्होंने बैठक में पूर्व में घोषित की गई। बैठक में सभी प्रस्ताव को स्वीकार कर दे दी गई लेकिन जीडीए को महामाया स्टेडियम के पीछे 28 एकड़ भूमि को पार्क के रूप में विकसित किये जाने का प्रस्ताव रोक दिया गया। पार्षद ने स्वामी ने कहा कि इस प्रस्ताव पर बाद में चर्चा की जाएगी। 
बैठक में पार्षद जाकिर अली सैफी अजय शर्मा सचिन डागर समेत कई ने भी अपने विचार रखे और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग को पुरजोर से रखा। पार्षदों द्वारा सम्पति के मामले पर मेयर ने पार्षदों की प्रशंसा की

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