UP News: ईश्वर शरण महाविद्यालय गांधी के आदर्शों की विरासत : राज्यपाल
प्रयागराज(हि.स.)। ईश्वर शरण महाविद्यालय की नींव महात्मा गांधी ने हरिजन सेवक संघ की एक संस्था के रूप में स्थापित की, जो आज एक वटवृक्ष के रूप में आकारित है। यह सिर्फ एक महाविद्यालय नहीं है, क्योंकि यह एक विश्वविद्यालय द्वारा सम्पादित सभी कार्यों को संचालित कर रहा है। गांधी के आदर्शों की विरासत यह महाविद्यालय शीघ्र ही विश्वविद्यालय का संस्तर प्राप्त करे, इसके लिए मेरी पूर्ण शुभकामनाएं एवं हरसंभव सहयोग है। ये बातें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने ईश्वर शरण पीजी कॉलेज की संस्थापना का स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में मंगलवार को ई-सम्भाषण में संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारत विश्वगुरु था। तक्षशिला, नालन्दा विश्वविद्यालय आदि इसके प्रसिद्ध केन्द्र थे। परन्तु अंग्रेजों ने भारतीय शिक्षा पद्धति को पूर्णतया पलटते हुए क्लर्क निर्माण आधारित शिक्षा पद्धति निर्मित की। देश की स्वाधीनता के पश्चात जो शिक्षा नीति लागू हुई उसमें मातृभाषाओं में शिक्षा की उपेक्षा थी और यह 10$2 पद्धति पर आधारित थी। परन्तु नई शिक्षा नीति मातृभाषाओं में शिक्षा को केन्द्र में स्थापित करते हुए 5-3-3-4 पद्धति पर आधारित है। यह ज्ञान के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों के अन्तर्वेशन पर अवलम्बित है। इस शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि यह विद्यार्थियों के साथ-साथ समयानुरूप प्रविधियों के अनुरूप शिक्षकों के प्रशिक्षण का भी प्रावधान करती है। नई शिक्षा नीति समाज के वंचित वर्गों को केन्द्र में रखती हुई संविधान निर्माताओं के समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को परिपूर्ण करने का प्रयास है, जो भारत को पुनः शिक्षा के क्षेत्र में विश्वगुरु पद पर स्थापित करने में सक्षम है। नई शिक्षा नीति के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन का दायित्व ईश्वर शरण जैसे उत्कृष्ट महाविद्यालयों का ही है।
महाविद्यालय के नवनिर्मित प्रो.प्रमिला श्रीवास्तव परिसर का उद्घाटन भी हुुआ
इस अवसर पर उन्होंने महाविद्यालय के नवनिर्मित प्रो.प्रमिला श्रीवास्तव परिसर का उद्घाटन एवं उनकी प्रतिमा का अनावरण, महाविद्यालय के लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम ‘‘अविरल’’ का उद्घाटन और स्वर्ण जयंती स्मारिका का विमोचन भी किया। विदुषी, लौह महिला प्रो.प्रमिला श्रीवास्तव के नाम से नवनिर्मित परिसर एवं प्रतिमा का अनावरण करते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान ने महिला सशक्तीकरण का एक अनुकरणीय उद्धरण प्रस्तुत किया है। मेरी दृष्टि में यह उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा महाविद्यालय है जो गम्भीर शोध कार्य में संलग्न है।
विशिष्ट अतिथि इविवि प्रयागराज के कुलपति प्रो. आर.आर तिवारी ने कहा कि कोविड-19 के इस चुनौतीपूर्ण दौर में विश्वविद्यालय सहित सभी संघटक महाविद्यालयों ने ऑनलाइन माध्यमों द्वारा शिक्षण कार्य की निरंतरता सुनिश्चित की है। आज ईश्वर शरण महाविद्यालय द्वारा स्थापित लर्निंग मैनेजमेंट पोर्टल ‘‘अविरल’’ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय शासी निकाय के अध्यक्ष आर.के श्रीवास्तव ने कहा कि गांधी दर्शन आज भी विश्व में प्रासंगिक है। जब तक गांधी दर्शन पर केन्द्रित अध्ययन शिक्षण संस्थानों में नहीं होगा, तब तक शिक्षा पूर्णता को प्राप्त नहीं होगी और ईश्वर शरण महाविद्यालय को विश्वविद्यालय का दर्जा दिये बिना यह सम्भव नहीं है। इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय का दर्जा देना गांधी के आदर्शानुरूप समाज निर्माण की अपरिहार्य आवश्यकता है।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.आनंद शंकर सिंह ने कहा कि यह संस्थान सात विषयों से प्रारम्भ हुआ था। वर्तमान में संस्थान में 36 विषयों, 5 संकायों सहित भारत सरकार द्वारा प्राप्त ‘संकाय विकास केन्द्र’ भी स्थापित है। हमारे पुराछात्र न्यायिक, प्रशासन, विज्ञान एवं खेल आदि के विभिन्न क्षेत्रों में देश-विदेश में संस्थान का गौरववर्धन कर रहे हैं। इस महाविद्यालय को बापू के अनन्य सहयोगी मुंशी ईश्वर शरण ने हरिजन सेवक संघ की एक संस्थान के रूप में अपने श्रम जन से सिंचित कर स्थापित किया। कार्यक्रम में इविवि के कुलसचिव प्रो. एन.के शुक्ला, परीक्षा नियंत्रक प्रो.रामेन्द्र सिंह, वित्त अधिकारी डॉ.सुनील कांत मिश्र और अधिष्ठाता, महाविद्यालय विकास परिषद, प्रो.प्रशान्त अग्रवाल, महाविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ.मनोज कुमार दूबे सहित विभिन्न प्राधिकारी, संघटक महाविद्यालयों के प्राचार्य, महाविद्यालय के समस्त शिक्षक, कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.रचना सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ.अजय कुमार श्रीवास्तव ने किया।