‘पिता द्वारा रेप’ मामले में हाईकोर्ट का झटका
हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा को 20 साल में बदला
राज्य डेस्क
रायपुर (छत्तीसगढ़)। एक मासूम बेटी के साथ उसके ही ‘पिता द्वारा रेप’ किए जाने का मामला हाईकोर्ट में एक संवेदनशील मोड़ ले चुका है। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को उसकी मौत तक सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने यह सजा घटाकर 20 वर्ष के कठोर कारावास में परिवर्तित कर दी है। यह मामला न केवल न्यायिक बहस का केंद्र बना, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पारिवारिक सुरक्षा के नाम पर बच्चों के साथ होने वाली ज्यादतियों की गंभीरता को अदालतें किस रूप में देखती हैं।
‘पिता द्वारा रेप’ मामले में डिवीजन बेंच का फैसला
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र अग्रवाल ने ‘पिता द्वारा रेप’ किए जाने वाले संवेदनशील मामले में आरोपी पिता की आपराधिक अपील पर सुनवाई की। अपील में आरोपी ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट की सजा अत्यधिक कठोर है और साक्ष्य अपर्याप्त हैं। साथ ही एफआईआर में देरी को भी संदेह का कारण बताया गया। कोर्ट ने तर्कों को सुनने के बाद यह स्पष्ट किया कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर आरोपी की दोषसिद्धि उचित है, लेकिन सजा में कुछ संशोधन किया जा सकता है। इसके आधार पर न्यायालय ने आजीवन कारावास की जगह 20 वर्षों के कठोर कारावास की सजा निर्धारित की।

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पीड़िता की आपबीती से कांप उठेगी आत्मा
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने ‘पिता द्वारा रेप’ किए जाने के मामले में पीड़िता के बयान ने भयावहता को उजागर कर दिया। उसकी मां की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी और वह अपने पिता के साथ ही रह रही थी। पिता शराब पीकर अक्सर मारता-पीटता और गालियाँ देता था। मजदूरी से कमाए पैसे छीन लेता था। 19 फरवरी 2019 की रात, जब वह घर में अकेली थी, उसके पिता ने उसे जबरदस्ती अपनी हवस का शिकार बनाया। डर और सदमे से पीड़िता अगले दिन घर से भाग गई। कई दिन तक रेलवे स्टेशनों पर भटकती रही, भीख मांगकर जीवित रही और अंततः रेलवे चाइल्ड लाइन की टीम को वह लावारिस हालत में मिली।
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एफआईआर और न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत
रेलवे चाइल्ड लाइन द्वारा बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किए जाने के बाद उसकी काउंसलिंग हुई। यहीं से खुलासा हुआ कि उसके पिता द्वारा रेप किया जा रहा था। माना कैंप थाने में उसके बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज हुई और आरोपी पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376(3) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 व 6 के तहत अपराध दर्ज हुआ। ट्रायल कोर्ट ने सबूतों और पीड़िता के स्पष्ट व सुसंगत बयानों के आधार पर आरोपी को दोषी मानते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
न्यायालय की संवेदनशील टिप्पणी
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पिता द्वारा रेप किए जाने की घटना सिर्फ एक सामान्य बलात्कार नहीं, बल्कि विश्वास और भरोसे पर चोट है।’ अदालतों को ऐसे मामलों में अत्यंत संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ काम करना चाहिए। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी जोड़ा कि फैसले की प्रति संबंधित जेल अधीक्षक को भेजी जाए, ताकि आरोपी को यह सूचना दी जा सके कि वह हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति या सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति की सहायता से सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।

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