मुकदमे की विवेचना में सहूलियत के नाम पर ले रहे थे पैसा
संवाददाता
गोंडा। जिले के धानेपुर थाने में तैनात दरोगा अंकित यादव को बुधवार को एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथ धर दबोचा। गिरफ्तार दरोगा को थाना कोतवाली नगर लाकर लिखा-पढ़ी के उपरांत आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। जानकारी के अनुसार, दरोगा रिश्वत कांड का मामला इटवा कवि गांव के रहने वाले उपेंद्र प्रसाद से जुड़ा है, जो खुद एक मुकदमे में आरोपी हैं। उनके खिलाफ गांव में मारपीट का एक मुकदमा दर्ज था। आरोप के अनुसार, इस केस की विवेचना कर रहे दरोगा अंकित यादव विवेचना में राहत देने के नाम पर बार-बार रिश्वत की मांग कर रहे थे। अंततः थक-हार कर उपेंद्र ने गोंडा स्थित एंटी करप्शन थाने में शिकायत दर्ज करवाई, जिससे पूरे दरोगा रिश्वत कांड का पर्दाफाश हुआ।
थाने के बगल के निजी कमरे से बरामद हुआ कैश
उपेंद्र प्रसाद से शिकायत मिलने के बाद एंटी करप्शन टीम हरकत में आई। गोंडा एंटी करप्शन यूनिट के प्रभारी धनंजय सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। योजनाबद्ध ढंग से जाल बिछाया गया। बुधवार दोपहर जैसे ही दरोगा ने उपेंद्र से पांच हजार रुपये की रिश्वत ली, उन्हें उनके ही प्राइवेट कमरे से गिरफ्तार कर लिया गया। इस कमरे की स्थिति थाने के बगल में है, जिससे स्पष्ट होता है कि दरोगा रिश्वत कांड में सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग भी शामिल रहा है।
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पद का दुरुपयोग और गिरती साख
धानेपुर थाने के दरोगा की गिरफ्तारी गोंडा पुलिस विभाग की छवि पर एक गंभीर धब्बा है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का नारा देती है, वहीं दूसरी ओर जिले के ही पुलिसकर्मी रिश्वतखोरी में लिप्त पाए जा रहे हैं। यह प्रकरण केवल दरोगा रिश्वत कांड नहीं बल्कि पूरे पुलिस तंत्र को झकझोरने वाला है। नगर कोतवाली में लाकर दरोगा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। मेडिकल परीक्षण के बाद उन्हें गोरखपुर जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
पुलिस तंत्र की गिर रही साख
दरोगा रिश्वत कांड, पुलिस तंत्र की गिरती साख का उदाहरण है। दरोगा रिश्वत कांड जैसे मामले पर पारदर्शिता और सख्त कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। गोंडा जैसे जिले में पुलिस की साख और ईमानदारी की पहले ही कई बार परीक्षा हो चुकी है। दरोगा रिश्वत कांड की यह ताजा घटना भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की सक्रियता का परिचायक है। हालांकि, आमजन यही सवाल पूछ रहा है क्या यह गिरफ्तारी एक अपवाद है या प्रशासन अब सच में व्यवस्था को सुधारने की ओर बढ़ चला है?
गोंडा जिले में सामने आया दरोगा रिश्वत कांड केवल एक दरोगा की गिरफ्तारी भर नहीं है। यह उस व्यवस्था पर सवाल है जो आमजन को न्याय दिलाने की बजाय पैसों के दम पर फैसले बदलती है। यदि यही रफ्तार रही और एंटी करप्शन टीम इसी तरह सक्रिय रही, तो संभव है कि आने वाले समय में व्यवस्था में कुछ सकारात्मक बदलाव अवश्य दिखे।
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