Rajni Kant Tiwari

Ghibli’ का मजा कहीं न बन जाए सजा!

कहीं लोगों के चेहरों को चुरा कर इसका दुरुपयोग तो नहीं किया जाएगा…?

रजनी कान्त तिवारी

तकनीक ने हमेशा मानव जीवन को आसान और मनोरंजक बनाने का काम किया है, लेकिन हर नई खोज के साथ कुछ सवाल भी खड़े हो जाते हैं। आज जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अपने चरम पर है, तब ‘Ghibli’ नाम की तकनीक चर्चा में आ गई है। यह एक ऐसी AI टेक्नोलॉजी है, जो किसी भी व्यक्ति के चेहरे को हूबहू नकल कर सकती है और उसे एनिमेटेड या डीपफेक वीडियो में बदल सकती है। यह सुनने में जितना रोमांचक लगता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। सवाल यह है कि क्या यह टेक्नोलॉजी केवल मनोरंजन तक सीमित रहेगी, या फिर इसका दुरुपयोग कर लोगों की निजता से खिलवाड़ किया जाएगा?
‘Ghibli’ तकनीक ने डिजिटल क्रिएटिविटी की नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। इससे एनिमेशन और फिल्म इंडस्ट्री में क्रांति आ सकती है। जिन किरदारों को बनाने में पहले महीनों लगते थे, अब वे कुछ ही घंटों में तैयार किए जा सकते हैं। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। यह तकनीक केवल सृजनात्मकता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए नकली वीडियो तैयार करना भी संभव हो गया है। आज डिजिटल युग में जहां हर व्यक्ति का डाटा इंटरनेट पर उपलब्ध है, वहां किसी के चेहरे का दुरुपयोग करना कोई मुश्किल काम नहीं रह गया है।

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सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो डालना हमारी रोजमर्रा की आदत बन चुकी है। लेकिन क्या हो अगर कोई इन तस्वीरों को लेकर आपकी एक ऐसी वीडियो बना दे, जो आपने कभी रिकॉर्ड ही नहीं की? यह खतरा अब काल्पनिक नहीं रहा, बल्कि ‘Ghibli’ जैसी तकनीकों के कारण वास्तविकता में बदल रहा है। डीपफेक तकनीक के जरिए पहले भी कई बार लोगों की छवि खराब करने की घटनाएं सामने आई हैं। कई सेलिब्रिटीज और राजनेताओं के फेक वीडियो बनाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई है। अब इस तकनीक के और भी उन्नत हो जाने के कारण आम आदमी भी इस खतरे की जद में आ सकता है। कोई भी किसी के चेहरे का उपयोग कर गलत तरीके से उसे विवादों में घसीट सकता है। तकनीक के इस अंधेरे पक्ष को देखते हुए अब यह जरूरी हो गया है कि सरकारें और टेक कंपनियां इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाएं। कई देशों में AI-जनित कंटेंट पर सख्त निगरानी रखी जा रही है, लेकिन यह काफी नहीं है। आम जनता को भी इस बारे में जागरूक होने की जरूरत है। लोगों को यह समझना होगा कि सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारियों और तस्वीरों को साझा करते समय सतर्कता बरतें। ‘Ghibli’ जैसी तकनीकें एक तरफ डिजिटल क्रांति का प्रतीक हैं, लेकिन अगर इनका सही इस्तेमाल नहीं किया गया तो यह समाज में भ्रम और धोखाधड़ी का बड़ा कारण बन सकती हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस तकनीक का उपयोग कला और सृजनात्मकता के लिए करें या फिर इसे झूठ और छलावे का माध्यम बनने दें। कहीं ऐसा न हो कि जो चीज आज हमें मनोरंजन का साधन लग रही है, वही कल हमारे लिए परेशानी का सबब बन जाए।

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