120 बीघे जमीन के लिए चल रहा खूनी खेल
गोंडा। कभी जहां महर्षियों की ऋचाएं गूंजती थीं आज वहां पर खूनी खेल हो रहा है। लाखों की आस्था से जुड़े तिर्रेमनोरमा में स्थित मंदिर की 30 बीघे भूमि पर पहले से ही दबंगों का कब्जा है। शेष 120 बीघे कृषि योग्य भूमि कब्जाने के लिए खूनी खेल बीते तीन सालों से हो रहा है।
भूमि को कब्जाने के लिए कानूनी दांवपेंच में सफल न होने पर अब लाठी और गोली का सहारा लिया जा रहा है। स्थिति यह है कि मंदिर के महंथ सीताराम दास की शिकायत के बाद भी स्थानीय पुलिस ने दबंगों की करतूत से आंखें फेर रखी। अंजाम यह हुआ कि पुजारी को मंदिर में घुसकर गोली मार दी। घटना से यह संदेश दिया गया है कि भूमि पर खेती न करने दिया गया तो अंजाम बुरा होगा।
महर्षि उद्दालक ऋषि के आश्रम और पवित्र मनवर नदी के उद्गम स्थल होने के कारण श्रीराम जानकी मंदिर का पौराणिक महत्व है। यहां पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है जिसमें कई जिलों से लाखों लोग आते हैं। ऐसे पौराणिक महत्व वाले मंदिर की भूमि पर अनायास ही दबंगों की नजर नहीं पड़ी।
मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि गांव के प्रधान रहते समय ही अमर सिंह ने भूमि पर कब्जे की धरातल तैयार कर ली थी। यही नहीं धीरे-धीरे मंदिर के आसपास की करीब 30 बीघे भूमि पर कब्जा होने की बात महंथ सीताराम दास बताते हैं। उनका कहना है कि इन लोगों ने मंदिर की भूमि पर कब्जा करके दुकान, घर व तालाब बना लिए हैं। इसमें प्रमुख भूमिका पूर्व प्रधान अमर सिंह की ही है, वह आए दिन मंदिर के काम में दखल देते हैं।
इसके अलावा मंदिर के महंथ ने प्रशासन के सहयोग से 120 बीघे भूमि को खाली करा ली थी। अब उसी भूमि को फिर से कब्जा करने के लिए तीन साल से मंदिर के लोगों की घेराबंदी की जा रही है। कई हथकंडे अपनाने के बाद भी मंदिर की भूमि पर कब्जा नहीं कर पाने पर दो साल पहले भी महंथ सीताराम दास पर हमला हुुआ था। जिसका मुकदमा दर्ज हुआ और गैंगेस्टर के तहत पूर्व प्रधान अमर सिंह व उनके साथियों के विरुद्ध कार्रवाई हुई।
प्रशासन की ओर से सुरक्षा भी दी गई, लेकिन एक साल पहले सुरक्षा में कटौती करके सिर्फ दो होमगार्ड लगा दिए गए। शनिवार की देर रात करीब दो बजे गोली कांड के समय सुरक्षा में होमगार्ड तैनात थे लेकिन फिर भी हमलावर पूरी तरह बेखौफ रहे।