यूएई से 11 बजे उड़ान भरकर 2 बजे भारत पहुंचेंगे राफेल

– मौसम खराब होने पर लैंडिंग के लिए जोधपुर एयरबेस को तैयार रखा गया

नई दिल्ली। पांच राफेल विमानों की पहली खेप बुधवार दोपहर 2 बजे भारत पहुंच जाएगी। यह फाइटर जेट्स सुबह 11 बजे यूएई से उड़ान भरेंगे।अगर विमानों के भारत आने पर अंबाला का मौसम खराब हुआ तो फिर पांचों फाइटर जेट्स की लैंडिंग कराने के लिए  विकल्प के तौर पर राजस्थान के जोधपुर एयरबेस को तैयार रखा गया है। 
सोमवार को फ्रांसीसी शहर बोर्डो के मेरिनैक एयर बेस से सात घंटे की उड़ान भरने के बाद रात को ये विमान संयुक्त अरब अमीरात में अबू धाबी के पास अल धफरा में फ्रांसीसी एयरबेस पर उतरे थे। अभी पांचों राफेल विमान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अल धफरा एयरबेस पर खड़े हैं। बुधवार को सुबह 11 बजे भारत के लिए उड़ान भरकर दोपहर 2 बजे अंबाला एयरबेस पहुंच जाएंगे। अंबाला में राफेल की अगवानी वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया करेंगे। यहां लैंडिंग के बाद राफेल को उड़ाकर लाने वाली पायलट्स की टीम अपने ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह की अगुवाई में एयर चीफ भदौरिया को फ्रांस में मिलीं ट्रेनिंग के बारे में अवगत कराएगी। 
वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि अभी अंबाला के एयरबेस पर राफेल आ रहे हैं लेकिन इन्हें जल्द से जल्द ऑपरेशनल करने और सुरक्षा के मद्देनजर जल्द ही यहां से दूसरे एयरबेस रवाना किए जाने की भी योजना है। राफेल के लिए बनाई गई 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज’ का कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कमांडर हरकीरत सिंह को बनाया गया है। उनके साथ विंग कमांडर एमके सिंह और विंग कमांडर आर कटारिया भी पायलट दल में शामिल हैं। राफेल के भारत आने पर अगर अंबाला का मौसम खराब हुआ तो फिर सभी राफेल विमानों की लैंडिंग के लिए वैकल्पिक तौर पर राजस्थान के जोधपुर एयरबेस को तैयार रखा गया है। 
फ्रांस से इन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति कोविड-19 की वजह से लगभग दो माह देरी से हो रही है। फिर भी फ्रांस ने ‘दोस्ती का हाथ’ बढ़ाकर यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में भारत को दिए हैं, जब पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है। हालांकि भारतीय वायुसेना ने पहले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे अपने अहम हवाई ठिकानों पर अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को तैनात कर रखा है। फिर भी चीन के साथ लगने वाली एलएसी पर वायुसेना की संचालन क्षमताओं को और मजबूत करने के इरादे से राफेल विमानों को जल्द से जल्द ऑपरेशनल बनाकर लद्दाख सेक्टर में तैनात किए जाने की संभावना है। 

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