बिहार विधानसभा चुनाव: भाजपा में तेज होता अंतर्कलह डूबाे सकती है एनडीए की नाव

बेगूसराय (हि.स.)। विधानसभा चुनाव के द्वितीय चरण में नामांकन कार्य तेजी से चल रहा है। दोनों गठबंधन और दल के प्रत्याशी चुनावी मैदान में कूद चुके हैं लेकिन एनडीए में जनता को रिझाने के बदले आपस में सिर फुटव्वल की हालत बनी हुई है। देश की सबसे बड़ी पार्टी कहे जाने वाली भाजपा में अंदर ही अंदर कोहराम मचा है। दो पूर्व विधायक रामानंद राम और ललन कुंवर के दूसरे दल में जाने के बाद भी यह अंतर्कलह थम नहीं रही है। बड़ी बात है कि भाजपा में मचे कोहराम के लिए स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को दोषी ठहराया जा रहा है।जिले में भाजपा के एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ता खुलेआम सांसद पर एक व्यक्ति विशेष को टिकट दिलाने के लिए पार्टी को रसातल में भेजने का आरोप लगा रहे हैं। प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। भाजपा के कार्यकर्ता, सांसद और पार्टी नेतृत्व को निशाने पर लेते हुए खुलेआम विरोध कर रहे हैं। सबसे खराब हालत जिला मुख्यालय के बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र की है। जहां से पार्टी ने गिरिराज सिंह के रिश्तेदार और बेगूसराय नगर निगम के मेयर उपेंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र कुंदन कुमार सिंह को टिकट दिया है। उसके बाद से दिन-रात बैठकें हो रही हैं। युवा काल से विद्यार्थी परिषद के बैनर तले राष्ट्रवाद की राजनीति शुरू करने वाले प्रो. संजय गौतम जहां निर्दलीय मैदान में आ गए हैं, वहीं जिला महामंत्री आशुतोष पोद्दार हीरा ने भी पद से त्यागपत्र देकर निर्दलीय मैदान में उतरने की घोषणा की है। पूर्व जिला अध्यक्ष संजय कुमार सिंह और पूर्व सांसद डॉ. भोला सिंह की पुत्रवधू वंदना सिंह समेत कई अन्य नेताओं ने सांसद एवं संगठन पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है।भाजपा के सहयोगी दल जदयू के नेता भी भाजपा प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं। जदयू पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता राजेश कुमार खुलेआम बगावत पर उतर आए हैं। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरने की घोषणा की है। बखरी विधानसभा क्षेत्र में कई प्रमुख नेता राम शंकर पासवान को टिकट मिलने के बाद गायब हो चुके हैं। इन लोगों का कहना है कि राम का नाम लेकर बैतरणी पार उतरने वाली भाजपा ने यहां राम समुदाय को हमेशा ही अन्य पार्टियों की तरह उपेक्षित समझा। लंबे समय से आश्वासन दिए जाने के बाद राम को अंतिम समय में टिकट से वंचित कर दिया जाना ठीक नहीं है।तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र की हालत और बदतर है, यहां शुरू से ही भाजपा कार्यकर्ता जदयू प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं। क्षेत्र के पांचों मंडल अध्यक्ष का इस्तीफा भले ही भाजपा जिलाध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया, लेकिन पांचों मंडल अध्यक्ष पूरी तरह से नेतृत्व के खिलाफ हैं। भाजपा के पूर्व विधायक रहे ललन कुंवर लोजपा में शामिल होकर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। बेगूसराय में एनडीए और खासकर भाजपा में मचे घमासान का अगर नेतृत्व जल्द ही समाधान नहीं करती है तो इसका बड़ा खामियाजा भुगतना होगा।भाजपा जिलाध्यक्ष राज किशोर सिंह और जदयू जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय लगातार कार्यकर्ताओं से मिलकर, बैठक कर उन्हें एकजुट करने में लगे हुए हैं। लेकिन यह असफल प्रयास कितना सफल होता है, यह नामांकन के अंतिम दिन 16 अक्टूबर की शाम तक पता चल जाएगा।

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