गोण्डा अपहरण काण्ड : जानें, कैसे कदम दर कदम अपहर्ताओं तक पहुंची पुलिस

मुख्यमंत्री ले रहे थे पल-पल की जानकारी, बच्चे को हर हाल में सकुशल बरामद करने का था दबाव

जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। कानपुर अपहरण कांड में अपयश का कलंक झेल रही उत्तर प्रदेश पुलिस के सामने गोण्डा में अपहृत बच्चे की सकुशल बरामदगी एक बड़ी चुनौती थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रकरण की जहां पल-पल की खबर ले रहे थे, वहीं दूसरी ओर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष बच्चे को बिना किसी नुकसान के बरामद करने का दबाव था। आखिरकार पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) के नेतृत्व में पुलिस को सफलता मिली और शुक्रवार की पूरी रात चलाए गए सघन अभियान के बाद शनिवार को तड़के करीब सवा चार बजे बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया गया।
गोण्डा के कर्नलगंज कस्बे में पुलिस चौकी के समीप से शुक्रवार को दोपहर बाद करीब डेढ़ बजे आठ वर्षीय व्यापारी पौत्र का उस समय अपहृत कर लिया गया था, जब जुमे की नमाज होने के कारण पुलिस कस्बे में गश्त लगाने का दावा कर रही थी। सायंकाल करीब चार बजे शासन में घटना की खबर पहुंचते ही प्रकरण को तत्काल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में लाया गया। उन्होंने बच्चे की सकुशल बरामदगी के लिए शासन की पूरी ताकत झांक देने का निर्देश दिया। इसलिए डीजीपी ने बिना विलम्ब किए प्रकरण की कमान सीधे एडीजी (ला एंड आर्डर) प्रशान्त कुमार को सौंपते हुए एसटीएफ, सर्विलांस सेल, इंटलीजेंस सभी सम्बंधित एजेंसियों को तत्काल सक्रिय कर दिया। स्थानीय स्तर पर पुलिस के अधिकारी हालांकि शाम से ही बच्चे को रात तक सकुशल बरामद कर लेने का दावा कर रहे थे, किन्तु सच्चाई यह है कि शुक्रवार की रात 12 बजे तक पुलिस के पास बच्चे के बारे में कोई पुख्ता सूचना नहीं थी। इस बीच गोण्डा पहुंच चुकी एसटीएफ और जिला पुलिस की टीमों ने संदेह के घेरे में आए 50 से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी थीं। पुलिस अधिकारियों पर एक तरफ बच्चे को हर हाल में सकुशल बरामद करने का दबाव था तो और दूसरी कोई सटीक सुराग नहीं मिल रहा था और समय तेजी से भाग रहा था। संकट की इस घड़ी में पुलिस के पास बस संयम ही एक मात्र हथियार था। हालांकि अपहर्ताओं की तरफ से पैसा मांगने के लिए परिजनों को किए गए फोन काल की रिकार्डिंग को सुनकर पुलिस इस बात से आश्वस्त थी कि यह किसी प्रोफेशनल गैंग का कार्य नहीं है। हालांकि इसमें जोखिम भी था, क्योंकि हड़बड़ाहट में वे बच्चे को नुकसान भी पहुंचा सकते थे। इस बीच शुक्रवार की रात 12 बजे के बाद पुलिस अधिकारियों उस अल्टो कार के बारे में जानकारी मिल गई, जिससे बच्चे का अपहरण किया गया था। साथ ही फील्ड इंटलीजेंस से यह भी तय हो गया कि बच्चे को कर्नलगंज के आसपास ही कहीं पर रखा गया है। इस सूचना के बाद पारा गांव के आसपास के पूरे इलाके को सैकड़ो पुलिस कर्मियों ने घेर लिया। आखिरकार धीरे-धीरे आगे की तरफ कदम बढ़ाते हुए पुलिस ने शनिवार की सुबह करीब सवा चार बजे बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया।
बताया जाता है कि एसटीएफ और जिला पुलिस के लिए इस ऑपरेशन में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से लेकर फील्ड इंटेलीजेंस दोनों काम आईं। फिरौती की रकम के लिए जिस नम्बर से कॉल की गई थी, वह पिछले करीब एक साल से बंद था। करीब 10 दिन पहले ही उसे दुबारा चालू किया गया था। करीब 150 मोबाइल नंबरों की छानबीन के दौरान एसटीएफ इस नंबर को इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति तक पहुंचने में कामयाब हुई। पुलिस विभाग के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि शुक्रवार की देर शाम एसटीएफ ने सिम बेचने वाले दुकानदार से पूछताछ के उपरांत यह पता लगा लिया कि उसने यह नम्बर किसको बेंचा है। तब तक रात के करीब नौ बज चुके थे। पता चला कि युवक ने वह नंबर तो हाल ही में अपनी बहन को दे दिया है। जांच और आगे बढ़ी तो पता चला कि उसकी बहन से मिलने के लिए एक शख्स अल्टो कार से आता है। इसके बाद पुलिस की आंख में थोड़ी चमक पैदा हुई क्योंकि अपहरण कांड की छानबीन में जुटी पुलिस के पास अब तक वारदात में इस्तेमाल हुई यूपी 43 नंबर की अल्टो कार के इस्तेमाल किए जाने की ही पुष्टि हुई थी। पुलिस को कुछ फुटेज भी मिले थे। पूछताछ में सामने आया कि अल्टो से आने वाला शख्स प्रकरण में आरोपित राज पांडेय है और युवती ने वह नंबर उसे ही दिया था। इस प्रकार रात करीब 12 बजे पहला ठोस सुराग पुलिस के हाथ लगा। इसके बाद अपहर्ता गिरोह का पहचान हो गया। फिर बड़े संयम के साथ अगले चार घंटों तक पुलिस ने गांव के करीब चार किलोमीटर के क्षेत्र को घेरना शुरू किया। मोटर साइकिलों पर सवार पुलिसकर्मी पहले चप्पे-चप्पे पर लगा दिए गए। इसके बाद शनिवार तड़के करीब करीब सवा चार बजे अपहृत बालक को एक कमरे से सकुशल बरामद कर लिया गया।

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