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गमगीन माहौल में यौमे आशूरा का जुलूस निकाला गया

संवाददाता रोहित कुमार गुप्ता उतरौला (बलरामपुर)
मोहर्रम की दसवीं तारीख बुधवार को जनपद सहित उतरौला, अमया देवरिया, रैगांवा, रेहरामाफी, सादुल्लाह नगर, मीरपुर, पचपेड़वा, तुलसीपुर, गैसड़ी समेत विभिन्न क्षेत्रों में दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गमगीन माहौल में यौमे आशूरा का जुलूस निकाला गया। कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन व उनके 72 लोगों की शहादत को याद कर शिया समुदाय के लोगों ने नम आंखों से शहीदाने कर्बला को पुरसा दिया। नौहा ख्वानो के नौहे पर अजादारों ने मातम किया।
उतरौला के मोहल्ला सुभाष नगर स्थित मरहूम हाजी तुल्लन हुसैन के इमामबाड़े से दस मुहर्रम को यौमे आशूरा का जुलूस शाम करीब तीन बजे निकाला गया। जिसमें शिया समुदाय के लोग काला लिबास पहने नंगे पांव, दर्द भरे नौहे के साथ मातम किया। कई आजादारों ने इमामे हुसैन के गम में तेज धारदार चाकू से अपने सिर को चाक कर कमा लगाया तो वहीं बहुत से मातमदारों ने दर्जनों चाकू लगे जंजीर से अपने पीठ पर तेजी से लगातार वार कर मातम किया। कुछ लोग अपने हाथों में ब्लड लेकर सीने को काटा खून बहाया और इमाम हुसैन का मातम मनाया। जुलूस में एक खेमा ऐसा भी रहा जिसमें लोगों ने सिर्फ हाथों से मातम कर इमाम हुसैन का गम मनाया।
इसी जुलूस में अहले सुन्नत उतरौला का जुलूस भी अलम व ताजिए के साथ शामिल रहा। अज़ादारों को जगह-जगह पानी, शरबत, शबील, चाय व फल वितरित किया गया।
अनेक तंजीमो, समाजसेवियों, व आम लोगों द्वारा सबील ए इमाम हुसैन लगाकर जुलूस में शामिल अकीदतमंदों को पानी पिलाया गया।
जुलूस अपने मुख्य मार्ग से होता हुआ कर्बला पहुंचा। जहां सभी परंपराओं का निर्वहन करने के बाद शाम लगभग सात बजे समाप्त हुआ। जिसमें भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। शहर सहित कई गांव के लोगों द्वारा कर्बला मे ताजिया दफन किया गया।
इसी क्रम में उतरौला के ग्राम अमया देवरिया में भी यौमे आशूरा 10 मोहर्रम का जुलूस दरगाह हजरत अब्बास अलमदार से शाम तीन बजे बरामद हुआ। जिसमें शिया समुदाय के लोग नंगे पांव काले लिबास में दर्द भरे नौहे पढ़ने के साथ कमा व जंजीर का मातम कर इमाम हुसैन को पुरसा दिया। जुलूस में अलम, ताबूत, जुलजना, तिरंगा व ताजिया के साथ भारी संख्या में लोगों ने नोहा ख्वानी व सीना जनी की। मातमदारो को जगह-जगह पानी, शरबत, शबील, चाय व फल वितरित किया गया। जुलूस मिसन रोड से होता हुआ डाक बंगला पहुंचा तो माहौल पूरी तरह गमगीन हो गया। यहां पर लगभग एक घंटे तक नौहा ख्वानी कमा व जंजीरी मातम होता रहा। डाक बंगला होते हुए जुलूस कर्बला पहुंचा जहां लोगों ने ताजिया दफन किया। शाम सात बजे जुलूस समाप्त हुआ।
मौलाना जायर अब्बास ने बताया कि आज ही के दिन इमाम हुसैन उनके कुनबे जिनमें 4 साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक को शहीद कर दिया गया था। जिनकी याद को मनाते हुए हम अपने गम का इजहार करते हैं।
सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। मोहर्रम के इन दस दिनों के दौरान शांतिपूर्ण माहौल में तमाम मजलिस, जुलूस, ताजियादारी होकर सकुशल संपन्न हुआ। सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था कायम रखने मे प्रशासन मुस्तैद रहा।
जुलूस के दौरान मातम करने वाले घायलों के प्राथमिक उपचार हेतु सीएचसी उतरौला, साजिदा हॉस्पिटल की चिकित्सीय टीम एंबुलेंस के साथ मौजूद रहे और घायलों का प्राथमिक उपचार किया।

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