Up news : प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के लाभार्थियों के चयन में लगी शर्तों से मौलिक अधिकारों का हनन नहीं : हाईकोर्ट

प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना सभी के लिए आवास में लगाए गए प्रतिबंध और शर्तें व्यापक जनहित में है और इससे किसी के मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता है। 

योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्र में रह रहे गरीबों की आवासीय जरूरतों को पूरा करना है। प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ वातावरण में रहने और मौलिक जरूरतों को हासिल करने का अधिकार है। यह योजना इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए लाई गई है। कोर्ट ने प्रधानमंत्री आवास योजना के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि योजना व्यापक जनहित में है और इससे संविधानिक अधिकारों का हनन नहीं होता है। हापुड़ के संजय कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की पीठ ने सुनाया।
याची ने गाजियाबाद में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों के आवंटन हेतु जारी नियम एवं शर्तों को चुनौती दी थी। याचिका में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए जारी गाइडलाइन के क्लाज 1.4 और ब्रोसर के प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया कि इसमें राज्य सरकार को नियम एवं शर्तें लगाने का अधिकार दिया गया है। राज्य सरकार को यह तय करने का अधिकार है कि लाभार्थी एक निश्चित समय से शहरी क्षेत्र में निवास कर रहा हो। याची का कहना था कि वह हापुड़ का रहने वाला है। इसलिए उसे इस योजना के तहत गाजियाबाद में आवास नहीं मिल सकता है। यह प्रतिबंध में संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ई) में दिए पूरे देश में कहीं भी रहने और बसने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। यह प्रतिबंध आम जनता के हित में नहीं है।
सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी गरीबों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लाई गई है। शर्ते इसलिए लगाई गई हैं ताकि शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले गरीबों, झुग्गी-झोपड़ी निवासियों को चिह्नित किया जा सके। आम जनता के हित में उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(5) के अनुसार कहीं भी निवास करने और बसने का मौलिक अधिकार निर्बाध नहीं है। जनहित में राज्य उचित प्रतिबंध लगा सकता है। 
कोर्ट ने कहा कि योजना से स्पष्ट है कि इसे शहरी गरीबों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लाया गया है। शर्तें लाभार्थियों की पहचान करने के उद्देश्य से लगाई गई हैं। जिसके मुताबिक लाभार्थी का उसी शहरी क्षेत्र का निवासी होना अनिवार्य है जिस क्षेत्र के लिए योजना है। हमारे विचार से ऐसा व्यापक जनहित और योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए किया गया है। इससे याची के किसी अधिकार का हनन नहीं होता है।

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