Friday, December 12, 2025
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विश्वास और श्रद्धा का मिलन है शिव-पार्वती विवाह

विदाई के समय पार्वती को दिए गए माता मैना के उपदेश सुनकर भावविभोर हो गए श्रोता

श्री राम-नाम जागरण मंच के संकल्प के अनुरूप गोंडा के आवास-विकास कालोनी में चल रही है 29वीं श्रीराम कथा

अतुल भारद्वाज

गोंडा। शिव-पार्वती विवाह विश्वास और श्रद्धा का मिलन है। भगवान शिव ने अपने विवाह में ऐसे लोगों को बराती बनाया, जो समाज में पूरी तरह से अलग-थलग पड़े थे। ऐसा करके उन्होंने संकेत दिया है कि हमारे प्यारे बनना चाहते हो तो उन्हें प्यार करो, जिनको मैं प्यार करता हूं। यह बात नगर के आवास विकास कालोनी में आयोजित श्रीराम कथा में शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय प्रवाचक रमेश भाई शुक्ल ने कही।
उन्होंने कहा कि शिव-पार्वती विवाह में राजा हिमालय के द्वार बराती बनकर पहले पहुंचने पर भगवान विष्णु और इंद्र का भव्य स्वागत किया गया, किंतु भोलेनाथ के पहुंचते ही सभी स्वागती भाग खड़े हुए। यहां तक कि पार्वती की मां रानी मैना ने दरवाजे बंद कर लिए। प्रवाचक ने कहा कि विष्णु व इंद्र क्रमशः ऐश्वर्य व भोग के प्रतीक हैं। ये दोनों सभी को प्यारे लगते हैं। इसके विपरीत शिव ‘भयंकर’ के प्रतीक हैं। भयंकर स्थिति देखकर लोग भागते ही हैं। उन्होंने करालम् महाकाल कालं कृपालम् की व्याख्या करते भोलेनाथ का दो स्वरूप बताया। उन्हें अत्यंत कृपालु बताते हुए प्रवाचक ने कहा कि वह विश्वास के भी प्रतीक हैं। विश्वास को पहचानना व पचाना कठिन कार्य है। यथार्थ को जानना ज्ञान है और टिक जाना विश्वास और यही शिव है। हमारा विश्वास अडिग नहीं हो पाता, वह हिलता रहता है।

विश्वास और श्रद्धा का मिलन है शिव-पार्वती विवाह

शिव-पार्वती विवाह के उपरांत विदाई से पूर्व रानी मैना द्वारा सुखमय जीवन के लिए पार्वती को दिए गए पति-धर्म, परिवार-समन्वय और गृहस्थ मर्यादा पर केंद्रित उपदेश को प्रवाचक ने विस्तार से समझाया। माता मैना ने बेटी को समझाया कि ससुराल पक्ष के छोटे-बड़े सभी लोगों को यथोचित प्यार व सम्मान देना। सास-ससुर की सेवा अपना मां-बाप मानकर करना। पति को खूब प्यार देना। ननद को बहन की तरफ प्यार करना। बच्चों को अच्छे संस्कार देना। सद्गुरु की सेवा करना। कटु वाणी, क्रोध और तिरस्कार से दूर रहना। घर का वातावरण दूषित होता है, इसलिए धैर्य और सौम्यता ही परिवार के सुख का आधार बनते हैं। परिवार की मर्यादा और परंपरा का सम्मान करते हुए सत्य, दया, सहनशीलता और धर्म के मार्ग पर अडिग रहना। सुख-दुख, अभाव और विपत्ति जैसी परिस्थितियों में मन को शांत रखकर धैर्य से काम लेना पत्नी का सबसे बड़ा आभूषण है। उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा के माध्यम से आज की लड़कियां यदि उनके उपदेशों का कुछ अंश ही अपने जीवन में धारण करें तो उनका घर खुशहाल रहेगा।

मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्रीराम कथा संयोजक पंडित निर्मल शास्त्री ने बताया कि कथा का आयोजन प्रतिदिन सायंकाल 4.30 बजे से 8.30 बजे तक होगा जबकि सुबह 8 से 10 बजे तक यज्ञ होगा। उन्होंने बताया कि भक्तों व श्रद्धालुओं के लिए अन्न क्षेत्र में प्रतिदिन दोनों पहर भोजन प्रसाद की पूर्ण व्यवस्था की गई है। यज्ञ और कथा में आने वाले सभी लोगों के लिए भोजन प्रसाद उपलब्ध रहेगा। इस मौके पर घनश्याम त्रिपाठी, विश्राम वर्मा, राहुल उपाध्याय, अरविंद श्रीवास्तव, किसलय तिवारी, राजू ओझा, एसएन मिश्र एडवोकेट, सभाजीत तिवारी, दीपू यादव, हरिओम पांडेय आदि मौजूद रहे।

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