Saturday, December 13, 2025
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एमएलके कॉलेज में कथक का दूसरा दिन उत्साहपूर्वक संपन्न

अम्बुज भार्गव

बलरामपुर। बिरजू महाराज कथक संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश और एमएलके पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय परिसर में आयोजित सात दिवसीय निःशुल्क ग्रीष्मकालीन कथक नृत्य कार्यशाला आज दूसरे दिन आयोजन धूमधाम और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर कार्यशाला में शामिल सभी प्रतिभागी कथक की पारंपरिक मुद्राओं और भूमि प्रणाम की विधिवत जानकारी प्राप्त करते हुए नृत्य के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर जेपी पाण्डेय के निर्देशन में और कार्यशाला संयोजक लेफ्टिनेंट डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान के संयोजकत्व में किया जा रहा है। इस दौरान बिरजू महाराज कथक संस्थान से नामित कथक गुरु हर्षिता चौहान ने प्रतिभागियों को कथक नृत्य की विशेषताओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कथक नृत्य में भूमि प्रणाम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। भूमि प्रणाम न केवल एक पारंपरिक अभिवादन है, बल्कि यह धरती के प्रति सम्मान और नृत्य की शुरुआत से पहले क्षमा याचना का प्रतीक भी है।

एमएलके कॉलेज में कथक का दूसरा दिन उत्साहपूर्वक संपन्न
नृत्य सीखते प्रतिभागी

कथक गुरु हर्षिता चौहान ने बताया कि कथक स्त्रीय नृत्य की एक प्रमुख शैली है जिसका शाब्दिक अर्थ “कथा कहने वाला” होता है। यह नृत्य अपनी लयबद्ध पदचाल, मुखमुद्राओं एवं सुंदर शारीरिक हाव-भावों के माध्यम से कहानियों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है। उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभागियों को भूमि प्रणाम की विभिन्न मुद्राओं तथा उनके महत्व के बारे में विस्तार से समझाया, जिससे प्रतिभागी कथक के इस पारंपरिक अभिवादन को सही प्रकार से सीख सकें।

कार्यशाला में शामिल सभी प्रतिभागियों ने नृत्य के प्रति गहरी रुचि और समर्पण दिखाते हुए जमकर अभ्यास किया। इस दौरान वालेंटियर विनय पाण्डेय, छवि चतुर्वेदी सहित अन्य ने भी कार्यशाला के सफल संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रतिभागियों के उत्साह और परिश्रम को देखकर आयोजकों ने भविष्य में भी इस प्रकार की निःशुल्क कार्यशालाओं को नियमित रूप से आयोजित करने का संकल्प व्यक्त किया।

इस कार्यशाला का उद्देश्य न केवल कथक नृत्य की पारंपरिक विधाओं को संरक्षित करना है, बल्कि युवा पीढ़ी में इस कला के प्रति जागरूकता और प्रेम बढ़ाना भी है। महाविद्यालय परिसर में आयोजित यह कार्यशाला आगामी दिनों में भी इसी उत्साह और ऊर्जा के साथ जारी रहेगी, जिसमें कथक के विविध आयामों को गहराई से समझाया जाएगा।

तांत्रिक कांड की शिकार नवविवाहिता की प्रतीकात्मक तस्वीर
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