Saturday, June 14, 2025
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गोंडा में ‘मिशन शक्ति’ की अनदेखी अब नहीं चलेगी

मिशन शक्ति की दीदियों की चौपालों से बदल रहा महिलाओं का भविष्य

‘मिशन शक्ति’ के तहत शक्ति दीदियों ने संभाला मोर्चा, चौपालों में दर्ज हो रही महिलाओं की पीड़ा

‘मिशन शक्ति’ चौपालों में बेटियों को आत्मरक्षा, हेल्पलाइन और सुरक्षा के गुर सिखा रहीं शक्ति दीदियां

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित ‘मिशन शक्ति’ अभियान के पांचवें चरण में गोंडा जिले की पुलिस ने महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता को नया बल देने के लिए एक बड़ी पहल की है। जिले के सभी थानों में शक्ति दीदियां यानी महिला बीट अधिकारी गांवों की चौपालों में जाकर महिलाओं की समस्याएं सुन रही हैं और मौके पर ही समाधान भी कर रही हैं। यह पहल पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल के नेतृत्व में संचालित हो रही है, जिसके क्रियान्वयन की निगरानी अपर पुलिस अधीक्षक (पूर्वी) मनोज कुमार रावत और अपर पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी) राधेश्याम राय कर रहे हैं। पूरे जिले में मिशन शक्ति की यह रणनीति ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक संरचित और मानव केंद्रित मॉडल प्रस्तुत कर रही है।

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मिशन शक्ति अभियान की चौपाल में शक्ति दीदी

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एसपी ने बताया कि ‘मिशन शक्ति’ के तहत गांव-गांव जाकर आयोजित की जा रही इन चौपालों में शक्ति दीदियों के साथ-साथ स्थानीय एंटी रोमियो टीमें भी शामिल हो रही हैं। यह टीमें महिलाओं और बालिकाओं को नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के प्रति जागरूक कर रही हैं। चौपालों के दौरान शक्ति दीदियां हेल्पलाइन नंबर 1090, 181, 1076, 1098, और 112 के बारे में विस्तार से जानकारी देती हैं, जिससे संकट की स्थिति में महिलाएं और बच्चे तुरंत सहायता प्राप्त कर सकें। 10 अप्रैल को जिले के सभी थानों की महिला बीट अधिकारियों ने गांवों का भ्रमण किया। उन्होंने कई चौपालें आयोजित कीं, जिनमें उन्होंने महिलाओं से उनकी समस्याएं पूछीं, बच्चों को सुरक्षा से संबंधित टिप्स दिए और मनचलों व शोहदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए रेड कार्ड भी जारी किए।

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उन्होंने बताया कि ‘मिशन शक्ति’ अभियान के तहत बच्चों को गुड टच और बैड टच की जानकारी दी गई, ताकि वे अपने साथ होने वाले अनुचित व्यवहार को पहचान सकें और समय पर मदद मांग सकें। स्कूली बच्चों को स्कूल जाते समय रास्ते में होने वाली परेशानियों पर भी संवाद किया गया। साथ ही उनसे फीडबैक फॉर्म भरवाए गए ताकि भविष्य की रणनीति को और प्रभावी बनाया जा सके। इस अभियान की विशेषता यह भी है कि महिलाएं अब अपने गांव में ही चौपाल में अपनी बात रख सकती हैं। उन्हें बार-बार थानों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। शक्ति दीदियां ग्रामीण महिलाओं से संवाद कर रहीं हैं, उनके बीच विश्वास कायम कर रही हैं और उन्हीं की जुबानी उनकी शिकायतों को सुनकर मौके पर हल निकाल रही हैं। गंभीर मामलों को संबंधित थाना या प्रशासन को सौंपा जा रहा है।

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गोंडा जिले में चल रही ‘मिशन शक्ति’ से कई महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर महिला उत्पीड़न या छेड़खानी जैसी घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया जाता था, लेकिन अब शक्ति दीदियों के माध्यम से ऐसे मामलों पर तुरंत संज्ञान लिया जा रहा है। गांवों में महिलाएं अब खुलकर अपनी बात कह रही हैं, और उन्हें विश्वास है कि पुलिस उनकी सुन रही है। सिर्फ शिकायतें ही नहीं, इस पहल के तहत महिलाओं को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं जैसे कन्या सुमंगल योजना, महिला हेल्प डेस्क, विधवा पेंशन योजना, स्वयं सहायता समूह से जोड़ने की प्रक्रिया और बालिकाओं को आत्मरक्षा के प्रशिक्षण की जानकारी भी दी जा रही है। अभियान को एक व्यापक सामाजिक सुधार आंदोलन के रूप में विकसित किया जा रहा है।

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मिशन शक्ति अभियान की चौपाल में शक्ति दीदी

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एसपी ने बताया कि ‘मिशन शक्ति’ के तहत क्षेत्र में जाने वाले पुलिस अधिकारियों की कोशिश रहती है कि कोई भी महिला या बालिका भय के कारण अपनी बात न छुपाए। चौपालों में अनौपचारिक और भरोसेमंद माहौल में शक्ति दीदियां न केवल शिकायत सुनती हैं, बल्कि मानसिक समर्थन भी देती हैं। कई मामलों में महिलाओं ने पहली बार अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की बात साझा की और राहत की सांस ली। गोंडा जिले में मिशन शक्ति अभियान की यह रणनीति भविष्य में राज्य के अन्य जिलों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है। न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से यह पहल उल्लेखनीय साबित हो रही है।

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मिशन शक्ति अभियान की चौपाल में शक्ति दीदी

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