Gonda News : धीरे-धीरे याद्दाश्त कम होना है अल्ज़ाइमर का मुख्य लक्षण
‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ पर शहर के वृद्धाश्रम में लगाया गया जांच एवं जागरुकता शिविर
आश्रम में रह रहे 60 वृद्ध जनों की जांची गयी सेहत, अल्जाइमर से बचाव के प्रति किया गया जागरुक
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। गाड़ी की चाबी रखकर भूल जाना, दुकान पर हेलमेट छोड़ देना, कहीं बाहर घूमने जाएं तो सामान भूल जाना या फिर नाम भूल जाना, रास्ते याद ना होना, तो कभी बार-बार चीज़ें याद करने पर भी दिमाग से निकल जाना जैसी दिक्कतें ‘अल्जाइमर’ की वजह से होती हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी होती है। यह जानकारी सोमवार को विश्व अल्जाइमर दिवस के अवसर पर वृद्धाश्रम में लगाये गये जागरूकता व चिकित्सा शिविर में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक सिंह ने दी। उन्होंने कहा कि लाखों लोग हर साल इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इस वजह से अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए पूरी दुनिया में 21 सितंबर को ’विश्व अल्जाइमर दिवस’ मनाया जाता है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम के द्वारा डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह (16 से 22 सितंबर) और ‘विश्व अल्ज़ाइमर्स दिवस’ के अवसर पर शहर के पंतनगर स्थित वृद्धजन आश्रम में जागरूकता व चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस मौके पर मनोरोग विशेषज्ञ डॉ अशोक सिंह और उनकी टीम द्वारा आश्रम के 60 वृद्धजनों की सेहत की जाँच कर दवा वितरित की गई। साथ ही मनोसामाजिक कार्यकर्ता उमेश भारद्वाज द्वारा वहां मौजूद लोगों को अल्जाइमर, डिमेंशिया व अन्य मानसिक विकारों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी। डॉ अशोक सिंह ने बताया कि अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे याद्दाश्त और सोचने की शक्ति कम होती जाती है। कई गंभीर केस में देखा जाता है कि अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति आसान काम भी नहीं कर पाता। वैसे ये बीमारी बुजुर्गों में आमतौर पर देखी जाती है, जिसमें वो दिन-ब-दिन चीज़ें भूलने लग जाते हैं। इस बीमारी में व्यक्ति चिड़चिड़ा और शक्की होने लगता है।
तीन चरणों में होता है अल्जाइमर :
डॉ अशोक ने बताया कि अल्जाइमर के तीन चरण होते हैं। पहले चरण में रोगी अपने दोस्तों और अन्य व्यक्तियों को पहचान सकता हैं, लेकिन उसे लगता है कि वह कुछ चीजें भूल रहा है। दूसरे चरण में उसकी भूलने की प्रक्रिया और अन्य लक्षण धीरे-धीरे उभरने लगते हैं तथा तीसरे चरण में व्यक्ति अपनी गतिविधियों को नियंत्रण करने की क्षमता खो देता है और अपने दर्द के बारे में भी नहीं बता पाता है। डॉ अशोक के अनुसार, इस रोग को रोकना तो संभव नहीं, लेकिन कुछ सामान्य उपाय करके रोगी की परेशानी को कम जरूर किया जा सकता है। अल्जाइमर के लक्षण दिखने पर व्यक्ति की तत्काल जांच कराएं। अल्जाइमर की पुष्टि होने पर पीड़ित को पौष्टिक भोजन देने के साथ ही एक्टिव बनाए रखें। माहौल गमगीन न होने दें और पीड़ित को अकेला न छोड़ें, उसे तनाव से बचाएं। रोगी के परिचित उसके संपर्क में रहें ताकि उनके चेहरे वो भूल ना पाए।
अल्ज़ाइमर का इलाज :
क्लीनिकल साईकोलॉजिस्ट डॉ रंजना गुप्ता ने बताया कि अल्जाइमर पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता, लेकिन मरीज के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। ऐसी कई दवाएं हैं, जिनके द्वारा मरीज के व्यवहार में सुधार लाया जा सकता है। ये दवाएं डॉक्टर द्वारा ही मरीज को दी जाती हैं। इसके अलावा मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। जैसे व्यायाम, सेहतमंद आहार, हाई ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण, डिसलिपिडेमिया और डायबिटीज पर नियंत्रण और मरीज को बौद्धिक गतिविधियों में शामिल करना जैसे नई भाषा सीखने, मेंटल गेम्स या म्यूजिक में व्यस्त रखना। डॉ रंजना गुप्ता ने बताया कि परिवारजनों को ग्रसित व्यक्ति को समझने के लिए बहुत धैर्य की जरुरत होती है। मरीज को खूब प्यार और देखभाल की जरुरत होती है। शिविर में कम्युनिटी नर्स दीपमाला गुप्ता, आश्रम संरक्षक अरविंद कुमार सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
- अल्जाहइमर के लक्षण :
- याददाश्त की कमी।
- प्लैनिंग करने में दिक्कत।
- कोई भी परेशानी सुलझा ना पाना।
- जो काम आते हैं उन्हें भी पूरा ना कर पाना।
- वक्त भूलना और जगह के नाम भी याद ना रहना।
- आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होना।
- सही शब्द लिखने में दिक्कत आना।
- निर्णय लेने में दिक्कत आना।
- चीज़े रखकर भूल जाना।
- लोगों से कम मिलना और काम को आगे टालना।
- बार-बार मूड में बदलाव।
- डिप्रेशन, कंफ्यूज़ रहना, थकान और मन में डर रहना।