Gonda News : जीवन है अनमोल, इसको न समझे कोई खेल
अपनों से करें बात, तो हो जाएगा हर समस्या का समाधान
हताशा व निराशा में कोई भी गलत कदम न उठाएं : डा. अशोक
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। जीवन में जल्द से जल्द सब कुछ हासिल कर लेने की तमन्ना और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में आज लोग बेवजह मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। इसमें जरा-सी नाकामयाबी अखरने लगती है और लोग अपनी जिन्दगी तक को दांव पर लगा देते हैं। कोरोना काल में भी लॉकडाउन के चलते तमाम लोगों की नौकरियां चलीं गयीं, लोगों को अपनी रोजी-रोजगार छोड़कर वापस गाँव लौटना पड़ा। लोग शुरू में इसे लेकर तनाव में थे लेकिन अपनों के बीच बैठकर जब समस्या रखी तो उसका कोई न कोई रास्ता जरूर निकला। इसलिए जब भी हताशा-निराशा में कोई भी गलत कदम उठाने की बात दिमाग में आये, तो सबसे पहले अपनों के करीब जाएं।
कोरोना काल में मीडिया में ऐसी कई खबरें आयीं कि कोरोना उपचाराधीन ने डर के कारण आत्महत्या कर ली। इसमें पढ़े लिखे लोग भी शामिल थे। कुछ लोगों ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का सीधा जुडाव मानसिक स्वास्थ्य से है। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन के अनुसार, विश्व में आठ लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं, यानि हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति की मृत्यु आत्महत्या से होती है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में आत्महत्या की दर 2.4 प्रति लाख जनसंख्या है। मतलब यह है कि एक लाख की आबादी पर लगभग दो लोग आत्महत्या करते हैं। वहीं राष्ट्रीय दर 10.4 प्रति लाख जनसंख्या है। जिले के मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ मलिक आलमगीर ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से हीन भावना से ग्रस्त है अथवा आत्महत्या करने की सोंच रहा है, तो वह एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है, उचित परामर्श और चिकित्सा पद्धति के माध्यम से इसका उपचार किया जा सकता है।
समस्या है तो समाधान भी है :
बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक सिंह का कहना है कि जब व्यक्ति अवसादग्रस्त या तनाव में होता है, तो वह चीजों को वर्तमान क्षण के परिप्रेक्ष्य में देखता है। एक सप्ताह अथवा एक माह के बाद यही चीजें भिन्न रूप में दिखाई देने लगती हैं। जो आत्महत्या करने के बारे में सोचते है, वह मरना नहीं चाहते, बल्कि केवल अपनी पीड़ा को मारना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें अकेले उस स्थिति का सामना करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अपने परिवार के किसी सदस्य, मित्र अथवा किसी सहयोगी से बात भर कर लेने पर उसका समाधान मिल सकता है।
डॉ अशोक के अनुसार, आत्महत्या प्रवृत्ति वालों की पहचान आसानी से नहीं कर सकते, लेकिन कुछ असमान्य लक्षण से पीड़ितों की मनोस्थिति के बारे में जाना जा सकता है। उन्हें ठीक से नींद नहीं आती, उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है। वे अपने मनोभावों को व्यक्त करने में भ्रमित रहते हैं, उनकी खानपान की आदतों में अचानक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है. या तो वे बहुत कम खाते हैं या बहुत ज़्यादा। आमतौर वे अपने फ़िज़िकल अपियरेंस को लेकर उदासीन हो जाते हैं, उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वे कैसे दिख रहे हैं, धीरे-धीरे वे लोगों से कटने लगते हैं। कई बार वह खुद को नुक़सान भी पहुंचाते हैं। इस स्थिति में परिवार का योगदान महत्वपूर्ण हो जाता है, वे वस्तुस्थिति को समझकर उनका ख्याल रखें एवं जरूरत पड़ने पर उनका उपचार कराएं। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2019 से अब तक ओपीडी के दौरान लगभग 50 से 60 ऐसे मरीज मिले हैं, जिनके मन में आत्महत्या के विचार बार-बार आ रहे थे, लेकिन नियमित इलाज और काउंसलिंग के बाद ये सभी मरीज अब अपने परिवार के साथ स्वस्थ जीवन शैली जी रहे हैं।
क्या करें यदि मन में ऐसे विचार आते हों?
क्लीनिकल साईकोलॉजिस्ट डॉ रंजना गुप्ता के अनुसार, जीवन शैली में बदलाव लाएं। ख़ुद पर ध्यान देना शुरू करें। खानपान को संतुलित करें। नियमित रूप से कुछ समय व्यायाम और योग करते हुए बिताएं। नकारात्मक सोच को बाहर का रास्ता दिखाएं। सबसे महत्वपूर्ण बात अकेले न रहें। परिवार और दोस्तों के संग रहें। सकारात्मक होकर कार्य करें। याद रखें, हर एक ज़िंदगी महत्वपूर्ण है। इसे भरपूर जियें और तनाव से दूर रहें। सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नम्बर 1075 पर पर भी इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं। निमहंस (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस) के टोल फ्री नम्बर 080-46110007 पर कॉल कर परामर्श ले सकते हैं। इसके अलावा सात सितम्बर को मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याओं के समाधान हेतु परामर्श के लिए सरकार ने किरन हेल्पलाइन नम्बर 1800-500-0019 जारी किया है। कोविड-19 को लेकर होने वाली चिंताएं या मानसिक दबाव के लिए जिला चिकित्सालय के मानसिक रोग विभाग द्वारा जारी किये गए हेल्पलाइन नंबर 6392 540 889 पर सुबह 9 से शाम 6 बजे तक बात कर मनोचिकित्सक से निःशुल्क परामर्श ले सकते हैं।