Bahraich News:व्यवसायिक बकरी पालन पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारम्भ

संवाददाता

बहराइच। कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच सभागार में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अर्न्तगत प्रवासी श्रमिकों के लिए तीन दिवसीय व्यवसायिक बकरी पालन पर प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया। इस प्रशिक्षण में 35 प्रवासी श्रमिकों ने प्रतिभाग किया। केंद्र प्रभारी डा. एमपी सिंह ने बताया कि बकरी पालन आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों की जीविकोपार्जन का एक महत्वपूर्ण साधन है। बकरी पालन दूध एवं माँस दोनों की पूर्ति के लिए किया जाता है। व्यवसायिक रूप से बकरी पालन को दोनो प्रकार चारागाह व बाड़े से किया जा सकता है। बकरियां तेजी से बढ़ने वाले पशु हैं, वे शीघ्र वयस्क भी हो जाती हैं और डेढ़ वर्ष में दूध देना प्रारंभ कर देती हैं। बकरियों की सर्वाधिक नस्लें जैसे सिरोही, मारवाड़ी, बीटल, जखराना, बारबरी जमुनापारी, मेहसाना इत्यादि पाई जाती हैं। ये नस्लें दूध और मांस दोनों के लिए उपयोगी है। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि अगर अच्छा चारागाह उपलब्ध है तो बकरियों के लिए खर्चीले आहार की आवश्यकता नही पड़ती। गर्मियों के मौसम में बकरियों को सुबह और शाम चरने के लिए छोड़ देना चाहिए और सर्दियों में ओस के सूखने पर ही बकरियों को चारागाह में भेजना चाहिए। चरागाह की नियमित जांच करते रहें ताकि जहरीले पौधे को समय से नष्ट किया जा सके। गाबन बकरियां एवं बकरों को प्रतिदिन चराने के साथ-साथ 250 से 400 ग्राम दाना प्रति दिन देना आवश्यक है। पशुपालन विभाग के उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके रावत ने बताया कि अन्य पशुओं की तरह बकरियां भी विभिन्न रोगों से पीड़ित होती है अतः इन्हें दवाइयां एवं टीके समय-समय पर लगवाने चाहिए। प्रशिक्षण समन्वयक वैज्ञानिक रेनू आर्या ने बताया कि बकरी का दूध पीने से कैल्शियम की कमी पूरी होती है और इससे हड्डियां मजबूत होती हैं बकरी का दूध पीने से आंतों की सूजन कम होती है। प्रगतिशील कृषक शक्तिनाथ सिंह ने समसमायिक विचार प्रस्तुत किये।

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