Ayodhya News : नंदी ग्राम स्थित भरत कूप व मंडव्याश्रम के विकास की मांग

मनोज तिवारी

अयोध्या। श्रीराम जानकी मंदिर, श्री भरत जी का तपस्थल, नंदीग्राम भरतकुंड के व्यवस्थापक ने मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों को पत्र भेजकर इस पौराणिक स्थल को विकसित कराने की मांग की है। मंदिर के व्यवस्थापक संत रामभूषण दास कृपालु महाराज ने मुख्यमंत्री सहित आलाधिकारियों से सरकार द्मारा विकसित किए जाने वाले योजना में भरतकुंड के भरतकूप, वटवृक्ष, श्रीराम जानकी मंदिर, मंडव्याश्रम को पत्र भेजकर मांग किया है कि भरतकुंड के विकास के लिए चिन्हित स्थलों में श्री राम जानकी मंदिर (भरतकूप) वटवृक्ष, मंडव्याश्रम को को भी शामिल किया जाएगा। रामनगरी के प्राचीन स्थलों के विकास की जो योजना बनाई गई है, उसमें इस पौराणिक तीर्थस्थल को उपेक्षित रखा गया है। संत रामभूषण दास बताते हैं कि श्रीरामजानकी मंदिर एक ऐतिहासिक पौराणिक धर्मस्थल है। इसी जगह पर श्रीभरतलाल ने चौदह वर्षों तक श्रीराम जी के वियोग में उनकी चरण पादुका रखकर तपस्या की थी, जिसका साक्षी आज भी विशाल वटवृक्ष व 27 तीर्थों का लाया गया जल श्री भरतकूप है। न जाने कितने वर्ष बीत गए लेकिन भरत के तप का तेज इस भूमि पर अब भी महसूस किया जा सकता है।
इसी स्थान पर भगवान राम व हनुमान जी से भरत के मिलाप का मंदिर भी है। साथ ही भरत की तपस्थली भी भक्तों के श्रद्धा का केंद्र है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग किया है कि इस मंदिर की पौराणिकता को देखते हुए सरकार द्वारा नंदीग्राम भरतकुंड के विकास के लिए चिन्हित किए गए स्थलों में श्रीराम जानकी मंदिर (भरतकूप) को भी सम्मिलत किया जाना चाहिए। इस प्राचीन स्थल के विकास से भरतकुंड पर आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यह श्रद्धा के साथ आकर्षण का भी केंद्र बनेगा। उन्होंने सरकार के द्वारा चौड़ीकरण कराए जा रहे सड़क का विस्तार भी श्रीरामजानकी मंदिर तक कराए जाने की मांग की है। संत रामभूषण दास कृपालु महाराज बताते हैं कि यह वही भरतकूप है जिसमें 27 तीर्थों का जल है। खास बात यह है कि भरत कूप आज भी जस का तस विद्यमान है और इसमें पानी भी है। जिसे भरतकुंड आने वाले श्रद्धालु श्रद्धावनत भाव से शिरोधार्य करते हैं।ऐसी मान्यता है कि बनवास के बाद जब भरतजी भगवान राम को मनाने के लिए चित्रकूट गए थे, तो अपने साथ 27 तीर्थों का जल भी लेकर गए थे। कृपालु जी बताते हैं कि मान्यता है जब भरत जी भगवान की चरणपादुका लेकर वापस आने लगे तो 27 तीर्थों का आधा जल चित्रकूट के एक कूप में स्थापित किया और आधा भरतकुंड स्थित कूप में। त्रेताकाल से लेकर अब तक नंदीग्राम में यह कूप स्थापित है। भरत जी इसी जल से जलपान करते थे।

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