श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर गरीब बेटियों की शादी का संकल्प लेंगे केंद्रीय मंत्री
अन्नू भैया तेरहवीं के बारे में सोशल मीडिया पर कीर्तिवर्धन सिंह ‘राजा भैया’ ने किया खुलासा
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा (उप्र)। पूर्व सांसद आनंद सिंह उर्फ अन्नू भैया तेरहवीं के अवसर पर उनके बेटे विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह (राजा भैया) ने भोज की परंपरा को खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। आगामी 18 जुलाई को आयोजित तेरहवीं कार्यक्रम में न तो कोई पारंपरिक भोज होगा और न ही दिखावा। इसके स्थान पर श्रद्धांजलि सभा और सेवा संकल्प कार्यक्रम रखा गया है, जहां गरीब बेटियों की शादी कराकर उन्हें नई जिंदगी देने का संकल्प लिया जाएगा। राजा भैया के इस चौंकाने वाले फैसले ने पूरे प्रदेश में नई चर्चा छेड़ दी है। बता दें कि बीते 6/7 जुलाई की रात उनका निधन हो गया था।
राजा भैया ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह उनका निर्णय स्व. पिता आनंद सिंह उर्फ अन्नू भैया को सच्ची श्रद्धांजलि देने का एक प्रयास है। उन्होंने वेद, पुराण और रामायण का हवाला देते हुए बताया कि परोपकार और सेवा को ही जीवन का परम उद्देश्य माना गया है। राजा भैया ने साफ कहा कि पितरों की तृप्ति भोज से नहीं, बल्कि जरूरतमंदों की सेवा से होती है। यही कारण है कि अन्नू भैया तेरहवीं के अवसर पर गरीब बेटियों का सामूहिक विवाह आयोजित कर उन्हें सम्मानजनक जीवन देने का संकल्प लिया जाएगा, जिसका आयोजन बाद में किया जाएगा।
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राजा भैया ने कहा कि 18 जुलाई को दोपहर 12ः30 बजे मनकापुर कोट में शुरू होने वाला यह सेवा संकल्प कार्यक्रम अन्नू भैया तेरहवीं को जनआदर्श के रूप में स्थापित करेगा। यह कदम समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा और गरीब बेटियों के चेहरों पर मुस्कान लाएगा।
इस अनूठे प्रयास की प्रशंसा केवल गोंडा तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे प्रदेश में लोग अन्नू भैया तेरहवीं के इस फैसले को सराह रहे हैं। उनका मानना है कि भोजन में लाखों रुपए खर्च करने से कहीं अधिक पुण्य, उन बेटियों की मदद करने में है, जो गरीबी के चलते विवाह नहीं कर पातीं। अन्नू भैया तेरहवीं में भोज को छोड़कर गरीबों की मदद करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि समाज में बदलाव का प्रतीक है।
कीर्तिवर्धन सिंह ने अपने विस्तृत सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि राजा आनंद सिंह ने जीवनभर परोपकार को ही धर्म माना। उनका जीवन त्याग और जनसेवा का जीता-जागता उदाहरण था। यही कारण है कि अन्नू भैया तेरहवीं को भोज के बजाय सेवा संकल्प से जोड़ा गया है। उन्होंने भगवद्गीता और उपनिषदों के श्लोकों का उल्लेख कर यह स्पष्ट किया कि सच्चा जीवन वही है जो परोपकार और लोकहित के लिए जिया जाए। इस कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गों से लोगों को आमंत्रित किया गया है ताकि अन्नू भैया तेरहवीं को एक जनआंदोलन का रूप दिया जा सके।
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में तेरहवीं के अवसर पर भोज की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसे में यह ऐतिहासिक फैसला न केवल साहसिक है बल्कि समाज के लिए प्रेरणादायी भी है। इस पहल से अनेक गरीब परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा और समाज में सहयोग और मानवता की नई मिसाल कायम होगी। राजा भैया का यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि पुराने रीति-रिवाजों में बदलाव लाकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। अन्नू भैया तेरहवीं कार्यक्रम निश्चित ही भविष्य में समाज के लिए एक नई दिशा तय करेगा।
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