डीएनए टेस्ट में भी फर्जी साबित हुआ शोपियां एनकाउंटर
– मुठभेड़ में मारे गए युवकों और परिवार वालों की डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव
– सेना ने माना, मुठभेड़ में मारे गए तीनों युवक राजौरी के लापता श्रमिक थे
– सैनिकों के खिलाफ आर्मी एक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश
नई दिल्ली (हि.स.)। शोपियां मुठभेड़ में 18 जुलाई को मारे गए तीनों युवकों और उनके परिवार वालों की डीएनए टेस्ट रिपोर्ट आ गई है। युवकों का डीएनए परिवार वालों से मेल खाने पर सेना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में गलत पाया गया यह एनकाउंटर अब पूरी तरह से फर्जी साबित हो गया है। मुठभेड़ में शामिल जवानों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ पहले ही कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भी कहा था कि अमशीपोरा केस की जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी और उसे हर हाल में अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी ने बताया कि शोपियां मुठभेड़ में मारे गए राजौरी के डीएनए सैंपल की रिपोर्ट आ गई है। तीनों युवकों और उनके परिवार वालों की डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। अब इसी आधार पर पुलिस की जांच आगे बढ़ाई जाएगी। पुंछ में राजौरी इलाके के कोटरांका में धार सकरी गांव निवासी तीनों युवकों इम्तियाज अहमद (26), इबरार अहमद (18) और इबरार अहमद (21) के परिजनों ने उनके लापता होने की पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इनके परिवारों ने पुलिस को बताया था कि तीनों युवकों से आखिरी बार 16 जुलाई को बात हुई थी। ये तीनों युवक मुख्य रूप से सेब और अखरोट के कारोबार से जुड़े थे। अंतिम बातचीत में युवकों ने उन्हें बताया था कि शोपियां के अमशीपोरा में किराए का एक कमरा मिल गया है। अगले दिन उसी जगह पर मुठभेड़ हुई और उसके बाद से तीनों के बारे में कोई खबर नहीं है।
पुलिस की जांच-पड़ताल के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हुईं सूचनाओं पर सेना ने खुद संज्ञान लिया। सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित करके जांच शुरू कर दी और मारे गए तीनों युवकों के शवों को कब्र से निकलवाकर दोबारा पोस्टमार्टम कराया। साथ ही युवकों और इनके परिवार वालों के डीएनए नमूने लेकर जांच के लिए भेजे। सेना को जांच के दौरान ‘प्रथम दृष्टया’ साक्ष्य मिले कि जवानों ने शोपियां ‘फर्जी मुठभेड़’ में अफस्पा के तहत मिली शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया। इसके अलावा सेना प्रमुख और सर्वाेच्च न्यायालय के निर्देशों का भी उल्लंघन हुआ है।
सेना ने अपनी जांच में माना है कि अमशीपोरा मुठभेड़ में मारे गए तीनों कथित आतंकी राजौरी के लापता श्रमिक थे। इसलिए मुठभेड़ में शामिल सैनिकों के खिलाफ आर्मी एक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू किये जाने के आदेश दिए गए हैं। सेना ने जांच के दौरान कुछ अन्य गवाहों के बयान भी दर्ज किये हैं। सेना के मुताबिक मारे गए तीन युवकों की पहचान नहीं हो पाई थी, इसलिए उनके शवों को निर्धारित प्रावधानों के तहत दफना दिया गया था।
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भी सेना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद अमशीपोरा केस की जांच पूरी पारदर्शिता के साथ करने और उसे हर हाल में अंजाम तक पहुंचाने का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना अपने पेशेवर अंदाज के लिए जानी जाती है और वह इसके लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हिंसा प्रभावित इलाकों के लिए जो भी गाइडलाइंस बनाई गई हैं, उसमें हमारी जीरो टोरलेंस की नीति है, इसलिए ऐसी गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।