हेल्थ सेक्टर के लिए वरदान साबित होगी 5जी सर्विसेज,मेडिकल एजुकेशन में भी भूमिका बेहद अहम

-सभी मेडिकल संस्थानों के छात्रों की सर्वश्रेष्ठ प्रोफेसर्स तक पहुंच होगी

– रियल टाइम संवाद कर एक-दूसरे का ज्ञानवर्धन कर सकेंगे छात्र-छात्राएं

वाराणसी(हि.स.)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2022 के पहले दिन शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5जी सेवाएं आधिकारिक रूप से लॉन्च कर दी है। इसी के साथ देश में संचार कांति में एक नये युग की शुरुआत हुई है। वहीं, 5जी सेवाएं स्वास्थ्य सेक्टर में वरदान साबित होंगी। वैश्विक महामारी कोविड के दौरान टेलीमेडिसिन के महत्व और उसके उपयोग को करीब से लोगों ने देखा।

टेलीमेडिसिन की भी अपनी सीमाएं हैं। जिसमें डॉक्टर और मरीज केवल एक दूसरे को देख सकते हैं। इलाज में डॉक्टर की मरीज के सामने उपस्थिति एक बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती है। जो रोगी को कहीं न कहीं शीघ्र स्वस्थ होने में बड़ी भूमिका अदा करता है। यह कमी बहुत हद तक 5जी के आने से पूरी हो सकेगी। अब ऐसा संभव है कि डॉक्टर अपनी क्लिनिक में या अस्पताल में बैठे हुए भी मरीज के निकट होंगे।

हेल्थकेयर सेक्टर में न केवल मरीजों के इलाज में 5जी बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा, बल्कि इस सेक्टर से जुड़ी अन्य सेवाओं और मेडिकल शिक्षा का स्वरूप भी 5जी के चलते संवरेगा। भारत के दूर-दराज के क्षेत्र में प्राथमिक व सामुदायिक केंद्रों से जब गम्भीर स्थिति वाले मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जाता है तो सबसे बड़ी समस्या आती है, उस केंद्र से हायर सेंटर की दूरी और हायर सेंटर में बेड खाली है या नहीं,यह भी समस्या है। ऐसे में हायर सेंटर ले जाये बिना ही वहां के डॉक्टर्स को मरीज के स्वास्थ्य से संबंधित रियल टाइम डेटा अब 5जी के जरिये मिलेगी और वे प्राथमिक व सामुदायिक केंद्र के डॉक्टरों को इलाज के लिए जरूरी निर्देश देकर मरीजों की जान बचा सकेंगे। वर्तमान में कई गीगाबाइट या टेराबाइट का मेडिकल डाटा ट्रांसफर होने में बहुत ज्यादा समय लगता है। जिससे मरीज की वर्तमान नाजुक हालत की जानकारी मिलने में दूर बैठे डॉक्टर को समय लगता है। जबकि इधर मरीज के लिए एक-एक सेकंड कीमती होता है।

5जी के आने के बाद दूर दराज इलाकों में स्थित छोटे स्वास्थ्य केंद्रों से हायर सेंटर्स तक टेक्स्ट और इमेजेज या वीडियो के फॉर्म में डेटा चुटकियों में ट्रांसफर किया जा सकेगा। जिससे मरीज की रियल टाइम हालत के बारे में डॉक्टर को जानकारी मिल सकेगी। ब्रिटेन के ब्रिस्टल में तो इससे भी एक कदम आगे बढ़कर 5जी तकनीक का उपयोग किया गया। ब्रिस्टल नदी के किनारे हारबर साइड में शाम के समय अक्सर लोगों के नदी में गिरकर मौत होती रहती है। यह देख उस स्थान पर सिटी कॉउंसिल ने 5जी नेटवर्क से जुड़े थर्मल कैमरे लगाने का फैसला लिया जो मोशन डिटेक्ट कर सकते थे। जैसे ही कोई व्यक्ति नदी में गिरता, थर्मल कैमरे मोशन को डिटेक्ट कर अलार्म बजा देते हैं। जिससे रेस्क्यू टीम न केवल समय रहते उस व्यक्ति को डूबने से बचाती है बल्कि उस व्यक्ति को जरूरत के मुताबिक आवश्यक चिकित्सा भी मुहैया करा दी जाती है। गौरतलब हो कि 5 जी एक परिवर्तनकारी तकनीक है और स्वास्थ्य सेवा 5जी के लिए सबसे आशाजनक उपयोग के मामलों में से एक है। अध्ययनों से पता चलता है कि अस्पताल के लिए बढ़ी हुई यात्रा की दूरी मृत्यु दर के बढ़ते जोखिमों का कारण बनी हुई है। एम्बुलेंस के 5 जी से जुड़े होने पर यह अस्पताल की लगभग सारी सुविधाएं एम्बुलेंस में ही मुहैया कराएगा।

5जी के साथ आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस भी अपनी बड़ी भूमिका निभाएगा जो डॉक्टर्स को मरीज के क्लीनिकल डायग्नोसिस में लगने वाले समय को बचाएगा ताकि डॉक्टर्स मरीज को उचित इलाज मुहैया कराने के अपना ध्यान केंद्रित कर सकें। इसके अलावा मेडिकल एजुकेशन में भी 5जी की भूमिका बेहद अहम होने वाली है। 5जी के जरिये मेडिकल शिक्षा संस्थान अपनी बेस्ट प्रैक्टिसेज को एक दूसरे से साझा कर एक दूसरे के पूरक बन सकेंगे। इससे न केवल सभी मेडिकल संस्थानों के छात्रों की सर्वश्रेष्ठ प्रोफेसर्स तक पहुंच होगी बल्कि छात्र भी एक दूसरे के साथ रियल टाइम संवाद स्थापित कर एक दूसरे का ज्ञानवर्धन कर सकेंगे। गौरतलब हो कि हाल ही में हुई नीलामी में रिलायंस जिओ, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अडानी डेटा नेटवर्क ने 5 जी का स्पेक्ट्रम खरीदा है। 5जी सेवा को ये कंपनियां एक के बाद एक शुरू करेंगी।

श्रीधर

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