श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: सभी पक्ष जवाब दाखिल करने की तैयारी में

मथुरा (हि.स.)। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में अदालत की नोटिस पर 18 नवम्बर को सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्री कृष्ण सेवा संस्थान, श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट की तरफ से अपने-अपने जवाब दाखिल करने की तैयारी जोरों से चल रही है। सभी पक्षों के अधिवक्ताओं ने कहा कि हमारे पास नोटिस आ चुका है और समय पर जवाब देने की हमारी तरफ से तैयारी पूरी है।
 याचिकाकर्ताओं ने 12 अक्तूबर को जिला जज साधना रानी ठाकुर की अदालत में अपील की। भगवान विराजमान श्रीकृष्ण की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और पंकज कुमार वर्मा ने दावा दाखिल करने के लिए न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा। अदालत ने अपील स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए अगली तारीख 18 नवम्बर निर्धारित की है। इस मामले में प्रतिवादी बनाए गए यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, शाही ईदगाह कमेटी ट्रस्ट के प्रबंधक, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट मथुरा और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव को नोटिस जारी किए गए थे, जो उनको मिल गए हैं। 
सुन्नी वक्फ बोर्ड अधिवक्ता शैलेंद्र दुबे ने शुक्रवार को कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में न्यायालय की नोटिस मिलने के बाद पुराने दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं, हम लोगों की तरफ से तैयारी पूरी है। कमेटी की तरफ से समय पर जवाब दाखिल किया जाएगा। शाही ईदगाह कमेटी सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद ने भी कहा कि नोटिस पढ़ने के बाद पुराने दस्तावेज का अध्ययन किया जा रहा है 18 नवम्बर को जिला न्यायालय कोर्ट में जवाब दिया जाएगा। श्रीकृष्ण सेवा संस्थान सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि मुस्लिम शासक आए और उन्होंने मंदिर तोड़कर उसी स्थान पर मस्जिद बनवाई। शाही ईदगाह मस्जिद और श्री कृष्ण जन्मभूमि में लगे पत्थर एक हैं। जन्मभूमि मंदिर चार बार तोड़ा गया और चार बार बनवाया गया है। 
श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर मस्जिद मुक्त कराने 1940 में पहुंचे थे मदन मोहन मालवीयब्रिटिश शासन काल के दौरान 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था, सन् 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर काफी दुखित हुए। उन्होंने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा।21 फरवरी सन् 1951 में श्रीकृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई। 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया। 20 जुलाई 1973 को यह जमीन बेच दी गई। जमीन की बिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली थी। 
औरंगजेब ने मंदिर ध्वस्त कर बनवाई थी शाही ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मस्थान का प्राचीन केशव देव मंदिर पहले मलपुरा के नाम से जाना जाता था क्योंकि चार किलोमीटर के क्षेत्र को केशव देव की संपत्ति माना जाता है। प्राचीन केशव देव मंदिर के पास कंस का कारागार हुआ करता था। 5247 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण का यहां जन्म हुआ। भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने उसी स्थान पर केशव देव मंदिर की प्रथम स्थापना की। मुगल साम्राज्य के दौरान औरंगजेब ने सन् 1669 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया और शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई, जो वर्तमान में बनी हुई है। कटरा केशव देव को ही श्रीकृष्ण जन्म स्थान माना जाता है।
सबसे पहले 1017 में तोड़ा गया था मंदिर सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए मंदिर मोहम्मद गजनवी ने 1017 ईसवी में आक्रमण करने के बाद मंदिर तोड़े थे। विक्रमादित्य ने दोबारा मंदिर का निर्माण कराया और संस्कृति और कला के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित किया गया। इसके बाद हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म का भी मथुरा में विकास हुआ। मथुरा में तीसरी बार मंदिर सिकंदर लोदी के शासनकाल में तोड़े गए थे। शासक जहांगीर के शासनकाल में चौथी बार मंदिर का निर्माण कराया गया लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में मथुरा के मंदिरों को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया।
केशवदेव मंदिर का अपार धन लूट ले गया था गजनवी मथुरा आक्रमण का वर्णन गजनवी के सचिव अलउत्बी ने अपनी किताब तारीख-ए-यामिनी में किया है। आज जहां श्रीकृष्ण जन्मस्थान है, वहां पहले केशव देव मंदिर था। पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने की थी। चौथी शताब्दी में विक्रमादित्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। तब यह मंदिर भव्य और विशाल था। लक्ष्मी नारायण तिवारी बताते हैं कि तारीख-ए-यामिनी में अलउत्बी ने लिखा है कि केशवदेव मंदिर में सोने की पांच मूर्तियां थीं, इनमें आंखों में माणिक्य जड़े थे। मंदिर में बड़े स्तर पर सोना मिला। सोना इतना था कि उसे ले जाना सामान्य तरीके से संभव नहीं था। इसलिए उसने काफी सोना गला दिया था। महमूद गजनवी ने सोना ले जाने के लिए ऊंटों का इस्तेमाल किया था। अलउत्बी ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान में पूर्व में स्थित केशव देव मंदिर में सोने, चांदी और अन्य जेवरात को देख महमूद गजनवी दंग रह गया था। कई दिन तक उसने मंदिर में लूटपाट की थी।

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