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लोस चुनाव : अमेठी में भाजपा का कमल खिलेगा या कांग्रेस की होगी वापसी!

लखनऊ (हि.स.)। च्यवन ऋषि और प्रसिद्ध सूफी सन्त मलिक मुहम्मद जायसी की धरा अमेठी पुरानी सभ्यताओं संस्कृतियों को भी मजबूत करने में शुमार है। उप्र के चुनाव में अमेठी सीट हमेशा चर्चा में रहती है। रायबरेली के बाद अमेठी ऐसी सीट है, जहां कांग्रेस परिवार का हमेशा से दबदबा रहा। संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी यहां से सांसद रह चुके हैं। उप्र की संसदीय सीट संख्या 37 अमेठी में पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होगा।

अमेठी लोकसभा सीट का इतिहास

अमेठी को अब तक नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनतपा पार्टी (भाजपा) नेता स्मृति ईरानी ने तत्कालीन अमेठी सांसद राहुल गांधी को हरा दिया। इस तरह 1967 से अस्तित्व में आई लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली स्मृति ईरानी तीसरी गैर-कांग्रेसी सांसद बन गईं। इससे पहले, भाजपा ने सिर्फ एक बार 1998 में यह सीट जीती थी, जब उसके उम्मीदवार और पूर्व कांग्रेस नेता संजय सिंह ने चुनाव जीता था। अमेठी से निर्वाचित होने वाले अन्य गैर-कांग्रेसी सांसद जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह थे, जिन्होंने आपातकाल के बाद 1977 के चुनावों में जीत हासिल की थी।

कांग्रेस की बात करें तो अब तक अमेठी सीट पर हुए 14 लोकसभा चुनावों और 2 उपचुनाव में पार्टी ने 13 बार जीत दर्ज की है। अमेठी से जीतने वाले पहले कांग्रेस उम्मीदवार वीडी बाजपेयी थे। जिन्होंने 1967 और फिर 1971 में दोबारा जीत दर्ज की थी। 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। हालांकि 1980 में संजय गांधी ने इस सीट से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। कुछ महीने बाद उनकी मृत्यु हो जाने पर उनके बड़े भाई राजीव गांधी ने उपचुनाव में दावेदारी और इस सीट पर जीत दर्ज की। इसके बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी एक बार फिर यहां से जीते। 1989 और 1991 के लोकसभा चुनावों में राजीव गांधी एक बार फिर अमेठी से कांग्रेसी की सीट पर सांसद बने। राजीव गांधी के निधन के बाद 1991 के उपचुनाव में कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस की टिकट पर जीते। 1999 के चुनाव में सोनिया गांधी और 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में राहुल गांधी यहां से जीते।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इस सीट पर अभी तक खाता नहीं खोल सकी है, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) 2004 से लगातर पांच चुनावों से इस सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारती है। सपा ने राहुल और सोनिया के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया।

पिछले दो चुनावों का हाल

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी को 468,514 (49.69%) वोट मिले थे। वहीं दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के राहुल गांधी को 413,394 (43.84%) वोट हासिल हुए। स्मृति ईरानी ने 55 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की।

बात 2014 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी यहां से जीते। राहुल गांधी को 408,651(46.71%) वोट हासिल हुए। वहीं दूसरे स्थान पर रही भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी को 300,748 (34.387%) वोट मिले।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

कांग्रेस-सपा गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में है। कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल पर दांव लगाया है। भाजपा ने मौजूदा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को दोबारा मैदान में उतारा है। बसपा से नन्हे सिंह चौहान चुनावी रण में हैं।

अमेठी सीट का जातीय समीकरण

जनपद अमेठी में कुल मतदाताओं की संख्या 17.96 लाख है। इस सीट पर दलित और मुस्लिम वोट निर्णायक हैं। अमेठी में लगभग 26 फीसदी यानि की करीब 4 लाख वोटर मुस्लिम समाज से हैं, जबकि लगभग साढ़े तीन लाख वोटर दलित समाज के हैं। यादव, राजपूत और ब्राह्मण भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका में हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

अमेठी लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटे आती हैं। 4 विधानसभा सीटें तिलोई, जगदीशपुर (अ0जा0), अमेठी और गौरीगंज सीट अमेठी जिले की हैं। जबकि सलोन (अ0जा0) विधानसभा सीट रायबरेली जिले में पड़ती है। अमेठी और गौरीगंज सीटों पर सपा और बाकी पर भाजपा काबिज है।

जीत का गणित और चुनौतियां

अमेठी से गांधी परिवार का पुराना नाता रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने यहां से परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार न बनाकर सबको चौंकाया है। इस बार पार्टी ने केएल शर्मा को यहां से प्रत्याशी बनाया है, जोकि गांधी परिवार के करीबी हैं और काफी सालों से अमेठी, रायबरेली में पार्टी की रणनीति संचालित कर रहे हैं। भाजपा ने मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा है। पांच साल के कार्यकाल में स्मृति ईरानी ने यहां वर्षों से रूके विकास कार्यों को गति प्रदान की है। वहीं उन्होंने क्षेत्र में अपनी पहचान और पकड़ को पहले से मजबूत किया है। क्षेत्र में डबल इंजन की सरकार के विकास कार्यों और राममंदिर निर्माण का असर दिखाई देता है। बसपा भी अपने परंपरागत वोट को साधने और विपक्ष के वोट बैंक में सेंधमारी की कोश्शिों में जुटी है।

राजनीतिक विशलेषक रोहित माहेश्वरी के अनुसार, ऐसा लगता है गांधी परिवार पिछले चुनाव में मिली हार को अभी तक भूल नहीं पाया है। गांधी परिवार के अमेठी से चुनाव न लड़ने का नेगेटिव मैसेज जनता में गया है। वहीं, कांग्रेस के इस फैसले से भाजपा को मनोवैज्ञानिक तौर पर बढ़त और मजबूती मिली है। अमेठी में भाजपा के झंडा बुलंद दिखाई देता है।

अमेठी से कौन कब बना सांसद

1967 विद्याधर बाजपेई (कांग्रेस)

1971 विद्याधर बाजपेई (कांग्रेस)

1977 रविन्द्र प्रताप सिंह (भारतीय लोकदल)

1980 संजय गांधी (कांग्रेस)

1981 राजीव गांधी (कांग्रेस) उपचुनाव

1984 राजीव गांधी (कांग्रेस)

1989 राजीव गांधी (कांग्रेस)

1991 राजीव गांधी (कांग्रेस)

1991 कैप्टन सतीश शर्मा (कांग्रेस) उपचुनाव

1996 कैप्टन सतीश शर्मा (कांग्रेस)

1998 संजय सिंह (भाजपा)

1999 सोनिया गांधी (कांग्रेस)

2004 राहुल गांधी (कांग्रेस)

2009 राहुल गांधी (कांग्रेस)

2014 राहुल गांधी (कांग्रेस)

2019 स्मृति ईरानी (भाजपा)

डॉ. आशीष वशिष्ठ/मोहित

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