राज्य : आम की बागवानी के लिए विख्यात शाहपुर अब सेब उत्पादन में भी बनाने लगा अपनी खास पहचान

सतेंद्र ढलारिया
धर्मशाला (हि.स.)। किसी समय अचारी और मीठे आमों की बाग़वानी के लिए प्रसिद्ध रहा कांगड़ा जिला का शाहपुर उपमंडल अब सेब उत्पादन में भी अपनी खास पहचान बनाने लगा है। यहां के लोग अब सेब, किवी और अमरूद जैसे फलों के उत्पादन में भी हाथ आजमाने लगे हैं। शाहपुर तहसील के विभिन्न गांवों में लोग अब सेब के उत्पादन को खासी तरजीह दे रहे हैं। इसी राह पर चलते हुए शाहपुर के गांव दुरगेला के बाग़वान पूर्ण चंद ने भी प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद तीन सालों के भीतर सेबों के साथ कुछ ऐसा प्रयोग कर दिखाया कि अब वे आस-पास के बाग़वानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। 
पूर्ण चंद ने वर्ष 2018 में प्रदेश के बाग़वानी विभाग के मार्गदर्शन एवं सहयोग से सेब का बगीचा लगाया था। उनकी कड़ी मेहनत से दो वर्ष के भीतर पौधों में फल आने शुरू हो गए। उन्होंने गत वर्ष लगभग छह क्विंटल सेब बेचा। उनके बाग़ीचे की विशेषता है कि वह अपने बाग़ीचे में किसी रासायनिक खाद या स्प्रे का प्रयोग नहीं करते। इसके स्थान पर वह विभिन्न तरह से बनाये जानी वाली जैविक खादें, जोकि दालों, किचन वेस्ट, गौमूत्र तथा गोबर द्वारा बनाई जाती हैं, का ही प्रयोग करते हैं। वह यह सब ख़ुद ही तैयार करते हैं।
    पूर्ण चन्द कहते हैं कि इस बार सेब की फ़सल काफ़ी अच्छी थी। लेकिन पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि तथा तूफ़ान से उन्हें नुक़सान पंहुचा है लेकिन इसके बावजूद वह अब तक लगभग एक क्विंटल सेब बेच चुके हैं। सेबों की गुणवत्ता के चलते ख़रीददार उनके घर पर आकर ही सेब ख़रीद ले जाते हैं। उन्होंने ज़मीन लीज़ पर लेकर सेब के लगभग 25 हज़ार पौधौं की नर्सरी भी तैयार कर ली है। उनके पौधे गुजरात और महाराष्ट्र तक अपनी पहचान बना चुके हैं।
वे बताते हैं कि इस वर्ष सर्दियों के मौसम में उन्होंने लगभग दो से अढ़ाई हजार पौधे बेचे। इस दौरान क़रीब 25 परिवारों ने लगभग 50-50 पौधे लगाए हैं। वह सेब के पौधे लगाने में ख़ुद लोगों की मदद करते हैं। ग़ौरतलब है कि सेब के पौधे सर्दियों के मौसम में लगाए जाते हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा पौधों पर सब्सिडी के अलावा एन्टी हेलनेट के लिए भी पूर्ण चन्द को 80 प्रतिशत उपदान दिया गया है। इस समय उन्‍होने तीन से चार कनाल के बाग़ीचे में लगभग 150 अन्ना तथा डोरसेट प्रजाति के पौधे लगाए हैं। 
ज़िला कांगड़ा उद्यान विभाग के उपनिदेशक डाॅ. कमलशील नेगी कहते हैं कि ज़िला कांगड़ा में 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बाग़वानी की जाती है। ज़िला में 47,000 हजार मीट्रिक टन फलों की पैदावार होती है। ज़िला में 530 हेक्टेयर भूमि पर सेब के पौधे लगाए गए हैं, जिसमें 330 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हो रहा है। सेब के बग़ीचे अभी कुछ वर्ष पहले ही लगाए गए हैं। अभी इसकी पैदावार कम है। 
उपनिदेशक ने बताया कि अधिकतर सेब के बग़ीचे बैजनाथ विकास खण्ड में लगाए गए हैं। ज़िला में लो चिलिंग वेरायटी, अन्ना और डोरसेट के पौधे लगाए गए हैं और इस क़िस्म के सेब 10 जून तक तैयार हो जाते हैं। इन दिनों प्रदेश के किसी भी हिस्से में सेब तैयार न होने के कारण बाग़वानों को बाज़ार में अच्छे दाम मिल जाते हैं।
गाैरतलब है कि हिमाचल में ठंडे इलाकों कुल्‍लू, मण्‍डी, शिमला और किन्‍नौर में सेब की अधिकतर खेती होती है। लेकिव अब उन्‍नत तकनीक की सहायत से गर्म इलाकाें में भी सेब की खेती हो रही है। हिमाचल लगभग चार हजार करोड़ की सेब की आर्थिकी हर साल होती है।  

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