मासिक शुल्क के सम्बंध में तत्काल सुस्पष्ट आदेश जारी करे सरकार
सहयोग न मिलने की दशा में आनलाइन कक्षाएं भी करनी पड़ेंगी बंद : सीबीएसई स्कूल मैनेजर्स एसोसिएशन
जानकी शरण द्विवेदी
लखनऊ। राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट निर्देशों के बावजूद सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं का शुल्क जमा न किए जाने का अभियान चलाना दुखद है। यदि सरकार इस सम्बंध में तत्काल सुस्पष्ट निर्देश जारी करते हुए ऐसे अभियानों को हतोत्साहित करने का कदम नहीं उठाएगी, तो विवश होकर हमें आनलाइन कक्षाओं का संचालन बंद करना पड़ेगा। यह बात सीबीएसई स्कूल मैनेजर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने राजधानी में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कही।
प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष श्याम पचौरी, उपाध्यक्ष शिवमूर्ति मिश्रा, प्रदेश महामंत्री पराग बोस, प्रदेश मंत्री अनूप खरे, कोषाध्यक्ष आरसी सेंगर, मीडिया प्रभारी एमपी सिंह ने कहा कि सीबीएसई स्कूल मैनेजर्स एसोसिएशन उत्तर प्रदेश ने ट्रान्सपोर्ट शुल्क, एक्टिविटी शुल्क, स्पोटर्स शुल्क, लाइब्रेरी शुल्क आदि मदों को पूर्णतः माफ कर दिया है। सभी विद्यालय केवल माहवार शिक्षण शुल्क की ही अभिभावकों से मांग कर रहे हैं, परन्तु सोशल मीडिया एवं जिले स्तर के अधिकारियों के विवादास्पद आदेशों के कारण अभिभावक शुल्क के मामले में असमंजस की स्थिति में हैं। यहां तक कि सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी, आयकर दाता छोटे-बड़े एवं मझोले व्यापारी, दस एकड़ से ऊपर जोत वाले काश्तकार भी सरकार द्वारा स्पष्ट आदेश न होने के कारण अपने बच्चों की फीस नहीं जमा कर रहे हैं। सरकार द्वारा समय-समय पर सामान्य रूप से कहा जाता रहा है कि सभी अभिभावकों को अपने बच्चों की माहवार फीस जमा करनी है। प्रबंधकों ने कहा कि सरकार को एक बार पुनः एक स्पष्ट आदेश जारी करना चाहिये ताकि निजी विद्यालयों के अध्यापकों एवं कर्मचारियों को भुखमरी से बचाया जा सके। इस सम्बंध में सीबीएसई स्कूल मैनेजर्स एसोसिएशन ने मांग किया है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों पर प्रति छात्र प्रति माह सरकार 3050 रुपया खर्च करती है। यह राशि कोविड-19 के कारण आर्थिक मंदी से जूझने वाले निजी विद्यालयों को भी दिया जाय, ताकि विद्यालय कर्मचारियों का भरण-पोषण हो सके। बिजली के भारी लोड के कारण फिक्स चार्ज ही विद्यालयों के लिये बहुत बड़ा बोझ है, जबकि विद्यालय बन्द रहने की स्थिति में बिजली का कोई खर्च नहीं है। इसको अबिलम्ब पूर्णतः माफ किया जाय। निजी विद्यालयों का हाउस टैक्स, वाटर टैक्स इत्यादि तुरन्त माफ किया जाय। लगभग पचास हजार रुपया प्रतिवर्ष लगने वाला स्कूल बस का इन्श्योरेंस, बस परमिट एवं टैक्स तुरन्त माफ किया जाय या उसकी समयावधि बढ़ाई जाय। ट्रान्सपोर्ट फीस न लेने की अवस्था में बस ड्राइवर एवं क्लीनर के बैंक खाते में सीधे सरकार अबिलम्ब मानदेय की व्यवस्था करें। विद्यालय बन्द होने की अवस्था में बैंक के ब्याज का बोझ निरन्तर एवं अनिश्चित काल के लिये बढ़ता जा रहा है, इस पर तुरन्त रोक लगाई जाय। विद्यालय बन्द होने की अवस्था में अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के बैंक खाते में सरकार सीधे अनुदान भेजे, ताकि उनके भी परिवार का भरण-पोषण हो सके। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं मुख्य सचिव के आदेशों की अवेहलना करके जिले स्तर के अधिकारी कई बार अपने विवादास्पद आदेश जारी कर देते हैं, उन्हें ऐसा करने से अविलम्ब रोका जाय। सरकार इस सम्बंध में स्पष्ट आदेश जारी करे कि सभी अभिभावकों को फीस देना पड़ेगा, जीरो सत्र कतई नहीं होगा।
मैनेजर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट मांग की है कि यदि उक्त बिन्दुओं पर सरकार की ओर से कोई ठोस कदम न उठाया गया तो शिक्षक दिवस से आनलाइन कक्षाओं पर प्रतिबन्ध लगाकर विद्यालय का संचालन पूर्णतः बन्द करना पड़ेगा। निजी विद्यालयों एवं विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों की बदहाली की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। पत्रकार वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष श्याम पचौरी, उपाध्यक्ष शिवमूर्ति मिश्रा, महामंत्री पराग बोस, प्रदेश मंत्री अनूप खरे, कोषाध्यक्ष आरसी सेंगर, प्रदेश मीडिया प्रभारी एमपी सिंह, प्रदेश प्रवक्ता मुरलीधर यादव, श्रीमती मनी ठाकुर, राजेन्द्र यादव, श्रीमती रस्मी सिंह, श्रीमती अर्चना पाण्डेय, मतलूब खान, उमेश कुमार सिंह, जेपी तिवारी, पुष्प रंजन अग्रवाल, राजेश मिश्रा, मयंक बाजपेयी, ओपी गुप्ता, शिखर अग्रवाल, मनोज सिंह, प्रदीप रायतानी, प्रशांत शुक्ला, हर्ष श्रीवास्तव, आर.के. यादव, इंद्रेश मिश्रा, संदीप गुप्ता, संदीप जैसवाल, राजेश मैसी, सुमित दत्ता, मनीष पाण्डेय, सलिल अग्रवाल, हरपाल सिंह, अमर तौलानी, सत्येन्द्र सिंह, कमला यादव, शिवम कपूर, राकेश गर्ग, सुनील सिंह, प्रिया पारासर, विजयपाल, नितीश कुमार, एचएल वर्मा, परवेज अहमद, संजय सिंह, हरी किशन वरनबाल, श्रीमती संगीता लम्होरा आदि उपस्थित थे।