भगवान कृष्ण की वे प्रिय चीजें, जो सिखाती हैं जीवन जीने की कला

महानायक भगवान श्री कृष्ण जिनका चरित्र दार्शनिक होने के साथ-साथ बहुत ही व्यवहारिक भी है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण अपने साथ ऐसी चीजें रखते है जो जन साधारण के लिए कुछ न कुछ सन्देश अवश्य देती हैं। 

  1. प्रेम और शांति का संदेश
    मुरलीधरन हर पल प्रेम और शांति का संदेश देने वाली बांस की बांसुरी को अपने साथ रखते हैं। बांसुरी सम्मोहन, ख़ुशी व आकर्षण का प्रतीक मानी गई है। बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय है, क्योंकि बांसुरी में तीन गुण हैं। पहला बांसुरी में गांठ नहीं है। जो इस बात की ओर संकेत करती है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखो अर्थात मन में बदले की भावना मत रखो। दूसरा बिना बजाये यह बजती नहीं है, मानो यह समझा रही है कि जब तक न कहा जाए तब तक मत बोलो। तीसरा जब भी बजती है मधुर ही बजती है। जिसका अर्थ हुआ जब भी बोलो,जो भी बोलो मीठा ही बोलो अर्थात इस तरह के गुण वाले व्यक्ति श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय हैं।

2.उदारता का देती हैं सन्देश
संसार में पृथ्वी और गौ से बड़ा कोई उदार और क्षमादान नहीं। गाय,भगवान श्री कृष्ण को अतिप्रिय है,इसका कारण यह है गाय सब कार्यों में उदार तथा समस्त गुणों की खान है।गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी, इन्हें पंचगव्य कहते हैं। मान्यता है कि इनका सेवन कर लेने से शरीर के भीतर पाप नहीं ठहरता। जो गौ की एक बार प्रदक्षिणा करके उसे प्रणाम करता है। वह सब पापों से मुक्त होकर अक्षय स्वर्ग का सुख भोगता है।

  1. प्रेम में ब्रह्मचर्य की भावना
    शास्त्रों में मोर को चिर-ब्रह्मचर्य युक्त जीव समझा जाता है। अतः प्रेम में ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करने के प्रतीक रूप में कृष्ण मोरपंख धारण करते हैं।मोर मुकुट का गहरा रंग दुख और कठिनाइयों, हल्का रंग सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।ज्योतिष और वास्तु में मोरपंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है। इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा तो आती ही है, ग्रहदोष भी शांत हो जाते हैं।

4.अहंकार नहीं करने का संदेश
लीलाधारी कृष्ण का रूप अत्यंत मनमोहक और दिव्य है उनके गले में वैजयंती माला सुशोभित है,जो कमल के बीजों से बनी हैं। दरअसल,कमल के बीज बहुत सख्त होते हैं जो कभी टूटते नहीं, सड़ते नहीं, हमेशा चमकदार बने रहते हैं। इसका तात्पर्य है जब तक जीवन है तब तक ऐसे रहो जिससे तुम्हें देखकर कोई दुखी न हो।दूसरा यह बीजों की माला है, जिसकी मंजिल होती है भूमि।इस माला के माध्यम से श्री कृष्ण संदेश देते हैं कि जमीन से जुड़े रहो, कितने भी बड़े क्यों न बन जाओ। हमेशा अपने अस्तित्व की असलियत के नजदीक रहो,अहंकार से दूर रहो।

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