देशव्यापी हड़ताल के क्रम में गोण्डा में भी बिजली अभियंताओं ने किया विरोध प्रदर्शन

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को उप्र के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपद व परियोजना मुख्यालयों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स के आह्वान पर आज देश भर में 15 लाख बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं उप्र, केंद्र शासित प्रदेशों व उड़ीसा में निजीकरण के विरोध में विरोध प्रदर्शन एवं सभाएं की। इसी क्रम में देवीपाटन क्षेत्र के मुख्य अभियन्ता (वितरण) के गोण्डा कार्यालय पर भी विरोध प्रदर्शन किया गया।
सभा को सम्बोधित करते हुए संघर्ष समिति के संयोजक इं. एके कुशवाहा ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे पर केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा विगत तीन जुलाई को राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ हुई बैठक में 11 प्रांतों और दो केंद्र शासित प्रांतां ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के निजीकरण के मसौदे का जमकर विरोध किया था। परिणाम स्वरूप तीन जुलाई की बैठक में केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने यह घोषणा की थी कि राज्य सरकारों के विरोध को देखते हुए इस बिल के मसौदे में संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक के डेढ़ माह बाद भी इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के संशोधित प्रारूप को विद्युत मंत्रालय ने अभी तक सार्वजनिक नहीं करना खेदजनक है। इं. कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव डालकर निजीकरण का एजेंडा आगे बढ़ा रही है, जिससे विजली कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को पारित कराने की तैयारी कर रही है। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। केंद्र सरकार के दबाव में चल रहे निजीकरण के क्रियाकलापों से बिजली कर्मियों और अभियंताओं में आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने कहा कि निजीकरण का प्रयोग उप्र में आगरा और ग्रेटर नोएडा में पहले ही बुरी तरह विफल हो चुका है। इतना ही नहीं, निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा, दिल्ली, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर आदि कई स्थानों पर पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं। इसके बावजूद इन्हीं विफल प्रयोगों को वित्तीय मदद देने के नाम पर थोपा जा रहा है, जिसका प्रबल विरोध किया जाएगा। संघर्ष समिति ने मांग की कि ग्रेटर नोएडा का निजीकरण और आगरा का फ्रेंचाइजी करार घोटालों और करार की शर्तों के उल्लंघन के चलते तत्काल रद्द किये जाएं। सभा को सम्बोधित करते हुए इं. रणवीर सिंह, इं. विपिन कुमार सिंह, इं. रामाजी, राम कृपाल यादव, सतीश कुमार गुप्ता, नरेन्द्र मिश्रा, तारकेश्वर गुप्ता, संजय सिंह आदि ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में सब्सिडी व क्रास सब्सिडी समाप्त करने का प्राविधान है। इसमें स्पष्ट लिखा है कि लागत से कम मूल्य पर किसी श्रेणी के उपभोक्ता को बिजली नहीं दी जाएगी। इसका अर्थ यह है कि किसानां व गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं को 10 रुपए प्रति यूनिट से कम में बिजली नहीं मिलेगी। इस प्रकार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 निजी घरानों के मुनाफे के लिए है और आम उपभोक्ता विरोधी है। संघर्ष समिति ने आज के सफल विरोध प्रदर्शन के बाद एलान किया कि निजीकरण के इस मसौदे को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा और आज के विरोध प्रदर्शन के बाद भी यदि केंद्र और राज्य सरकारों ने निजीकरण के प्रस्ताव व कार्यवाही निरस्त न की और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 संसद में पारित कराने की एकतरफा कोशिश की तो तमाम बिजली कर्मी सीधी कार्यवाही सहित व्यापक आंदोलन प्रारम्भ करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की होगी। विरोध सभा में मुख्य रूप से इं. वेंकट रमन, इं. सत्येन्द्र कुमार साहू, इं प्रज्ञा आर्या, इं. आरएस वर्मा , इं. पवन कुमार, इं. नीरज तिवारी, उदय राज, आद्या तिवारी आदि मौजूद रहे।

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