दिल्ली हिंसा : हाईकोर्ट ने मीडिया संगठन को दिया सूचना का स्रोत बताने का मौका

नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र की उसके बारे में सूचनाएं लीक करने की जांच करने की मांग पर सुनवाई करते हुए एक मीडिया संगठन को सूचना का स्रोत बताने का एक मौका दे दिया है। जस्टिस विभू बाखरु ने मीडिया संगठन की उस मांग को खारिज कर दिया कि वो सीलबंद लिफाफे में इसकी जानकारी देगा कि किस पत्रकार ने ये जानकारी हासिल की।

सोमवार को सुनवाई के दौरान संबंधित मीडिया संगठन ने कोर्ट से कहा कि वो सीलबंद लिफाफे में ये बताएगा कि किस पत्रकार ने आसिफ इकबाल तान्हा के बारे में सूचनाएं हासिल की थी। इस दलील को कोर्ट ने ठुकराते हुए कहा कि आप हलफनामा दायर कर सूचना का स्रोत बताएं। पिछले 15 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संबंधित मीडिया संगठन से सूचना का स्रोत बताने को कहा था।

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट से दिल्ली पुलिस ने कहा था कि उसने ये सूचनाएं लीक नहीं की थीं। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि वो भी इस बात से चिंतित है कि आरोपी के बारे में सूचनाएं लीक की गई हैं क्योंकि इससे जांच पर असर पड़ता है। पिछले 24 अगस्त को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस समेत मीडिया संगठनों को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इस मामले में दो मीडिया संगठनों के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक और यू-ट्यूब को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारियों ने दो मीडिया संगठनों को कुछ गोपनीय और संवेदनशील सूचनाएं लीक की। इन मीडिया संगठनों ने वो गोपनीय सूचनाएं प्रसारित की। याचिका में दोनों मीडिया संगठनों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म को गोपनीय सूचनाएं हटाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वो मीडिया संगठनों का पक्ष सुने बिना उनके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं कर सकती है। कोर्ट ने कहा था कि पुलिस के जिस अधिकारी ने सूचना लीक की है वह अस्वीकार्य है और दिल्ली पुलिस के वकील इससे सहमत होंगे। सुनवाई के दौरान तान्हा की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि उसकी जमानत याचिका पर ट्रायल कोर्ट में सुनवाई कर रही है। लेकिन तान्हा के खिलाफ जिस तरह की चीजें मीडिया में आ रही हैं वो लोगों और सुनवाई करनेवाले जज के दिमाग को बदलने का काम कर सकती हैं।
याचिका में मीडिया में आई इन रिपोर्ट्स का खंडन किया गया है जिसमें कहा गया है कि उसने दंगों को भड़काने में अपनी भूमिका को कबूल किया है। याचिका में कहा गया है कि उसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया गया। याचिका में कहा गया है कि जो सूचनाएं जारी की जा रही हैं उनकी साक्ष्य के रुप में कोई कीमत नहीं है लेकिन उसे मीडिया में पेश कर मीडिया ट्रायल किया जा रहा है। अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक तान्हा स्टूडेंट इस्लामिक आर्गनाइजेशन का सदस्य है और शाहीन बाग के अबुल फजल एंक्लेव में रहता है। वो जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी का एक अहम सदस्य है जिसके जरिये नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा दिया गया था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक तान्हा उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और सफूरा जरगर का निकट सहयोगी है। 

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