दिन-रात ड्यूटी के कारण बढ़ रहा पुलिस कर्मियों में चिड़चिड़ापन

मानसिक तनाव व अवसाद विषय पर कार्यशाला आयोजित कर दिए गए सुझाव

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। जिले के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम द्वारा सोमवार को 30वीं पीएसी चिकित्सालय गोण्डा में “मानसिक तनाव व अवसाद“ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर सेनानायक अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण अधिकतर पुलिसकर्मी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, जिसके कारण वह कभी-कभी आत्मसंयम खो बैठते हैं तथा लोगों से अव्यवहारिक बातचीत कर जाते हैं। वहीं मनोचिकित्सक डॉ अशोक सिंह ने बताया कि दिन-रात ड्यूटी और अपने परिवार से दूर रहने के कारण पुलिसकर्मियों में चिड़चिड़ापन रहने लगता है, जिससे उन्हें बात-बात पर गुस्सा आने लगता है। डॉ अशोक का कहना है “लोगों के लिए पूरा माहौल बदल गया है। अचानक से स्कूल, ऑफिस, बिजेनस बंद हो गए, बाहर नहीं जाना है और दिन भर कोरोना वायरस की ही ख़बरें देखनी हैं। इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ना स्वाभाविक है।“ उन्होंने कहा कि “लोगों को परेशान करने वालीं तीन वजहें हैं। एक तो कोरोना वायरस से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी व कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा लॉकडाउन के कारण आया अकेलापन।”

स्ट्रेस बढ़ने का शरीर पर असर :

डॉ अशोक बताते हैं कि इन स्थितियों का असर ये होता है कि स्ट्रेस बढ़ने लगता है। सामान्य स्ट्रेस तो हमारे लिए अच्छा होता है। इससे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, लेकिन ज़्यादा स्ट्रेस, डिस्ट्रेस बन जाता है। ये तब होता है, जब हमें आगे कोई रास्ता नहीं दिखता। घबराहट होती है, ऊर्जाहीन महसूस होता है। फ़िलहाल महामारी को लेकर इतनी अनिश्चितता और उलझन है कि कब तक सब ठीक होगा, पता नहीं। ऐसे में सभी के तनाव में आने का ख़तरा बना हुआ है। इस तनाव का असर शरीर, दिमाग़, भावनाओं और व्यवहार पर पड़ता है। हर किसी पर इसका अलग-अलग असर होता है :

शरीर पर असर :
बार-बार सिरदर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, थकान, और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव।

भावनात्मक असर :
चिंता, ग़ुस्सा, डर, चिड़चिड़पना, उदासी और उलझन हो सकती है।

दिमाग़ पर असर :
बार-बार बुरे ख़्याल आना। जैसे मेरी नौकरी चली गई तो क्या होगा, परिवार कैसा चलेगा, मुझे कोरोना वायरस हो गया तो क्या करेंगे। सही और ग़लत समझ ना आना, ध्यान नहीं लगा पाना।

व्यवहार पर असर :
ऐसे में लोग शराब, तंबाकू, सिगरेट का सेवन ज़्यादा करने लगते हैं। कोई ज़्यादा टीवी देखने लगता है, कोई चीखने-चिल्लाने ज़्यादा लगता है, तो कोई चुप्पी साध लेता है।

इसी क्रम में नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ रंजना गुप्ता द्वारा पुलिस कर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य स्तर सुदृढ़ बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए। उनके द्वारा अवसाद, चिंता, आत्महत्या, हिस्टिरिया, सिजोफ्रेनिया, मोबाइल इंटरनेट एडिक्शन इत्यादि मानसिक विकारों के लक्षण, कारण एवं उपचार के बारे में जानकारी प्रदान किया गया। डॉ रंजना ने कहा कि मानसिक तनाव की स्थिति से बाहर निकलना बहुत ज़रूरी है वरना तनाव अंतहीन हो सकता है। उनके मुताबिक़ आप कुछ तरीक़ों से ख़ुद को शांत रख सकते हैं ताकि आप स्वस्थ रहें।
ख़ुद को मानसिक रूप से मज़बूत करना ज़रूरी है। आपको ध्यान रखना है कि सबकुछ फिर से ठीक होगा और पूरी दुनिया इस कोशिश में जुटी हुई है। बस धैर्य के साथ इंतज़ार करें। अपने रिश्तों को मज़बूत करें। छोटी-छोटी बातों का बुरा ना मानें। एक-दूसरे से बातें करें और सदस्यों का ख्याल रखें। निगेटिव बातों पर चर्चा कम करें। अपनी दिनचर्या को बनाए रखें। इससे हमें एक उद्देश्य मिलता है और सामान्य महसूस होता है। हमेशा की तरह समय पर सोना, जागना, खाना-पीना और व्यायाम करें। एक महत्वपूर्ण तरीक़ा यह है कि इस समय का इस्तेमाल अपनी हॉबी पूरी करने में करें। वो मनपसंद काम जो समय न मिलने के कारण आप ना कर पाए हों। इससे आपको बेहद ख़ुशी मिलेगी, जैसे कोई अधूरी इच्छा पूरी हो गई है। अपनी भावनाओं को ज़ाहिर करना। अगर डर, उदासी है तो अपने अंदर छुपाएं नहीं बल्कि परिजनों या दोस्तों के साथ शेयर करें, जिस बात का बुरा लगता है, उसे पहचानें और ज़ाहिर करें, लेकिन वो ग़ुस्सा कहीं और ना निकालें।

ख़बरों की ओवरडोज़ न लें :

डॉ रंजना का कहना है कि आजकल टीवी और सोशल मीडिया पर चारों तरफ़ कोरोना वायरस से जुड़ी ख़बरें आ रही हैं। हर छोटी-बड़ी, सही-गलत ख़बर लोगों तक पहुंच रही है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है क्योंकि वो एक ही तरह की बातें सुन, देख व पढ़ रहे हैं और फिर सोच भी वही रहे हैं। डॉ रंजना बताती हैं, “इसके लिए ज़रूरी है कि लोग उतनी ही ख़बरें देखें और पढ़ें जितना ज़रूरी है। उन्हें समझना होगा कि एक ही चीज़ बार-बार देखने से उनके दिमाग़ में वही चलता रहेगा। इसलिए दिनभर का एक समय तय करें और उसी वक़्त न्यूज़ चैनल देखें।” इस वक़्त अपना ध्यान बंटाना ज़रूरी है। इसके लिए ख़ुद को दूसरे कामों में व्यस्त रखें। दोस्तों और परिजनों से बातचीत करते रहें या अपने मनपसंद काम में ध्यान लगाएं। कुछ लिखना भी इस दौरान सुकून दे सकता है। इस मौके पर मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ता उमेश भारद्वाज द्वारा उपस्थित पुलिस कर्मियों को जिला चिकित्सालय में संचालित मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ एवं मन-कक्ष द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाली सुविधाओं से अवगत कराया गया। कार्यशाला में डॉ जीएम चिस्त, कम्युनिटी नर्स दीपमाला गुप्ता समेत अन्य पीएसी के जवान शामिल हुए।

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