घाघरा व सरयू नदी में उफान से एक दर्जन से अधिक गावों में घुसा बाढ़ का पानी, ग्रामीण भयभीत
गोंडा। घाघरा व सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण दोनों नदियां उफान पर हैं। घाघरा खतरे के निशान से 108 तथा सरयू 42 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जिससे कर्नलगंज के एल्गिन चरसडी व तरबगंज के भिखारीपुर बांध को खतरा मडराने लगा है। इन नदियों में एक सप्ताह से लगातार छोड़े जा रहे पानी से नदी पूरे शबाब पर है। शुक्रवार को विभिन्न बैराजों से छोड़े गए करीब साढे तीन लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज शनिवार को जारी रहा। रविवार को भी बांध के आस पास वाले गांव में बाढ़ के पानी का फैलाव तेजी से हो रहा है। सात गांव बाढ़ के पानी से बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। जिसमें ग्राम माझा रायपुर, परसावल, नेपुरा, पारा, बेहटा और कमियार, यह बाराबंकी और गोंडा जिले की सीमा पर बसे गांव हैं तथा करनैलगंज तहसील के ग्राम नकहरा के नौ मजरे पूरी तरह बाढ़ के पानी से डूब चुके हैं और सभी मजरे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
एल्गिन चरसडी बांध बनने के बाद पहली बार आए पानी के इतने बड़े सैलाब से ग्रामीण भयभीत हैं। ग्रामीणों के मुताबिक पहली बार घाघरा नदी में इतना पानी आ रहा है। इसके पूर्व घाघरा नदी का फैलाव मात्र एक किलोमीटर की परिधि में था। जो अब बढ़कर करीब ढाई किलो मीटर से भी ज्यादा हो गया है। जिससे पानी का दबाव बांध एवं आसपास के गांव में कम होना चाहिए, मगर पानी का जबरदस्त सैलाब आने से घाघरा नदी 108 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुकी है और जिन गांवों में आज तक पानी नहीं घुसा वहां तक घाघरा के बाढ़ का पानी दस्तक दे चुका है।
गोंडा और बाराबंकी जिले की सीमा पर बसी ग्राम पंचायतें कमियार, माझा रायपुर, परसावल, नैपुरा तो पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। इसके अलावा ग्राम पारा और बेहटा के अधिकांश मजरे बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। करनैलगंज तहसील के ग्राम नकहरा के 9 मजरे पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं। जहां की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है और ग्रामीण परेशान हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों के सुख सुविधा के लिए बाढ़ चौकी की स्थापना कर दी है। जहां राजस्व के अधिकारी और कर्मचारी कैम्प कर रहे हैं और पल-पल की सूचना अधिकारियों को दे रहे हैं। मगर ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
बताया जा रहा है कि बीते सोमवार से रविवार के बीच गरीब 15 लाख क्यूसेक पानी सरयू नदी में डिस्चार्ज हुआ है। गुरुवार को करीब 4 लाख 1 हजार क्यूसेक पानी, शुक्रवार को 4 लाख 11 हजार क्यूसेक पानी और शनिवार को 3 लाख 40 हजार क्यूसेक पानी तथा रविवार को 3 लाख 20 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज सरयू में हुआ है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान 106.07 के सापेक्ष 107.156 पर चल रही थी। अगर बरसात ना हुई तो पानी घटने के आसार हैं। मगर पहाड़ी क्षेत्र और बहराइच, लखीमपुर, सीतापुर, नेपाल के सरहदी इलाकों में बारिश होने से नदी के जल स्तर में इजाफा होने का प्रबल अनुमान लगाया जा रहा है।
इस संबंध में सिंचाई विभाग के अवर अभियंता एमके सिंह ने बताया कि पानी का डिस्चार्ज धीरे-धीरे घट रहा है। अगर बरसात न हुई तो डिस्चार्ज घटेगा और जलस्तर में गिरावट होगी। यदि बरसात होती रही तो जलस्तर में गिरावट होने के आसार नहीं हैं। फिलहाल पानी के डिस्चार्ज से या घाघरा के जलस्तर घटने बढ़ने से बांध को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है।
23 बाढ़ चौकियों के माध्यम से हो रही सतत निगरानी
अपर जिलाधिकारी राकेश सिंह ने बताया बाढ़ से निपटने के लिए जिले में 23 बाढ़ चाौकियां सक्रिय हैं तथा 02 राहत वितरण केन्द्र वर्तमान में संचालित हैं। 29 नावों की उपलब्धता के साथ ही 01 प्लाटून पीएसी की फ्लड बटालियन भी तहसील तरबगंज में तैनात है। मेडिकल रिस्पान्स के लिए मेडिकल की 19 टीमें गठित हैं तथा अब तक 762 लोगों का उपचार मेडिकल टीम द्वारा किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि अब तक 24442 लोगों को क्लोेरीन की टैबलेट तथा 1200 लोगों को ओरआरएस घोल का पैकेट दिया जा चुका है। पशुओं को रोगों से बचाने हेतु पशुओं का टीकाकरण पशुपालन विभाग द्वारा कराया जा रहा है।