कुपोषण दूर करने के लिए इच्छुक परिवारों को ‘गाय’ देगी योगी सरकार
-गाय के भरण-पोषण के लिए प्रति गाय प्रतिमाह 900 रुपये भी किए जाएंगे प्रदान
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पोषण के स्तर को बेहतर करने के लिए कुपोषित परिवारों, जिनके पास गाय रखने का स्थान उपलब्ध हो और वह गो-पालन के इच्छुक हों, उन्हें निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों से गाय उपलब्ध करायी जाए।
गाय के भरण-पोषण के लिए प्रति गाय प्रतिमाह 900 रुपये भी प्रदान किये जाएं। यह व्यवस्था पहले से संचालित ‘मुख्यमंत्री निराश्रित-बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ के अन्तर्गत की जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों को अच्छे से अच्छा पोषण उपलब्ध कराने के लिए किचन गार्डन विकसित करने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया जाए।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को यहां लोक भवन में ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ के सम्बन्ध में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बहराइच, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी एवं बाराबंकी जनपदों के पोषण कार्यक्रम के लाभार्थियों व उनके अभिभावकों के साथ संवाद स्थापित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों का चिह्नांकन करके उन्हें समय से पोषण सम्बन्धी सभी सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं। बच्चों के साथ कुपोषित मां को भी चिह्नित कर योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाए। कुपोषित परिवारों के बेरोजगार लोगों को राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
उन्होंने कहा कि देश में बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या के समाधान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विशेष फोकस है। इसके दृष्टिगत ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ संचालित किया जा रहा है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य राष्ट्र को समृद्ध बनाना है।
पोषण कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समुचित निगरानी को जरुरी बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के समय में इसे डिजिटल माध्यम से आगे बढ़ाया जाए। जनपद स्तर पर कार्यक्रम की साप्ताहिक समीक्षा की जाए। मण्डलायुक्त के स्तर पर पाक्षिक समीक्षा की जाए। इस समीक्षा की रिपोर्ट विभाग तथा मुख्यमंत्री कार्यालय को भी प्रेषित की जाए। विभागीय स्तर तथा मुख्य सचिव के स्तर पर माहवार समीक्षा सम्पन्न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम के संचालन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय बनाकर कार्य किया जाए। पूर्वांचल के जनपद गोरखपुर व आस-पास के जनपदों में 40 वर्षाें से होने वाले इन्सेफेलाइटिस के प्रकोप पर वर्तमान सरकार द्वारा विगत तीन वर्षों में अन्तर्विभागीय समन्वय तथा टीमवर्क से प्राप्त किये गये नियंत्रण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए भी इसी प्रकार अन्तर्विभागीय समन्वय व टीमवर्क से काम किये जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं व कार्यक्रमों को प्रभावित लोगों तक बेहतर ढंग से पहुंचाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय पोषण माह की सफलता के लिए इसे जन-आन्दोलन बनाना पड़ेगा। कुपोषण से होने वाले नुकसान एवं केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में जन-जागरूकता पैदा करनी पड़ेगी।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास एस.राधा चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय शोक की घोषणा के कारण इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह 07 सितम्बर से प्रारम्भ किया जा रहा है। इसे जनसहभागिता के आधार पर आयोजित किया जाएगा। इसमें जनजागरूकता के साथ माताओं और परिवारों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जाएगी। राष्ट्रीय पोषण माह के 02 प्रमुख लक्ष्य-अतिकुपोषित बच्चों का चिन्हीकरण एवं प्रबन्धन तथा पोषण वाटिकाओं की स्थापना एवं विकास हैं। पोषण माह के दौरान लगभग 08 लाख बच्चों का चिह्नीकरण किया जाएगा। इस माह में की गयी पहल को मार्च, 2021 तक क्रियाशील रखा जाएगा।