कल हल्लौर में होगा महफ़िल ए नूर का आयोजन
मोहम्मद शाहिद
डुमरियागंज सिद्धार्थ नगर
महफ़िल ए नूर में हल्लौर में रहेगा बैरूनी शायरों का जमावड़ा, पेश करेंगे तरही कलाम
डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। किसी शायर ने क्या खूब कहा है “मौत के सैलाब में हर खुश्क व तर बह जाएगा, हाँ फकत नामे हुसैन इब्ने अली रह जायेगा”-जिसकी रगों में आतिशे बदरो हुनैन है, उस सूरमा का इसमें गिरामी हुसैन है।
विलादत ब सआदत हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के मौके पर आगामी 13 फरवरी (3 शाबान) बरोज़ मंगलवार इमाम बारगाह वक्फ शाह आलमगीर सानी दरगाह चौक हल्लौर में अंजुमन फरोग मातम रजि० के ज़ेरे निगरानी महफ़िल ए नूर का आयोजन मौलाना मोहम्मद अब्बास शारिब इमाम जुमा व जमात हल्लौर की सदारत में किया जायेगा। जिसकी मिसरे तरह-हुसैन सारे ज़माने में छाए जाते है, खालिके मिसरा दर्द हल्लौरी, पर बैरूनी व मुकामी शायर अपने अपने कलाम पेश करेंगे। महफ़िल ए नूर की निज़ामत मौलाना किरतास करबलाई और ख़िताबत ज़ाकिरे अहलेबैत जमाल हैदर करबलाई व अज़ीम हैदर करेंगे। महफ़िल ए नूर का आगाज़ कारी शकील अहमद के तिलावते कलाम पाक से होगा। बैरूनी शायरों में शबरोज़ कानपुरी, सुहेल बस्तवी, मौलाना उम्मीद आज़मी, तनवीर जौनपुरी, मुंतज़िर जौनपुरी, ज़ुहैर सुल्तानपुरी, शुजा उतरौलवी, अफ़ज़ल हुसैन अफ़ज़ल,अनवार हुसैन पारसा, बेताब हल्लौरी, सावन हल्लौरी के अलावा मुकामी शायरों द्वारा अपना अपना कलाम पेश किया जाएगा।
यह जानकारी सिकरेट्री तसकीन हैदर रिज़वी ने देते की शाम इमाम बारगाह वक्फ शाह आलमगीर सानी (बड़ा इमामबाड़ा) दरगाह चौक हल्लौर में पहुँचकर महफ़िल को कामयाब बनाने की गुज़ारिश की है।