इनकी बेफ़िक्री घोल रही है आपकी सांसों में ज़हर

फीचर डेस्क

आपकी सांसों में ज़हर घोलने वालों को ट्रैक कर सबके सामने रखने के इरादे से 25 से अधिक पर्यावरण समूह एक साथ एक मंच पर आ गये हैं। और इनके साझा प्रयास से अब यह साफ़ हो रहा है कि दरअसल हमारी सांसों में ज़हर घोलने के लिए थर्मल पावर प्लांट काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार हैं। दरअसल बीते कुछ सालों से कोयला बिजलीघरों में उत्सर्जन नियन्त्रण संयंत्रों को लगाये जाने की समय सीमा में लगातार देरी होती जा रही है। डेडलाइन नज़दीक आते ही यह बिजली उत्पादक नई समय सीमा माँग लेते हैं।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा नए वायु प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों का पालन करने के लिए 2015 में कोयला बिजली कंपनियों को दो साल की समय सीमा दी गई थी। दिसंबर 2017 तक भारत के 300 कोयला बिजली संयंत्रों को कोयला जलाने पर उत्सर्जन (पार्टिकुलेट मैटर, एसओ टू और एनओएक्स) को नियंत्रित करने के लिए स्क्रबर्स, फिल्टर और ग्रिप गैस डी-सल्फ्यूरेशन (एफजीडी) तकनीक स्थापित करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन क्लीन एनर्जी एंड एयर द्वारा हाल ही में किए गए एक विश्लेषण से पता चलता है कि 2015 के बाद से केवल एक फीसद बिजली संयंत्रों ने ही इन मानदंडों को लागू किया। उस समय के निर्णय की सराहना की गई थी क्योंकि भारत ने अपनी हवा को साफ करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी, लेकिन कार्यान्वयन किया जाना था 2017 से 2020 तक, लेकिन देरी होती रही और अब 2022 तक फिर समय की मांग होने लगी है। उम्मीद है कि थर्मल प्लांट्स को यह समय भी मिल ही जाएगा। इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सीआरईए के विश्लेषक सुनील दहिया कहते हैं, “बीते पिछले पांच वर्षों को देखते हुए अब समझ यही आता है कि बिजली कंपनियों के दबाव के कारण 2015 की अधिसूचना के तहत सभी मानदंडों को या तो हल्का किया जा रहा है या फिर वो सब कमजोर पड़ने के लिए प्रक्रिया में है।” इस सब का ही नतीजा है कि स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में सिर्फ 2019 में ही वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक जोखिम ने 1.67 मिलियन लोगों की जान ली। साल 2014 में शहरी उत्सर्जन और संरक्षण एक्शन ट्रस्ट द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में अनुमान लगाया गया कि कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के परिणामस्वरूप अगले 15 वर्षों में लगभग 229,000 समय से पहले मौतें होंगी। अपनी मजबूरी और परेशानियाँ बताते हुए, जनवरी 2016 में, पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एपीपी) ने दावा किया कि प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को पूरा करने के लिए तकनीकी उन्नयन के लिए उन्हें अगले दो वर्षों में 2.4 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की आवश्यकता होगी। इस आँकड़े पर आपत्ति जताते हुए काउंसिल फॉर एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईवी) दावा किया कि असल लागत 90,000 करोड़ के आसपास होगी। आपकी सांसों में ज़हर घोलने वालों को ट्रैक कर सबके सामने रखने के इरादे से 25 से अधिक पर्यावरण समूह ने एअरोआफण्डर्स डाट इन के माध्यम से यह साफ़ कर दिया है कि 2015 से अब तक किसने कब प्रदूषण नियंत्रण में ढिलाई बरती है। इस वेबसाइट से यह भी साफ़ होता है कि कैसे थर्मल पावर प्लांट गलत बयानी, बेफ़िक्री, और गैरज़िम्मेदारी के धुंए के गुबार की पीछे छिपे हुए हैं।
भारत में हेल्दी एनर्जी इनिशिएटिव सह-समन्वयक श्वेता नारायण कहती हैं, “कोयला बिजली संयंत्र भारत के वायु प्रदूषण संकट के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि थर्मल पावर प्लांट्स के पास रहने वाले लोगों के फेफड़ों पर इन प्लांट्स के उत्सर्जन का गम्भीर असर होता है। लेकिन आत्मानिर्भर भारत का सपना अस्वस्थ भारत की नींव पर नहीं टिक सकता। हर दिन मानदंडों के कार्यान्वयन में देरी के साथ हम बीमारी और विकलांगता वाले अंधकारमय भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। एक डॉक्टर की नज़र से, डॉ अरविंद कुमार, संस्थापक ट्रस्टी, लंग केयर फाउंडेशन कहते हैं, “उत्सर्जन मानदंडों में एक एक दिन की देरी हम पर भारी है। हम सबकी जीवन प्रत्याशा इसके चलते कम हो रही है। जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का वक़्त है ये।”

यह भी पढ़ें : बिना मास्क घर से निकले तो हो सकती है गिरफ्तारी!

आवश्यकता है संवाददाताओं की

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com को गोण्डा जिले के सभी विकास खण्डों व समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों तथा देवीपाटन, अयोध्या, बस्ती तथा लखनऊ मण्डलों के अन्तर्गत आने वाले जनपद मुख्यालयों पर युवा व उत्साही संवाददाताओं की आवश्यकता है। मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग का ज्ञान होना आवश्यक है। इच्छुक युवक युवतियां अपना Application निम्न पते पर भेजें : jsdwivedi68@gmail.com
जानकी शरण द्विवेदी
मोबाइल – 9452137310

कलमकारों से ..

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे :
जानकी शरण द्विवेदी
सम्पादक
E-Mail : jsdwivedi68@gmail.com

error: Content is protected !!