अब काशी और मथुरा के लिए संत करेंगे आंदोलन, अखाड़ा परिषद ने पारित किया प्रस्ताव

-विश्व हिन्दू परिषद और संघ से भी मांगा सहयोग- महाराष्ट्र सरकार में साधु

-संत सुरक्षित नहीं: नरेंद्र गिरि


प्रयागराज(एजेंसी)। अयोध्या में श्रीराम मंदिर की निर्माण प्रक्रिया के साथ देश के संत महात्मा अब काशी और मथुरा की मुक्ति के लिए आंदोलन करेंगे। संतों के सबसे बड़े संगठन, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस संबंध में सोमवार को एक प्रस्ताव भी पारित कर दिया। 
अखाड़ा परिषद की सोमवार को संगम नगरी में आयोजित बैठक में आठ महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि सर्वसम्मति से पारित प्रथम प्रस्ताव में पारित किया गया कि काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थल को मुक्त कराने के लिए अखाड़ा परिषद सर्वप्रथम द्वितीय पक्ष से आपसी सहमति बनाने की बात करेगा। 
श्रीमहंत ने कहा कि अखाड़ा परिषद मुस्लिम पक्ष से पहले अनुरोध करेगा कि हिन्दू धर्मस्थलों के पास जो जबरदस्ती मस्जिदें अथवा मजारें बनाई गई हैं, उन्हें वे आपसी सहमति के आधार पर हटा लें। उन्होंने कहा कि यदि आम सहमति से काम नहीं बनेगा तो अयोध्या की तरह वे काशी और मथुरा के मुद्दे पर भी न्याय पालिका की शरण लेंगे। उन्होंने बताया कि इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे हिन्दू संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा।  
प्रयागराज माघ मेला को लेकर प्रस्ताव पारित

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि बैठक के दौरान प्रयागराज में हर वर्ष जनवरी-फरवरी माह में लगने वाले माघ मेले को लेकर भी प्रस्ताव पारित किया गया। इसके माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संत महात्मा अनुरोध करेंगे कि माघ मेले का आयोजन किया जाए। सभी संत महात्मा और अन्य श्रद्धालु कोरोना के मद्देनजर सरकारी गाइडलाइन का पूरा पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में संगम की रेती पर हर साल लाखों श्रद्धालु कल्पवास करते हैं और इस कल्पवास का 12 साल का चक्र होता है। यदि मेला आयोजित नहीं होगा तो कल्पवास का क्रम टूट जाएगा। ऐसे में कोरोना प्रोटोकाल के पालन के साथ माघ मेला का आयोजन होना चाहिए। 

हरिद्वार कुम्भ के बारे में पूछने पर बताया कि यह बैठक आज हरिद्वार में ही होने वाली थी, लेकि

न उनके स्वास्थ्य के कारणों को लेकर इसे प्रयागराज में आहूत किया गया। उन्होंने बताया कि हरिद्वार में तीनों अनी अखाड़ों को जमीन देने को लेकर चर्चा हुई। साथ ही वहां के मंदिरों को तोड़ा न जाए इस संबंध में प्रस्ताव पारित हुआ कि अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि इस मामले में परिषद की तरफ से उच्चतम न्यायालय में पक्ष रखेंगे। 
लव जेहाद के खिलाफ भी पारित हुआ प्रस्ताव

अखाड़ा परिषद ने आज की बैठक में लव जेहाद के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित किया। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि कुछ मुस्लिम युवा हिन्दू बनकर हिन्दू युवतियों को बरगलाकर उनसे शादी कर लेते हैं और बाद में उन्हें प्रताड़ित करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा गलत काम अब नहीं होने पायेगा। अखाड़ा परिषद इसके खिलाफ आंदोलन और जनजागरण अभियान चलाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में दंगा कराकर हिन्दुओं को भगाने की साजिश भी की जाती है। अखाड़ा परिषद इसका भी पुरजोर विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि देश में अब धर्म निरपेक्ष सरकार है। इसलिए अब इस तरह की साजिशें नहीं हो पाएंगी। 

 महाराष्ट्र सरकार में साधु-संत सुरक्षित नहीं

साधु-संतों की सुरक्षा के मामले में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार है। यहां सभी साधु-संत सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि इस समय केवल महाराष्ट्र में साधु-संत असुरक्षित हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र के पालघर में हुई साधुओं की हत्या के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उन्होंने आज फिर दोहराई। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार साधु-संतों की हिफाजत करने में असमर्थ है। इसलिए उस सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए। 
 प्रयागराज के बाघंबरी मठ में आयोजित अखाड़ा परिषद की बैठक में सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल थे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि बैठक में पारित सभी प्रस्तावों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेजा जाएगा। गौरतलब है कि अगले वर्ष मार्च से हरिद्वार का कुम्भ मेला प्रस्तावित है। इसको लेकर अखाड़ा परिषद की कई बैठकें हरिद्वार में भी आयोजित हो चुकी हैं। 

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